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shubhammishra5755
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शुभम मिश्र बेलौरा

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शुभम मिश्र बेलौरा

White कंगन चूड़ी से सजी हुई, मैं प्रेम कहानी लिखता हूँ।
या ढाल भाल से सजी हुई,झांसी की रानी लिखता हूँ।
कभी कभी लिख देता हूँ ,इस संसद की गद्दारी को,
चेहरे की मुस्कान और आँखों का पानी लिखता हूँ।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #good_night ❤️❤️
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शुभम मिश्र बेलौरा

White संस्कारों से सजी कैन्डेल, 
सड़कों पर जब लाओगी।
सांत्वना की मिलीं थपकियाँ,
रोकर चुप हो जाओगी।।
लक्ष्मी बनना छोड़ो अब तुम,
फिर से चंडी बन जाओ।
ऑंख उठाकर देखे तुमको,
उसको खुद ही निगल जाओ।।
जो दुष्टों का करती मर्दन  , 
उसको क्या दुष्ट सताएंगे। 
जब उठे शेरनी का गर्जन, 
भेड़िए स्वयं भग जाएंगे।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #diwali_wishes बेटियां

#diwali_wishes बेटियां #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White दुनिया को ज्ञान दे रही छोटी सी मोबाइल,
अच्छाइयों से है भरी छोटी सी मोबाइल।
Internally ये हमको ऐसे है खा रही,
गाजा को जैसे खा रही छोटी सी इजराइल।।

बुजुर्गियत पर भी इसका वार हो रहा। 
बचपना जवानी का शिकार हो रहा।
जिस उम्र में हम खेलते थे गोली और कंचे,
उस उम्र के बच्चे को आज प्यार हो रहा।। 

Internet ने ऐसा है ज्ञान परोसा।
गुरुओं से ज्यादा हो गया गूगल पे भरोसा।
हम सबके चेहरे की ले जा रही smile,
मेरे जेब में बैठी हुई गद्दार मोबाइल।।

©शुभम मिश्र बेलौरा #Sad_Status मोबाइल

#Sad_Status मोबाइल #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White  दुनिया में हर पल का देखो, बदला बदला नज़ारा है।
कोई चाह रहा है तुमको,चाहत कोई तुम्हारा है।
भाव भंगिमा के भंजन में, कहने में संकोच बहुत।
चाहत के इस होड़ ने अक्सर, बिछड़न को स्वीकारा है।।

©Shubham Mishra #diwali_wishes दर्द
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शुभम मिश्र बेलौरा

White  बड़ा अजीब रोग मुफ़लिसी, रूह कँपाने वाला है
दर्द हमेशा बढ़ता है , कितना तड़पाने वाला है?
लोग इबादत में डूबे हैं साथ अक़ीदत ले करके,
मेरे मन में वही बसा है,रोटी का जो निवाला है।

बात न अच्छी कर पाता, न मशविरे के काबिल हूँ,
जी-हुजूरी करता रहता फिर भी बनता जाहिल हूँ।
कितनी हनक अमीरी की है जूते झट से उठते हैं,
रोटी तेरी आड़ में मैं , इन सबको करता साहिल हूँ।

इन सबका बस सार यही है, रात न सोने वाली है।
बातें सुनो कभी मालिक की ,कभी सुनो घरवाली है।
खुशियों का त्यौहार सभी का, दर्द छिपाता फिरता हूँ,
 कौन याद रखेगा ये,उस ग़रीब की भी दिवाली है।।

©Shubham Mishra #sad_quotes ग़रीब की दिवाली

#sad_quotes ग़रीब की दिवाली #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White  वक्त कैसा बना आज सौगात है,
लूटता फिर रहा कैसे ज़ज्बात है,
किन गुनाहों की इनको सजा मिल रही,
बेटियों की जो बनती ये हालात है।

रोईं घर में सिसक कर दिवारें थी चुप,
चीखीं सड़कों पे सारी मीनारें थी चुप,
दर्द कागज पर लिखकर मिटाया गया,
कुछ दिखावे हुए और सरकारें थीं चुप।

कब तलक ये काटी और नोची जायेंगी,
गली चौराहे से कब तक दबोची जायेंगी,
बचाने इनको कोई फरिश्ता आयेगा,
बातें कब तक ये पर्दे में सोची जायेंगी।

अब इनको ऐसे संस्कार दो,
ज्ञान के संग हाथों में हथियार दो।
ग़र इन्हें देखनें की कोई ज़ुर्रत करे,
ख़ाल चौराहे पर अब उसकी उतार दो।।

©Shubham Mishra #sad_quotes तड़पतीं बेटियां

#sad_quotes तड़पतीं बेटियां #कविता

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शुभम मिश्र बेलौरा

White खुदा तेरी सबसे बड़ी ये खुदाई, 
दुनिया में तूने जो मां है बनाई।
वो रिश्ते सारे अकेले निभाती,
शिकन देख चेहरे का सब जान जाती।
मुझे देखकर एक दिन मुझसे बोली,
छिपाया जो उनसे वही राज खोली।
बीमारी में जब से बदहाल हूं मैं,
तेरी झुर्रियां देख बेहाल हूं मैं।
अकेले तू मुझसे छिप-छिपके रोता,
मुझे देखकर क्यूं परेशान होता।
मेरे हाथों को चूमीं और समझायीं,
न होगा मुझे कुछ,ये मुझसे बताईं।
कहा मैं नहीं मां मैं रोया नहीं हूं,
कल रात से बस मैं सोया नहीं हूं।
ये सुनते ही बस, एक थपकी लगाई
रोती हुई फिर गले से लगाई
बहुत झूठ बोलता ,बहाने बनाता 
बड़ा हो गया!अब मां को समझाता।
गले लगके उनसे रोने लगा मैं,
आंसू से आंचल भिगोने लगा मैं।
कहा बिन तुम्हारे कहां जाउंगा मैं,
बिना अपनी मां के न जी पाउंगा मैं।

©Shubham Mishra #sad_quotes मां
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शुभम मिश्र बेलौरा

White क्या प्रेम जताने के ख़ातिर,
इक लम्बा ख़त देना होगा।
या गुच्छे फूलों के लेकर,
चौराहे पर मिलना होगा।
उपहारों के सेज सजाकर, 
तुम्हें सुलाना ही होगा।
क्या रात दोपहरी में लाकर,
वो वीयर पिलाना ही होगा।
यदि प्रेम इसी को कहते हैं,
तो प्रेम नहीं कर पाउंगा।
ये सब करने से अच्छा है,
मैं प्रेम बिना मर जाउंगा।

©Shubham Mishra #love_shayari love
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शुभम मिश्र बेलौरा

White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी यूं ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

ज़माने में खिलाते सब निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे, कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में
किसी मज़लूम के खातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के खातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #good_night मां
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शुभम मिश्र बेलौरा

White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #sunset_time मां
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