उदास मौसमों का दौर है अभी
कल अपना भी वक्त आयेगा
हवा भी अपने हिसाब से होगी
फटे हुए होंठों से वक्त भी मुस्कुरायेगा #ज़िन्दगी
parveen mati
कविता
यहां उपजाऊ भूमि है
तो अंकुर नि: संदेह फूटेंगे
फसल के भी और कविता के भी
शहर में भूमि के उपर
कंक्रीट की परत है
वहां भाई न्यायालय में बैठा #Connection#कवितादिवस
parveen mati
स्वरचित और मौलिक
कश्ती है, पतवार है
पानी है, मझधार है
मछली भी होगी,
मछुआरें भी होंगे
चांद फलक पर रहता हमेशा
तो कुछ टुटते सितारें भी होंगे #कविता#youandme
parveen mati
हम अब कल्पनाओं में जी रहे हैं
इस बात से हम दोनों परिचित हैं
जिस क्षण कदमों का तालमेल एक होगा
हमारा जीवन यथार्थ हो जायेगा
हमारे निशान जो पड़ेंगे रास्ते में
वो चिन्हित करेंगे एक यथार्थ जीवन
प्रवीण माटी #Nofear#ज़िन्दगी
parveen mati
किताबें कैद अलमारी में
बिखरा कमरे में सन्नाटा
मैं चीख भी नहीं पाया देख
किसी ने भी दर्द नहीं बांटा
कहां रस्ता खोजता रहता
अकेलापन कहां तक जाता
मैं तो निकल ही जाऊँगा #ज़िन्दगी#MusicLove
parveen mati
बहन जब बांधती कलाई पर एक धागा है
मन प्रफुल्लित हो उठता है उसका
जिसको नहीं मिला ऐसा मौका वो अभागा है
मैंने भी सुना और सारे जग ने सुना है
इस रिश्ते का तो इतिहास भी गवाह है
रिश्तो का समंदर भरा है संस्कार से
इसका सदैव रहा तेज प्रवाह है #ज़िन्दगी#womensday
parveen mati
माँ, बहन, देवी तूँ
तेरी महिमा अपरम्पार
तूँ दुखहरणी, तूँ जीवनदायिनी
तूँ है जग की आधार
#womensday#ज़िन्दगी
parveen mati
पागल कहने वाले चारों
तरफ खड़े हैं मेरे
बस एक तेरा नाम "श्याम"
मुझे गिरने नहीं देता
प्रवीण माटी
#Nofear#ज़िन्दगी
parveen mati
मैं कर्जदार हूँ किसी के ख्यालों का
वक्त मिला तो मुकाम पर ठहरेंगे उसके लिए
प्रवीण माटी
#Nofear#ज़िन्दगी
parveen mati
पेडों के पीछे छिप रहा सूर्य
बादलों को छोड़ रस्ते में
देकर अंश उधार चांद को
रजनी को बुलावा भेज रहा
प्रवीण माटी #ज़िन्दगी