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manojkhande5571
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Manoj Khande

लिखने का शोख रखता हूं, शायद शौख से ज्यादा रखता हूं, पता नहीं। जब अकेला होता हूं तब लिखता हूं, भीड़ में भी लिखता हूं, कभी उदास हूं तो लिखता हूं, खुशी में भी लिखता हूं। जब मन करता है तब लिखता हूं क्यूंकि मुझे लिखना पसंद है लिखना मेरा शौख है शायद शौख से भी ज्यादा है, पता नहीं।

https://audaciteablog.wordpress.com/2019/11/27/humanity-or-religion/

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Manoj Khande

तीन गोली मेरी थी उसने बापू के सीने में, 
फिर भी तू पूजता है उसको लानत है तेरे जीने में,
तेरा गोडसे तो मर गया पर बापू आजभी जिंदा है,
तेरी नोट पे, मेरी सोच में बापू आज भी जिंदा है।

                      - मनोज खांडे तीन गोली मेरी थी उसने बापू के सीने में 
फिर भी तू पूजता है उसको लानत है तेरे जीने में,
तेरा गोडसे तो मर गया पर बापू आजभी जिंदा है
तेरी नोट पे, मेरी सोच में बापू आज भी जिंदा है।

मानोज खांडे

तीन गोली मेरी थी उसने बापू के सीने में फिर भी तू पूजता है उसको लानत है तेरे जीने में, तेरा गोडसे तो मर गया पर बापू आजभी जिंदा है तेरी नोट पे, मेरी सोच में बापू आज भी जिंदा है। मानोज खांडे #कविता

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Manoj Khande

कहानी सी हो तुम, मेरे पन्ने पे तुम्हारा घर है, 
जिंदा तो हूं में तुझबिन, बस चंद सांसे बेघर है,
शहर होता हू तुझे सोचते-सोचते, 
कब सूरज सा डूब जाता हूं तुझमें पता नहीं, 
मदहोश सा रहता हूं, बिना छुए मदहोशी के,
शब्दकोश सा बन जाता हूं, तुझे पढ़ते-पढ़ते, 
बेख़ौफ़, बे मतलब सा रहता हूं इस मतलबी से जहान में,
मेरी फिक्र में, मेरे जिक्र में बस तुम ही रहती हो मेरे रूह के मकान में, 
कभी तेरता हूं, तो कभी डूब जाना चाहता हूं तेरी चाहत के समुंदर में,
एक प्यासे सा खुद को भिगोए रखता हूं, इस सूखे बंवंडर में, 
हौसला नहीं की अब कुछ ओर भी पाने की आस रखलू में, 
जितना भी था वो सारा लगा दिया सिर्फ तुझे पास बुलाने में,
तू आए ना आए, में यही कही सब्र में रहूंगा, 
इंतज़ार में तेरे पन्ना क्या पूरी पुस्तक में कब्र में भर दूंगा, 
क्यू की कहानी सी हो तुम, मेरे पन्नो पे तुम्हारा घर है, 
जिंदा चाहे में रहूं ना रहूं, पर तुझ पर लिखा हर वो अल्फ़ाज़ मेरा अमर हैं।

~मनोज खांडे कहानी सी हो तुम, मेरे पन्ने पे तुम्हारा घर है, 
जिंदा तो हूं में तुझबिन, बस चंद सांसे बेघर है,
शहर होता हू तुझे सोचते-सोचते, 
कब सूरज सा डूब जाता हूं तुझमें पता नहीं, 
मदहोश सा रहता हूं, बिना छुए मदहोशी के,
शब्दकोश सा बन जाता हूं, तुझे पढ़ते-पढ़ते, 
बेख़ौफ़, बे मतलब सा रहता हूं इस मतलबी से जहान में,
मेरी फिक्र में, मेरे जिक्र में बस तुम ही रहती हो मेरे रूह के मकान में,

कहानी सी हो तुम, मेरे पन्ने पे तुम्हारा घर है, जिंदा तो हूं में तुझबिन, बस चंद सांसे बेघर है, शहर होता हू तुझे सोचते-सोचते, कब सूरज सा डूब जाता हूं तुझमें पता नहीं, मदहोश सा रहता हूं, बिना छुए मदहोशी के, शब्दकोश सा बन जाता हूं, तुझे पढ़ते-पढ़ते, बेख़ौफ़, बे मतलब सा रहता हूं इस मतलबी से जहान में, मेरी फिक्र में, मेरे जिक्र में बस तुम ही रहती हो मेरे रूह के मकान में,

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Manoj Khande

ચાલ આજ ફરી એક વાર જીવી લઈએ,
ગરમા ગરમ છે જીંદગી, તો થોડી ધીરે ધીરે પી લઈએ,
ક્યારેક મીઠો તો ક્યારેક કડવો, ક્યારેક તો ખાટો થઇ જાય છે,
જીંદગી નો સ્વાદ છે સાહેબ, ભલભલા ને બેસ્વાદ કરી જાય છે,
ક્યારેક ઉકળ તી ગરમી તો ક્યારેક થીજવ તિ ઠંડી,
જીંદગી ના ઋતુઓ ની છે આ કેવી જુગલબંદી , 
આમ તેમ, ગમે તેમ તો, ક્યારેક હેમ ખેમ જીવવાય છે 
પૈસા ને પ્રતિષ્ઠા ના ખોટા મોતિયો વચ્ચે, જીંદગી પરોવાય છે 
નાને થી મોટા થયા પણ મોટે થી નાના ક્યાં થવાય છે,
સમઝાય છે જ્યારે આ જીવન ત્યારે ખુદ જીંદગી રિસાય છે
તો ચાલ મોડું થાય એ પેહલા આજ થોડું તો જીવી લઈએ,
ક્ષણે ક્ષણે બદલતી આ જીંદગી નો ક્ષણ ક્ષણ પી લઈએ! 

ચાલ આજ ફરી એક વાર જીવી લઈએ! 

~મનોજ ખાંડે ચાલ આજ ફરી એક વાર જીવી લઈએ,
ગરમા ગરમ છે જીંદગી, તો થોડી ધીરે ધીરે પી લઈએ,
ક્યારેક મીઠો તો ક્યારેક કડવો, ક્યારેક તો ખાટો થઇ જાય છે,
જીંદગી નો સ્વાદ છે સાહેબ, ભલભલા ને બેસ્વાદ કરી જાય છે,
ક્યારેક ઉકળ તી ગરમી તો ક્યારેક થીજવ તિ ઠંડી,
જીંદગી ના ઋતુઓ ની છે આ કેવી જુગલબંદી , 
આમ તેમ, ગમે તેમ તો, ક્યારેક હેમ ખેમ જીવવાય છે 
પૈસા ને પ્રતિષ્ઠા ના ખોટા મોતિયો વચ્ચે, જીંદગી પરોવાય છે

ચાલ આજ ફરી એક વાર જીવી લઈએ, ગરમા ગરમ છે જીંદગી, તો થોડી ધીરે ધીરે પી લઈએ, ક્યારેક મીઠો તો ક્યારેક કડવો, ક્યારેક તો ખાટો થઇ જાય છે, જીંદગી નો સ્વાદ છે સાહેબ, ભલભલા ને બેસ્વાદ કરી જાય છે, ક્યારેક ઉકળ તી ગરમી તો ક્યારેક થીજવ તિ ઠંડી, જીંદગી ના ઋતુઓ ની છે આ કેવી જુગલબંદી , આમ તેમ, ગમે તેમ તો, ક્યારેક હેમ ખેમ જીવવાય છે પૈસા ને પ્રતિષ્ઠા ના ખોટા મોતિયો વચ્ચે, જીંદગી પરોવાય છે #કવિતા

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Manoj Khande

#RIPPriyankaReddy हा में वहीं हूं जिसने तुझको छेड़ा,
अंधेरे में अकेले में तुझको घेरा, 
छीन के तेरी इज्जत, तुझसे मुंह जिसने फेरा,
ना मानी मन मानी तो, एसिड मेरा ओर चेहरा तेरा,

तू आगे केसे जाएगी, पर केसे ये फैलाएगी,
दर दर ठोकर खाएगी, फिर लौटकर यही तू आएगी,
तू बच के कहा जाएगी हर जगह मुझे ही पाएगी,
ये दुनिया हे मेरी तू मुझसे जीत ना पाएगी,

जब तू मुझसे डरती है ये हिम्मत और भी बढ़ती हे, 
इस खामोशी की आग में ना जाने कितनी जलती है 
हा जूठा हमदर्द हूं अरे में तो एक खुदगर्ज हूं,
हर अबला का दर्द हू, क्यू की में तो एक मर्द हूं। 

~मनोज खांडे for all the pseudo mard! 

हा में वहीं हूं जिसने तुझको छेड़ा,
अंधेरे में अकेले में तुझको घेरा, 
छीन के तेरी इज्जत, तुझसे मुंह जिसने फेरा,
ना मानी मन मानी तो, एसिड मेरा ओर चेहरा तेरा,

तू आगे केसे जाएगी, पर केसे ये फैलाएगी,

for all the pseudo mard! हा में वहीं हूं जिसने तुझको छेड़ा, अंधेरे में अकेले में तुझको घेरा, छीन के तेरी इज्जत, तुझसे मुंह जिसने फेरा, ना मानी मन मानी तो, एसिड मेरा ओर चेहरा तेरा, तू आगे केसे जाएगी, पर केसे ये फैलाएगी, #कविता #RIPPriyankaReddy

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Manoj Khande

शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, 
आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है,
कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, 
बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । 

शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। 

~मनोज खांडे शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, 
आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है,
कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, 
बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । 
शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। 

~मनोज खांडे

शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है, कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। ~मनोज खांडे #कविता

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Manoj Khande

बचपन की वो यादें आज क्यी धुँद्लि सी हो गई,
खेलो के मेदानो की जगह खड़ी बड़ी इमारतें हो गई.
 
पेड़ों की वो ठंडी छाव कही खो सी गई,
उन पर गुनगुना ने वाली वो चिड़िया मानो सो सी गई,

बची थी कुछ मिट्टी वो भी जैसे रेत हो गई,
मेरे बचपन की उन यादों की मानो फिर मौत हो गई,

जंगलो से दूर, पर आज की दुनिया जंगली सी हो गई,
कांक्रीट की इन दीवरो मे साली जिंदगी ही कैद हो गई,

बच्चो की वो मासूमियत कही थमी सी रह गई, 
किताबों और उम्मीदो के बोझो मे कही दबी सी रह गई,

बस करके पैसा पैसा, जिंदगी यूही बीत गई,
जेसे जिंदगी जिना, जिना नही बस एक आदत हो रह गई,

जब सच का हुवा एहसास तबतक काफ़ी देर हो गई,
जिस तपिश मे जी रहा था ये जिंदगी उसी मे खाख़ हो गई,

मन की कलम से,
मनोज खान्डे बचपन की वो यादें आज क्यी धुँद्लि सी हो गई,
खेलो के मेदानो की जगह खड़ी बड़ी इमारतें हो गई.
 
पेड़ों की वो ठंडी छाव कही खो सी गई,
उन पर गुनगुना ने वाली वो चिड़िया मानो सो सी गई,

बची थी कुछ मिट्टी वो भी जैसे रेत हो गई,
मेरे बचपन की उन यादों की मानो फिर मौत हो गई,

बचपन की वो यादें आज क्यी धुँद्लि सी हो गई, खेलो के मेदानो की जगह खड़ी बड़ी इमारतें हो गई. पेड़ों की वो ठंडी छाव कही खो सी गई, उन पर गुनगुना ने वाली वो चिड़िया मानो सो सी गई, बची थी कुछ मिट्टी वो भी जैसे रेत हो गई, मेरे बचपन की उन यादों की मानो फिर मौत हो गई, #children

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Manoj Khande

वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, 
हुई नम ये आँखे,आई जब याद वो बचपन की कहानी,

वो मस्ति वो मासूमियत वो बचपन की नादानी,
वो चंचल मन वो यौवन तन वो बेफिकरो की रवानी,

जी रहे थे जिन्दगी इस कदर रुहानी,
क्यू बदली करवट इसने ना जाने क्यू आई ये जवानी,

समझदारी के इस दलदल मे जिन्दगी लगने लगी इक सुनामी, अब तो ये आलम है यारो भीड़ से दूर ही भली हे ये गुमनामी,

वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी..
हुई नम ये आँखे,आई जब याद वो बचपन की कहानी,



मन की कलम से,
मनोज खान्डे. वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, 
हुई नम ये आँखे,आई जब याद वो बचपन की कहानी,

वो मस्ति वो मासूमियत वो बचपन की नादानी,
वो चंचल मन वो यौवन तन वो बेफिकरो की रवानी,

जी रहे थे जिन्दगी इस कदर रुहानी,
क्यू बदली करवट इसने ना जाने क्यू आई ये जवानी,

वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, हुई नम ये आँखे,आई जब याद वो बचपन की कहानी, वो मस्ति वो मासूमियत वो बचपन की नादानी, वो चंचल मन वो यौवन तन वो बेफिकरो की रवानी, जी रहे थे जिन्दगी इस कदर रुहानी, क्यू बदली करवट इसने ना जाने क्यू आई ये जवानी, #children #कविता

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Manoj Khande

Don't call it a love story,cause every story has an end. love is infinite, it will stay forever even after you breath your last air.

~Manoj Khande Don't call it a love story,cause every story has an end. love is infinite, it will stay forever even after you breath your last air.

~Manoj Khande

Don't call it a love story,cause every story has an end. love is infinite, it will stay forever even after you breath your last air. ~Manoj Khande #विचार

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Manoj Khande

कह दो कश्तियों से की इश्क़ ना लड़ाए खारे समन्दर में,
कुछ मीठे लोग हे जो रखे बैठे है सैलाब अपने अंदर में । 

~मनोज खांडे कह दो कश्तियों से की इश्क़ ना लड़ाए खारे समन्दर में,
कुछ मीठे लोग हे जो रखे बैठे है सैलाब अपने अंदर में । 

~मनोज खांडे

कह दो कश्तियों से की इश्क़ ना लड़ाए खारे समन्दर में, कुछ मीठे लोग हे जो रखे बैठे है सैलाब अपने अंदर में । ~मनोज खांडे #शायरी

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Manoj Khande

कभी कबार कुछ गलतफहमिया भी पाल लेनी चाहिए,
गलती चाहे हो ना हो, पर कभी कबार मान लेनी चाहिए।

~ मनोज खांडे कभी कबार कुछ गलतफहमिया भी पाल लेनी चाहिए,
गलती चाहे हो ना हो, पर कभी कबार मान लेनी चाहिए।

~ मनोज खांडे

कभी कबार कुछ गलतफहमिया भी पाल लेनी चाहिए, गलती चाहे हो ना हो, पर कभी कबार मान लेनी चाहिए। ~ मनोज खांडे #विचार

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