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nilesh9305510989270
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Nilesh

Student

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Nilesh

यादो का लेकर साया, 
सब को रुलाया 
 करके पराया 
बता तू क्यों गयी........... 
हमारी लाडली.

तुमने जब जब गुनगुनाया , 
हमने दउरा ( छठ का ड़ाला) उठाया 
कदम और तेज हुए,कदम और तेज हुए 
हमको वजन न बुझाया,जल्दी से छठ घाट पहुंचाया 
बता फिर क्यों गयी.. ..................

तू सब की लाडली.

कैसे अनसुना कर पाएंगे जो बोल! तूने सुनाया 
छोड़ गयी सबको क्या गलती हुई! नहीं बताया 
नए घर क्यों गयी,नए घर क्यों गयी 
जिसे ज़न ज़न तक पहुंचाया, ग्लोबल बनाया 
बता फिर क्यों गयी.............. 

तू सब की लाडली.................

🙏🙏🙏🙏
नीलेश सिंह 
पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh #शारदासिन्हाजी
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Nilesh

White  चीख पडूगा मुझे चुप-चाप रहने दो 
 खुशियों से डर लगता है मुझे उदास रहने दो 
सुन रहा था बड़ी देर से अपनी शिकायतों के पुलिंदे 
फिर कहा!खतम करो ये रिश्ता अपनी बकवास रहने दो


   ✒️ नीलेश सिंह
    पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh #sad_dp
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Nilesh

चारों ओर हाहाकार मचा है 
बैचैन है वो किनारे जिसका घर बना हैं 
कल तक सुकून मे थे जिसकी आड़ में,
उसके डूब जाने पर आज मातम मना है
हमारे आंसु पोछने की अफवाह फैलेगी देखना, 
डूब रही जो झोपड़ी ये,इसी से किसी का महल खड़ा है l


  🖋️ नीलेश सिंह
  पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh #bihar_flood
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Nilesh

White भाषायें कर्जदार है स्त्रियों की, 
क्योंकि भाषा मातृ होती है
और माँ का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता

©Nilesh
  #hindi_diwas
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Nilesh

उसके बदन पर कुर्ति संग दुपट्टा लाजवाब
अंग्रेजी गोरी हो चाहे कितनी भी मेरी हिन्दी का नहीं कोई जवाब.

✒️नीलेश सिंह
पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh #हिन्दी_दिवस
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Nilesh

राजपूत की तलवार जब निकलती है तो 
या तो खुद के गर्दन पर गिरती है 
या सामने वाले की गर्दन पर

©Nilesh #तलवारें
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Nilesh

आज सुबह हमने जब अखबार उठाया
चारो तरफ देश को आजाद पाया 
एक तरफ आजादी का जश्न,दूसरी और रोना सुनाया 
सुन कर कान को हमने अधीर पाया
हुआ क्षण गंभीर और मन घबराया
आज फिर नारी को हमने अबला बनाया

हटा ना तिमिर ना बदली काया 
उजाला देने वाले को भी आज हमने अंधकार में पाया 
शक्ति कह कर जिसे पूजते हम
उसे निःशक्त का आज फिर शिकार पाया 

माँ से जीवन,बहन की रक्षा का था प्रण खाया
पुत्र की जननी को भी अपने दूध पर लज्जित पाया
जो रखती बेटों, पतियों के लिए निर्जला व्रत
आज उसी की जिंदगी को तार-तार पाया I

बोल रहे थे मर्द जिसे,उसने जानवरों सा नोच खाया 
इज़्ज़त कहते है जिसे आज हमने उसे सरे आम बनाया 
जिसे कहते दुर्गा काली,रक्षा करती खप्पर वाली 
आज उसे ही हमने अपना हथियार बनाया I

कैसा हो गया खून हमारा, कैसा हमने संस्कार पाया 
पत्थरों में दर्द आया झंझा मे आज झंकार पाया 
देख रहा था चक्र वाला भी आज त्रिलोक से, 
नीचे वाले भगवान को न वो बचा पाया 

इंसान की खाल में हमने भेड़िया पाया
रक्षक को ही भक्षक बनाया 
बेटी को क्या बचाया और क्यों उसे पढ़ाया 
तलवारों की जगह रणचंडी को मोमबत्ती जलाना सिखाया 



                 ✒️ ✒️नीलेश सिंह
                                पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh #Stop
#stop_rape
#girl
#government
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Nilesh

कहा भी कुछ नहीं
सुना भी कुछ नहीं
कत्ल हुआ हमारा कुछ ऐसे
हुआ भी कुछ नहीं
बचा भी कुछ नहीं




                    ✒️नीलेश सिंह

©Nilesh #Dard
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Nilesh

#Emotional
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Nilesh

#FriendshipDay
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