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tahirfatehabad0997
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Tahir Fatehabad

Searching Passion With Words❤ Tahir طاحر✍🏼

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Tahir Fatehabad

मौका मिला तो तेरी हथेली प आदाब लिखेंगे
जिस दिन लिखेंगे ख़त तुझे बेहिसाब लिखेंगे
फिरोज़ी चूड़ियों के टुकड़े, तेरी जुल्फ से लेकर
फक़ीर होने तक का सारा हिसाब लिखेंगे। #urdushayri #urduadab #love #tanharaat #tahirology
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Tahir Fatehabad

ਆਖਰੀ ਫੈਸਲਾ ਹੈ ਅੱਜ ਵੀ ਤੇਰਾ ਹੀ ਹੈ
ਵੇਖੀਂ ਮੁੜ ਗੱਲ ਕਦੇ ਨਾ ਸ਼ਮਸ਼ਾਨ ਚ ਬਦਲੇ। #shayri #nojotoshayri #punjabiadab #urduadab #tahirshayar
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Tahir Fatehabad

उन नीम बाज़ आंखों ने
काश इशारे वस्ल के किऐ होते
मुतमईन तो हैं तेरे गम से हम
हौसले ज़िंदगी जीने के भी दिऐ होते।

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Tahir Fatehabad

बेटी   मेरी बेटी
अगर तू मेरे दिल तक राह बना कर आ सके
तो आ और मिल मुझे
किसी जवान गुलमोहर के नीचे तुझे गोद में बिठाकर
ऐक दुनिया दिखाउंगा जहां मैने तेरे जिस्म की हर बूंद को महफूज़ रखा हुआ है
मेरी बेटी 
मैं तुझे नाज़ से पालता, तेरे तेज़ चलने पर तेरे पीछे भागना
डाल से बंधा झूला झुलाना
लुका छुपी के बाद जब तू थक जाती
और दफ़आतन मेरी गोद में सर रख कर कहती
'पापा! मम्मा पास जाना है'।
और वक्त हार जाता।
मेरी बेटी
मुझे माफ़ करना,
तू फकत मेरी कोख से जन्मी है, मां की कोख से नहीं
तेरा बीज बोआ गया था बंजर ख़ारी ज़मीन में
अच्छा हुआ तूने जन्म न लिया और बसी रही 
अपने बाप के ज़हन में, अपनी मां की यादों को तो तुम ने देखा ही होगा
और मैं भी तुम में उसी का अक्स देखता हूं।
ख़ैर अच्छा!
मेरी बेटी!
तू भी क्या अपने बाप की तरह लिखती है?
क्या तेरी हथेली पर भी कोई गिलहरी टिकती है?
काश आज तेरी मां हमारे साथ होती।
कभी मिला उसे किसी मोड़ पर, 
किसी और वतन में या किसी और जन्म में, तो उसे ज़रूर बतउंगा
'सुनो हमारी बेटी बिलकुल तुझ जैसी दिखती है।' #बेटी #ताहिर
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Tahir Fatehabad

#DearZindagi वो भी रोऐगा इक दिन जो रूलाऐगा
वक्त मरकज़ प वापिस लौट आऐगा।
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Tahir Fatehabad

दुनिया तुम्हें जिस्मानी, जज़्बाती और ज़हनी तौर पर चूर कर सकती है लेकिन कोई तुम्हारी रूह को निशां दे सके, किसी की इतनी औकात नहीं।

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Tahir Fatehabad

न पूछो बिखरे आऐ हैं कहां से हम
बस शिक्वा करेंगे इस जहां से हम

इक वक्त से कहीं प चैन नहीं पङा
जी रहे थे जहां इत्मिनान से हम।

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Tahir Fatehabad

 #urdushayri #oneofthebest
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Tahir Fatehabad

मुसलसल ज़िक्र तिरा कल शाम से आया
रोना आया आज फिर तेरे नाम से आया

कौन रो रहा है बाहर ये शोर कैसा है
कौन रूबरू होकर अपने अंजाम से आया #urdushayri #patialvi #sheroshayri #tahiran
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Tahir Fatehabad

कभी तदबीर न किऐ गऐ थे जो गम पेश आ रखे हैं
मेरा दिल रखने को तेरे शहर ने जो गुलमोहर खिला रखे हैं
शदीद होती जा रही है उम्र जो कटती जा रही है
मजीद होते जा रहे हैं जो मयखाने सजा रखे हैं।
•ताहिर•

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