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ramakantshrivas8605
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RAMAKANT SHRIVAS

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RAMAKANT SHRIVAS

कोरोना का कहर

 हैं धधकती सब चिताएं शव लगे कतार में'
 तुम चुनावों में हुए हो व्यस्त, जीत हार में"

है धरा सूनी गगन में अन्धकार छा रहा,
देख करती है तमाशा मौत इन्तज़ार में।

चुप हुए नेता, कहाँ सब छुप गए धर्मात्मा,
स्वस्थ्य हों अपने दवा ढूँढूं कहाँ बाज़ार में।

चाह दो रोटी की हो या भूख हो कमाई की,
छिन गया है आज सब कुछ करोना की मार में।

फँस गया तू भी 'रमा' फरियाद रब से कर रहा,
ज़िदगी तेरी खड़ी है मृत्यु के कगार में ।

©RAMAKANT SHRIVAS #covidindia
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RAMAKANT SHRIVAS

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अद्भुत यह जीवन सकल , और अजब संसार।
दिया प्रकृति ने हमें , सुंदर सा उपहार।।

त्याग तपस्या और श्रम , सपने कर साकार।
खुद में खुद को ढूँढ ले , तुझमें शक्ति अपार।।
            *रमाकान्त श्रीवास*
                *कोरबा(छ. ग)*

                                    
                                    स्वरचित....... #creativeminds
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RAMAKANT SHRIVAS

राजिम म नहाके, डोंगरगढ़ म तै चढ़
भुइयाँ म लोट के संगी ,रद्दा नवां तै गढ़
गिर, संभल ,फेर थोड़कून आगे तो  बढ़
ऐला कथे बाबू नवां छत्तीसगढ़
खेलबो ,लड़बो, जितबो रे...
 जय जोहार, जय छत्तीसगढ़
                 रमाकान्त श्रीवास

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RAMAKANT SHRIVAS

    *जय बाबा गुरुघासी दास*

सत्य,निडर और साहस का पाठ पढ़ाया आपने
उलझन भरी जीवन को नयीं राह दिखाया अपने

तड़प रही थी दुनियाँ जब घोर अंधकार ब्याप्त निशाचरों से
खुद जलकर दूसरों को प्रकाशवान बनाया आपने

लड़ रही थी दुनियाँ छुआ-छूत और भेदभाव से
दुश्मनी भुलाकर मैत्री-भाव का हाथ बढ़ाया आपने
 
बुराइयों का रोग हटाकर  भलाई का ज्ञान फैलाकर
 अनेंकता में एकता का मंत्र देकर सदभाव का परचम भी लहराया आपने

कर्म की महत्ता"सप्त सिद्धांत" का दिया आपने उपदेश
ज्ञान की निर्मल गंगा बहाकर दूर कर दिये आपने समाज के सारे क्लेश

 सत्य,निडर और साहस का पाठ पढ़ाया आपने
उलझन भरी जीवन को नयीं राह दिखाया अपने

       *इंजी. रमाकान्त श्रीवास*
            *कोरबा(छ. ग.)* #still
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RAMAKANT SHRIVAS

*रहा न बापू का अब वो भारत*

बापू  ,अब क्या क्या मैं बतलाऊँ?
घायल देश की मिट्टी हमारी ,
मन है  व्याकुल ,मन है भारी 
गुनाहों की सूची, है लंबी सारी 
कौन कौन सी बात सुनाऊँ?
बापू  ,अब क्या क्या मैं बतलाऊँ?

अहिंसा का तूने पाठ  पढ़ाया
आज कोई इसे कहाँ याद रख पाया ?
अत्याचार ,जुर्म,और बलात्कार से  
 पापी ने कब रोक लगाया ?
 भारत अपने कुपूतों से शरमाया !
कैसे मैं  मन की पीड़ मिटाऊं ?
मन है व्याकुल ,मन है भारी 
बापू  ,अब क्या क्या मैं बतलाऊँ?

कहाँ है वो  कल वाला भारत ?
नम आँखों से करूँ  शिकायत !
झूठ,फरेब संग कानून  बिकाऊ
हर बार खुद को ही ठगा पाऊं 
मन है व्याकुल ,मन है भारी 
बापू  ,अब क्या क्या मैं बतलाऊँ?

निर्भया,प्रियंका ,मनीषा की बलि क्यों हर बार चढ़ेगी?
 ये कानून व्यवस्था बोलो कब अपने नींद से जगेगी?
सत्य,अहिंसा के गीत ,कैसे अब लब पर भी मैं लाऊँ ?
मन है व्याकुल ,मन है भारी 
बापू  ,अब क्या क्या मैं बतलाऊँ?

बापूजी ने देखा था एक सपना
बने भारत अखण्ड राष्ट्र  अपना
 गांव-गांव ज्ञान की गंगा बह जाये
सबका निर्मल स्वच्छ स्वाभाव हो जाये ,
अपने भारत पर तब मैं भी  वारी वारी जाऊं 
मन है  व्याकुल ,मन है भारी 
बापू  ,अब क्या क्या मैं बतलाऊँ?
               इंजी.रमाकान्त श्रीवास
                    कोरबा(छ. ग) #CalmingNature
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RAMAKANT SHRIVAS

चांद ने आकर कहा, खूबसूरत है तेरा हम सफर।
मासूम सी नजरें है उसकी, प्रेम में  भीगे अधर।।
हमने कहा फिर चांद से , थोड़ा तो सच  अब बोलिए।
आप अपनी परछाई से, मत मेरे हमसफर को तौलिए।।
हमने कहा अक्स तेरा, पड़ गया होगा किसी पहर।
इसलिए लगता है तुझको, खूबसूरत मेरा हमसफर।।

                                     --- रमाकान्त श्रीवास

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RAMAKANT SHRIVAS

तुम्हीं तो फूल हो , फिर ख़ार कैसा
बनाना इश्क को आजार कैसा

हमारी बात थी हमको बताते
ये हंगामा सरे बाज़ार कैसा

मुहब्बत गुफ़्तगू है दो दिलों की
बनाना फिर उसे अख़बार कैसा

कभी ख़त में भी लिखना बात कोई
ये सरकारी नहीं तो तार कैसा

चले आओ बनाना मत बहाना 
मुहब्बत में भला इतवार कैसा
              रमाकान्त श्रीवास

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RAMAKANT SHRIVAS

पैदा किया किसी ने , दिया किसी ने संस्कार
चलना सिखाया किसी ने ,किया किसी ने  खूब दुलार
साथ निभाया आपने ,जब था मैं निराधार
हाथ बढ़ाकर आपने , थाम लिया मेरी जिन्दगी का पतवार
मुझ पर रहेगा कर्ज , जिंदगी भर ये उधार
कैसे निभाउंगा , कैसे चुकाऊंगा किया जो आपने मुझ पर ये उपकार
सिर झुकाकर करता हूँ , हृदय से आपका आभार

         भारत की नारी अत्याचार है जारी
            फिर भी तूने हमें संभाला हम तेरे आभारी
🙏🙏 *HAPPY WOMENS DAY*🙏🙏
                     रमाकान्त श्रीवास
                            कोरबा

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RAMAKANT SHRIVAS

ऐ अपमान तूने मुझे क्या सीखा दिया
हँसते चेहरों को कैसे पढ़ना सीखा दिया
जाना तो था मुझे अपनी मंजिल की तरफ
सागर की लहरों ने देखो कैसे किनारा दिखा दिया
 ऐ अपमान शुक्रिया तेरा ,इस बच्चे को  तूने क्या से क्या बना दिया
अब गैरो पर नहीं खुद पर भरोसा कर जीना सीखा दिया
      मैं शायर  बदनाम..  

              इंजी. रमाकान्त श्रीवास
                     कोरबा( छ.ग)

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RAMAKANT SHRIVAS

मैं सोचता हूँ हमेशा क्यों न एक गलती और कर दिया जाये
तुम्हारे हँसते खेलते चेहरे को क्यों न बेनकाब कर दिया जाये
तुम इधर उधर मत देखो जानता हूँ मैं तुम्हें
तुम बोलो तो तुम्हारा भी हिसाब कर दिया जाये
तुम कोई दूध के धुले तो नहीं और न ही तुम कोई कोरा कागज
अगर लिखने बैठु तो पूरा अखबार भर जाये
                        इंजी.रमाकांत श्रीवास
                               कोरबा(छ. ग)

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