लिखने का शोख रखता हूं, शायद शौख से ज्यादा रखता हूं, पता नहीं। जब अकेला होता हूं तब लिखता हूं, भीड़ में भी लिखता हूं, कभी उदास हूं तो लिखता हूं, खुशी में भी लिखता हूं। जब मन करता है तब लिखता हूं क्यूंकि मुझे लिखना पसंद है लिखना मेरा शौख है शायद शौख से भी ज्यादा है, पता नहीं।
https://audaciteablog.wordpress.com/2019/11/27/humanity-or-religion/
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande
Manoj Khande