हर वक्त फैला रहता था उसकी यादों का साया
मत पूछना की मैं किस तरह कैद से बाहर आया
मुलजिम बताता है वो मुझे
गर वो सच्चा था तो गवाही देने क्यों नहीं आया
जिस पर हद से ज्यादा भरोसा था हमे
ना जाने उस शख्स ने हमे किस किस हाल में आजमाया
जब उसकी करतूतों का चिठ्ठा खुला
तो उसने दोष हम पर लगाया #शायरी