जमीर बिक गया किरदार बिक गये।
खून से छपकर के अखबार बिक गये।
इस कदर लूटा मुफलिस को सियासत ने।
टूटे फूटे थे जो वो घर बार बिक गये।
जिनपे था यकीं हक की आवाज़ उठाने का।
वो भी आज यहाँ सरे बाजार बिक गये।
जमीर बिक गया किरदार बिक गये।
खून से छपकर के अखबार बिक गये।
इस कदर लूटा मुफलिस को सियासत ने।
टूटे फूटे थे जो वो घर बार बिक गये।
जिनपे था यकीं हक की आवाज़ उठाने का।
वो भी आज यहाँ सरे बाजार बिक गये।
Mateen Parwez
Dedicated to Janab Javed Quraishi Sahab.
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