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rachnapal3378
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rachna pal

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rachna pal

जब जब तुम्हारी कहानियां लिखी जायेगी
कलम की स्याही लाल निकलेगी
लहू बहेगा पन्नों पर
आवाजें बुलंद हो जायेगी
तुम देखना बस मुस्कुरा कर आसमान से

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rachna pal

मुझे साड़ी पहनना आ गया मां 
पर तुम्हारी तरह कंधे पर पल्लू लेकर शर्माना नहीं आया
 ग़म तो मैं भी छुपा लेती हूं 
मगर वह लाल आंखों को पानी की छीटों से छुपाया नहीं आया
माफ करना और भूल जाना मैंने भी सीखा है 
मगर दरकती दीवारों से घर बनाना मुझे नहीं आया 
मां, मुझे नहीं आया वह पल्लू की किनारी से माथे की शिकन मिटाना
मुझे नहीं आया वो कमजोर रिश्ते निभाना
छिपा लेती हूं कुछ बातें पुरानी 
पर वो रफू से साड़ी के छेद छुपाना 
मुझे नहीं आया मां

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rachna pal

मेरे इरादों में भी बड़ी जान थी 
उड़ना था मुझे भी
तोडकर आसमान से चांदनी लानी थी 
फिर,,,,
 मेरी सारी ख्वाहिशें वही दहलीज पर जाकर रुक गई क्योंकि तुम्हें रोटियां गरम खानी थी।

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rachna pal

बहुत आसान है जिंदगी से हार जाना
 टूट कर बिखर जाना है
 छोड़कर चले जाना
 पर तुम तो जिद्दी हो, मुश्किल काम करो 
ओढ़ लो मुस्कुराहट को और तूफानों से आंखों में आंखें डाल कर लड़ो 
हर हार के बाद ही जीत की तैयारी करो 
अपने हुनर की कलम  से 
अपनी किस्मत की कहानी लिखो
तुम तो जिद्दी हो मुश्किल काम करो

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rachna pal

आज खंजर नहीं है हमारे पास हम तलवारे नहीं चलाएंगे
 यह शब्द के तीर हैं तुम्हें चीर कर जाएंगे 
रक्त नहीं बहेगा आवाज भी नहीं आएगी 
यह चुप रह कर भी शोर करेंगे 
भीषण वर्षा घनघोर करेंगे 
तुम्हारे सोए हुए अंतर्मन को जगायेंगे 
खंजर नहीं है हमारे पास हम तलवारे नहीं चलाएंगे 
टीवी पर बैठकर हिस्सेदारी और बराबरी की झूठी बातों का क्या फायदा
 उन कैंडल मार्च की गमगीन रातों का क्या फायदा 
जब बेटियां तुम्हारी सुनी सड़को पे डरती है
 चार कदम आगे चलकर फिर पीछे मुड़ते हैं
अपनों से सताई जाती हैं 
कभी खेतों में चुपके से जलाई जाती है
 सभ्यता और संस्कार का सारा बोझ  हमें देकर
 तुम गुनहगारों का राज तिलक लगाते हो
और आजादी के अमृत का जश्न मनाते हो
किस आजादी की बातें करते हो
हम खुद लिखेंगे क्रांति अब हम खुद लिखेंगे क्रांति
 घूरने दो उन सस्तीआंखों को अब हम भी नजरें नहीं झुकायेंएंगे
दुर्गा की नस्ले हैं हम 
आने दो दानव को अब हम भी चंडी बन जाएंगे
ये शब्द के तीर हैं तुम्हें चीरकर जाएंगे  #poetrycommunity
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rachna pal

अजातशत्रु ने बिंबिसार को मारा तो यह इतिहास के पन्नों में दबी कोई पुरानी बात है
औरंगजेब ने शाहजहां को सलाखों में रखा तो यह 
कैसी गद्दार औलाद है
ऋषि सुनक ब्रिटेन का सरताज बने तो यह गौरव की बात है
सोनिया गांधी अगर बनने लगे प्रधानमंत्री तो यह भारतीय राजनीति पर एक दाग है
किसी का गलत बस एक गलती तो किसी का गलत एक काला इतिहास है 
प्यार जता कर गले लगाने वाले कुछ चंद ही हैं
नफरत फैलाकर बांटने वाले हजारों हाथ हैं
रंग से धर्म बता देने वाले और कहां मिलते हैं
यह हमारे अजब देश की गजब बात है

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rachna pal

कौन नहीं चाहता मर कर भी अमर हो जाना
पर आसान कहां है सीने पर गोली खाना
फौजी हैं वो जो ऐसा करते हैं
हम जीने के लिए मरते हैं
और
वो मरने के लिए जीते हैं
Kargil vijay diwas

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rachna pal

Religion is a business; indeed a profitable one. 
Hate is an agenda; indeed a noxious one
You are a pawn; indeed a dead one.

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rachna pal

 मैं आजकल तुम्हारे ही फसाने लिख रही हूं 
वो तकिए के नीचे दबी तुम्हारी सिसकियां
वो shower की तेज़ बूंदों में घूलते तुम्हारे गुनगुने आंसू।
खुद को ही समझाती तुम्हारी अपनी बातें,
self-criticism में काटी तुमने न जाने कितनी रातें    

तुम्हारे खुश रहने के सारे बहाने लिख रही हूं,
मैं आजकल तुम्हारे ही फसाने लिख रही हूं।

घर में रहती तुम, तो करती ही क्या हो?
ऑफिस जाती तुम, वो तो सब करते हैं 
हंसना, मुस्कुराना सारे रिश्ते निभाना तुम्हारा काम है, इन दीवारों को घर बनाना तुम्हारे नाम है 
"अच्छी औरत" के unrealistic पैमानों में दबी तुम,  

तुम्हारे पुराने बेबाक बचपन के जमाने लिख रही हूं,
 मैं आजकल तुम्हारे ही फसाने लिख रही हूं।

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rachna pal

अलग होने के लिए अलग होना ज़रूरी नहीं
बस अलग हो जाओ
शिकायतें दिल में दफ़न कर
ख़ामोशी ओढ़ लो
तनहा रास्तों पर उनके साथ चलो
महफ़िल़ो में कुछ दूर होकर
मंजिलों पर अलग हो जाओ
अलग होने के लिए अलग होना ज़रूरी नहीं
बस अलग हो जाओ

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