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Shayari
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मैं न बनवा के कहीं, ताजमहल जाऊँगा बस यहाँ छोड़ के कुछ गीत-ग़ज़ल जाऊँगा ज़ीस्त में बर्फ़ के टुकड़े सा पड़ा हूँ मैं तो उम्र की धूप चढ़ेगी, तो पिघल जाऊँगा
G. K. Sharma