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ashutoshshukla7727
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ashutosh6665

आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक) Writers & Poet Professionally :- Production incharge

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ashutosh6665

अगर नुमाइश कहीं मेरे मोहब्बत की होती तो चलों मान भी लेते,
तुमने तो सलाखों के जैसे ही मुझसे कहीं पर किनारा कर लिया।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #Love #poem #Poet
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ashutosh6665

अब मुझमें तनिक भी आरज़ू कहा बचीं रही की मैं अब तेरा हो जाऊं,
मुझे भी देखो मै भी बेफिक्र हो चुका हूं तेरी दुनिया से किनारा करके।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #ValentinesDay #poem #Poet
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ashutosh6665

शायद अब उनके मजहब से भी कहीं पर मेरे हाथों की यह लकीरें भी नहीं मिलती,
तब से मैंने भी उठा लिया बेड़ा फकीरी का कह गए हमसे तेरी तक़दीरे नहीं मिलती।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #VantinesDay #poem #Poet
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ashutosh6665

अगर मोहब्बत लिखी होती लकीरों में,
क्यों साथ जाकर बसता मै फकीरों में।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #walkingalone #Poet #poem
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ashutosh6665

अगर तुझे इतना ही तबज्जों है तेरी अमीरी का,
ऊपर वाला भी कहीं रहनुमा है मेरे फकीरी का।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #Life #poem #Poet
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ashutosh6665

जनाब तुम मेरे काले रंग पर बिल्कुल भी शक मत किया करों,
पर अफ़सोस यही कहीं मेरे काले रंग के साथ साथ मेरी सरकारी नौकरी भी होती,
अपनी होने वाली के लिए कहीं पर मैं भी चाकलेट ब्वाय होता।

©ashutosh6665 #Goodevening #Poet #poem
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ashutosh6665

अगर मैं इस जिन्दगी को भी पूरी तरह अपने द्वारा बनाएं ग‌ए वसूलों पर नहीं जीता,
किसी चीज में थोड़ा हार भी जाता तो दुःख का यह मंजर कभी दिखाई ही नहीं देता।
यूं तो मुंझे अगर जिस्मों की चाह होती कहीं पर रास्ता दिखाने वाले भी बहुत लोग मिलें थे,
वो बहुत ज्यादा खुबसूरत भी होती किसी के पिछे यह किमती समय बर्बाद भी नहीं होता।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #darkness #Poet #poem
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ashutosh6665

चलों मान लिया आज भी कहीं पर हम 💯 ग़लत होंगे।
अगर तुम तुम ना रहे बताओं फिर मैं क्या हूं,
फिर जिंदगी के किसी मोड़ पर दोनों हम हुए।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #doubleface #poem #Poet
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ashutosh6665

जब फर्ज पर चूर हो जाएं इम्तिहान
अब किसी भी तिलिस्मी जीत की ख्वाहिश कही नहीं बचीं मुझमें समय पर मौत आ जाएं वही काफी है,
कहीं पर उनकी यादों के ही संग चलता रहा यह काफिला कब्र तक उनका हाथ आ जाएं वही काफी है।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #Rose #poem #Poet
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ashutosh6665

सुना था मोहब्बत भी एक तरह से कुर्बत का रसूल‌-ए-नामा है,
इसके होने या साथ होने में किसी की रजामंदी नहीं चलती,
कभी होकर गुजरे एक दफा मर्जे इश्क़ से यह कमवक्त जिंदगी,
फिर जब्त-ए-ग़म के वगैर कहीं यह जिन्दगी भी नहीं कटती।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #selflove #poem #Poet
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