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vivekvishwakarma6523
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Vivek Vishwakarma

Shayari se pata chal jayega

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Vivek Vishwakarma

आपको मोहब्बत नहीं, मान सकते हैं
मगर आप हमें मोहब्बत समझाने लगें
ये तो अजीब बात होगी........

हम अपने गम अपने पास नहीं रखते
आप इसे गमों की तौहीन बताने लगें
ये तो अजीब बात होगी........

आपका खयाल था रुखसत का मगर
फिर आप हमारे रकीबों के ठिकाने लगे
ये तो अजीब बात होगी.........

आपके लिए ये गीत लिखते है, सच है
आप ये गीत सुनाके किसी को मनाने लगें
ये तो अजीब बात होगी.........

आप हमसे जवाब मांगे, हक है आपको
मगर आप हमपर सवाल उठाने लगें
ये तो अजीब बात होगी........
- विवेक विश्वकर्मा #syahi2020 #poetrystudio
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Vivek Vishwakarma

हम बहे जैसे सागर की लहर, चल दिए
भरी धूप में दे साया जो शजर, चल दिए

हमने पुकारा बहुत, तुमने आने में देर की
हम तो ठहरे फकीर, दूसरे घर चल दिए

दस्तक देना दिलों पर, आदत है अपनी
जिसने दी पनाह, हम तो उधर चल दिए

रुखसत हुए हम, बहुत दूर निकल चुके
अब मत आवाज़ देना, किधर चल दिए

सुहानी फिज़ा तो हमारे साथ ठहरती है
जो चले, तो साथ हमारे हर मंज़र चल दिए

अब क्या उम्मीद करना हमारे लौटने की
यार,अब हम बस चल दिए तो चल दिए
- विवेक विश्वकर्मा #syahi2020 #poetrystudio
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Vivek Vishwakarma

कोई खनकता हुआ कंगन आवाज़ देता है
कोई संवरता हुआ यौवन आवाज़ देता है
गली से गुजरती पायल की धुन कहती है
पनाहों में आके किसी का मन, आवाज़ देता है
- विवेक विश्वकर्मा #syahi2020 #poetrystudio
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Vivek Vishwakarma

फिर एक और कली है मुरझाई
अब न सिर्फ गीत बनाएं हम
सुनी चीख एक और असहाय
फिर क्यों सिर्फ नारे लगाएं हम

उठी है फिर दरिंदों की नजर
चलो अब शमशीर उठाएं हम
आंच आईं है फिर बिटिया पर
ज़हन में चिंगारी भड़काएं हम

उन्हें मिटाकर ही मिटाएं अब
दरिंदों की हैवानियत की प्यास
सहानुभूति मिलेगी फिर उन्हें
क्यों करें हम सियासत से आस

अब मुर्दादिलों को जगाएं हम 
हर पत्थर दिल को पिघलाएं हम
जलाया जिन्होंने उस बिटिया को
ढूंढ़ निकालें, उन्हें भी जलाएं हम
- विवेक विश्वकर्मा #justiceforpriyankareddy
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Vivek Vishwakarma

छोड़कर गई है जबसे एक बुलबुल मुझे 
किसी चिड़िया का चहकना रास नहीं आता

गुजरती नहीं उस लिबास की खुशबू रूह से
अब किसी गुलाब का महकना रास नहीं आता

बंजर है मेरे दिल की ज़मीन एक ज़माने से
क्यों कोई बरसात की खबर खास नहीं लाता

अचानक से चल पड़ी ज़िन्दगी वीराने की ओर
क्यों कोई मोहब्बत का शहर पास नहीं आता

बेताब है यहां कई जन्मों से एक समंदर मगर
क्यों कोई मीठे पानी का दरिया पास नहीं आता
- विवेक विश्वकर्मा #fursatgkp
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Vivek Vishwakarma

कलम! तुमने मेरा हाथ थामा है
मुझे छोड़ना मत कभी
ले चलना मुझे मन की ऊंचाइयों तक
ह्रदय की गहराइयों तक

साथ चलेंगे जीवन सफर में
ढूंढ़ लाएंगे जतन कर के
शब्दों के ब्रह्माण्ड से कोई
जैसे ध्रुवतारा सा सितारा

जो मानवता को कर सके प्रकाशित
लिख सकूं कुछ ऐसा  जिससे
कोई राधा किसी कान्हा को ना तरसे
दीवानों पर मज़हब की आग ना बरसे

कलम! तुमने मेरा हाथ थामा है
मत छोड़ना कभी........
मत छोड़ना कभी........
- विवेक विश्वकर्मा #fursatgkp
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Vivek Vishwakarma

आजकल वो उसी हाशिए से गुजरती है
फिर जाऊं मिलने, मगर हौसला नहीं है

क्या वो मेरे ही इंतज़ार में आती जाती है
ज़रूर शायद! मुझ सा कोई मिला नहीं है

दूर किया है हमें ज़माने की रवायत ने
मेरा उससे अब भी कोई फासला नहीं है

ख्वाबों में ही मिल रहें हैं हम आजकल
हकीकत में ऐसा कोई सिलसिला नहीं है

मेरे आंसूओं ने दिया उसके रोने का संदेशा
जाना हमने, इश्क़ जैसी कोई कला नहीं है
- विवेक विश्वकर्मा #fursatgkp
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Vivek Vishwakarma

कम अंक आए, तो आत्महत्या करोगे
तुमने तो ज़िन्दगी खेल समझ ली
चलो मान लिया, ज़िन्दगी एक खेल है 
मगर खेल बीच में नहीं छोड़ते यारों
 
तुमने सोच समझकर एक रास्ता चुना
थोड़े से पत्थर भी मिलेंगे, शजर भी
गौर करो , रास्ता भी साथ है तुम्हारे
यूं साथ वालों से मुंह नहीं मोड़ते यारों

हां मुमकिन है कुछ कमी हो प्रयास में
तुम रहे हो अव्वल की आस में
हां कम अंक आना समस्या है मगर
यूं आत्महत्या में हल नहीं ढूंढते यारों

भाई बिन बाधा के पढ़ता रहे देर रात तक 
सोचकर बहन ने आधी रात चाय पिलाई
मां जल्दी जागी सुबह तुम्हें जगाने को
पिता भी निकल गए फीस कमाने को
इस तरह अपनों की उम्मीद नहीं तोड़ते यारों

खेल बीच में नहीं छोड़ते यारों......
मौत में हल नहीं ढूंढते यारों......
- विवेक विश्वकर्मा #fursatgkp
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Vivek Vishwakarma

गंभीर ज़हन से निकलकर देखते हैं
चल ज़िन्दगी ज़रा संभलकर देखते हैं

ढले हैं हम अब तक दुनिया के सांचे में
चल ज़रा आवारगी में ढलकर देखते हैं

हर शख्स में ढूंढा है अब तक खुद को
हम खुद अब आइना बनकर देखते हैं

बदल लिए हम बहुत दुनिया की खातिर
अब थोड़ा खुद के लिए बदलकर देखते हैं

गौर से देखो, मंज़िल अब दूर नहीं लगती
चल ज़िन्दगी, थोड़ा और चलकर देखते हैं

चल ज़िन्दगी थोड़ा संभलकर देखते हैं.....
चल ज़िन्दगी खुद को बदलकर देखते हैं....
- विवेक विश्वकर्मा #fursatgkp Ritika Singh pooja negi# ankahe_afssane Ãrsh Rajput Suman Zaniyan

#fursatgkp Ritika Singh pooja negi# ankahe_afssane Ãrsh Rajput Suman Zaniyan #शायरी

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Vivek Vishwakarma

थक गया हूं वस्ल का बोझ उठा उठा कर
ए ज़िन्दगी अब मुझे ज़रा आराम करने दे

रातें हराम की हैं हमने जिसकी खातिर
उस जाहिल की भी नींद हराम करने दे

कभी उजाला नहीं आने दिया मेरे आंगन तक
अब उस इमारत का मुझे कतलेआम करने दे

सुबह नहीं होने दी जिसके ख्वाबों ने मेरी
उसके इरादों की भी मुझे शाम करने दे
- विवेक विश्वकर्मा #fursatgkp Syed Aamir Hussain ✍..Parth Mishra Prinal Royal Anant Sharma Ayush Malu

#fursatgkp Syed Aamir Hussain ✍..Parth Mishra Prinal Royal Anant Sharma Ayush Malu #शायरी

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