#Rose यौवनं धनसम्पत्तिः प्रभुत्वमविवेकिता।
एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम्।।
अर्थ- यौवन, धन संपत्ति, प्रभुता और अविवेक इनमें से एक भी अनर्थ करने वाला है। लेकिन जिसके पास ये चारों हों, उसके विषय में कहना ही क्या !
यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्❗ एवं पुरुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति ‼️
अर्थात् : जैसे एक पहिये से रथ नहीं चल सकता है उसी प्रकार बिना पुरुषार्थ के भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता है ||
★शिवम् #nojotovideo