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klmahobia1677
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K L MAHOBIA

दिल से बेगाने और दीवाने हुए हम

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K L MAHOBIA

#गजल:-देर से रोज आएं तो मैं क्या करूं ( के एल महोबिया ✍️)

#गजल:-देर से रोज आएं तो मैं क्या करूं ( के एल महोबिया ✍️) #वीडियो

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K L MAHOBIA

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ

उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ..................... ..।
चुप मत बैठो आज  द्रोपदी , तुम दुष्टों पे वार करो। 
काली चंडी दुर्गा बनकर तुम, कायर का संहार करो।
बहुत हुआ सदियों से रोना,  धैर्य नहीं अपना खोना।
चीर हरण होता है निसदिन ,माधव आज नहीं होना।
रोना धोना छोड़ो जग में ,रिपु दलन का विचार करो।
रोना  धोना  छोड़ो देवी,  अधर्मियों पर  प्रहार  करो।
उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ ........................।

इस कलयुग में कृष्ण नहीं है, जो चीरहरण पर आए।
दुष्टों से  पीड़ित मां बेटी ,   सब और  कहां पर जाए।
कितने दुशासन दुर्योधन है,प्रतिपल पगपग में मिलते।
लूटे अस्मत को पग पग में ,नारी   को   नोचे  दलते।
देख रही वहशी दुनिया को , है  उनसे तकरार  करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

अंधायुगों के काले रक्षक , बांधा नियमों में जकड़ा।
घर मान मर्यादा लज्जा से, लक्ष्मी कह  बांधे पकड़ा 
देख रहे नारी को अस्मत ,  मर्दित बहुतेरे  जग  में।
छोड़ो शर्म हया  मत  गाओ , वनिता मादक नग में।
भीष्म द्रोण मानवता रिपु ,भेद असिअस्त्र पार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................।

पढ़ी लिखी नारी होकर भी, पग को बांध रोके मौन। 
अभीष्ट अधिकृत शील दर्पण , मान देना चाहे कौन।
घर अंदर रिपु छुपे हुए हैं ,विष और नहीं अब पीना।
आंखों से आंसू रोको तुम, कर संघर्ष  जग में जीना।
आंचल में पय आंखों में जल, छोड़ो सीमा पार करो।
विवश लाचारी से उठो तो,जागो तनिक विचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

देखो तुम द्रोपदी द्वापर में , खींच  केश  दुश्शासन ने।
सजा दिलाने भारी प्रतिज्ञा ,बांधे छाती लहूछालन से।
मान मर्यादा की क्या व्यथा, आज़ कहां लवलीन हुई।
कामुक सुंदरी बनकर डोले, जगत मर्यादा  हीन  हुई।
जीवन की आजादी क्या है, समझों जीवन रार करो।
ललना लज्जा की सीमा से, अवसाद न हजार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ .......................,,।

जीवन में कुछ निर्णय भी , पीड़ा  पहुंचाते  मन  को।
नहीं डोलना कामिनी बनके, ढांके रखना है  तन को।
अपने प्रहरी रक्षक खुद ही, मत बन अभिसारी नारी।
वदन ढांक अपने वसनों से, पार  हुई  जग हद सारी।
लक्ष्मण रेखा में रहने को ,आत्म मथित विचार करो।
जो डाले अस्मत में डांका , मार खड्ग उपचार करो।
उठो द्रोपदी ,अस्त्र उठाओ ........................,,।
     सर्वाधिकार सुरक्षित 
   के एल महोबिया ✍️ 🙏

©K L MAHOBIA #कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ।  ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी

कविता :- उठो द्रोपदी अस्त्र उठाओ। ( के एल महोबिया ✍️) प्रेरणादायी कविता हिंदी

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K L MAHOBIA

गीत गजल :- जब न देखूं तुझे 
    के एल महोबिया ✍️

गीत गजल :- जब न देखूं तुझे के एल महोबिया ✍️ #लव

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K L MAHOBIA

White झुलसती धरती दौषी कौन 

धरती को स्वर्ग  बनाने वालों,इससे जीवन को खतरा है।
तपती धरती गर्मी देखो भस्मासुर सा जलता दोषी कौन?
विकसित नगर बनाने वालों ,दरख्त  आज मिटाने वालों
जीवन जाए बनके स्मृतियां चुप क्यों बैठे हो साधे मौन?

धारा हुई गरम अब तुम देखो, झुलसा फिर जगमानव है।
काट काट कर नग्न नाच रहा बना आप खुद से दानव है।
आग लगी धरती पर देखो, झुलस रहा घिर जनजीवन है।
कब जाकर अब ये ठहरेगा बना भस्मासुर खुद जीवन है।
पशु पक्षी का जीवन बूंद बूंद जल को तरस रहा ये देखो।
आग लगी धरती पर सिकता सुखी नदियां यह भी देखो।

कल कल करती नदियों झरनों संगीत प्रकृति ने खोया है।
घट रही प्राणवायु ये मानस धरती पर प्राणों हित रोया है।
घटती जीवन की सांसें  कितने कोरोना रोग फिर जन्मेंगे।
नहीं रुक तुम देखो जीवन के लिए पल-पल फिर तड़पेंगे।
विकसित नगर बनाने वालों , दरख्त  आज मिटाने वालों
वायु पानी माटी और ध्वनि पर मंडराता जीवन खतरा है।

पोषण आहार विकार हृदयाघात विषाक्त पौन रुके सांस।
धरती मरघट रेती बंजर भूआपदा पहाड़ो में बाढ़ विनाश।
रोटी पानी कपड़ा प्रकृति संसाधन घटते भस्मासुर कौन?
जीवन जाए बनकर स्मृतियां चुप क्यों बैठे हो साधे मौन?

   के एल महोबिया

©K L MAHOBIA
  #दिल की कलम से:- के एल महोबिया

#दिल की कलम से:- के एल महोबिया #कविता

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K L MAHOBIA

White सांस  लेकर  आया बंदा  तू सांस  छोड़ जाएगा। 
जिंदगी का नहीं  भरोसा यूं  आप  छोड़ जाएगा।
दुनिया में धन दौलत के दीवानो ये सुन लो जरा
जग में खाली हाथ आया है खाली हाथ जाएगा ।

पल दो पल का जीवन है पंछी आप छोड़ जाएगा
दौलत पे  भरोसा करने  वालों  साथ नहीं जाएगा 
जग को भूल से अपना कहने वाले जानो तो जरा 
पंछी   एक  अकेला आया अकेला छोड़ जाएगा।

©K L MAHOBIA
  #दिल से
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K L MAHOBIA

White रास्तों   के  पत्थरों   मुझको   डराना   छोड़ दो।
जानकर  कमजोर  तुम मुझको डराना छोड़ दो।
फूल सा कोमल समझ  कितने दिनों  से  छेड़ ते 
सोच  ले अंजाम को  तुम  फिर सताना छोड़ दो।

©K L MAHOBIA
  #दिल से
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K L MAHOBIA

White ईश्वर है और नहीं भ्रम में किते साल गुजार दिए। 
तेरी श्रद्धा कितनी है चल दिखा और उतार हिए।
भूखे जो बैठे हैं हुए कितने श्रद्धालु हैं उनसे पूछो 
है और नहीं के चक्कर में हमने जीवन पार किए।

   के एल महोबिया

©K L MAHOBIA
  #दिल से
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K L MAHOBIA

Black दिल के आइने में 
तस्वीर सजा तेरी
अपना चेहरा देखते ही 
तुम नज़र आती।
जबाब तेरा क्या है 
कह दें कमसिन मेरी 
रात गुजर जाती।

के एल महोबिया

©K L MAHOBIA
  #दिल से
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K L MAHOBIA

White प्यार  तुमको निभाना नए साल में।इश्क का वो  दिवाना नए साल में।
लोग मिलने लगे फिर बड़े चाल में।भूलकर दिल खिलाना नये साल में

रोज बहने लगी यूं  फिजा आप हीबाग खिलने लगाना  नए साल में।
शोर में   दिल जमें है  बचा आदमी मौत से खुद बचाना नए साल में।

आशिकी आदमी की पड़ी है खफा ख़ास कहना यहां ना नए साल में।
खूब महफ़िल जमी है खबर वक्त मेंलोग करते  बहाना  नए  साल में।

बात करना नहीं जो निभा ना सकोभूल करना   बताना   नए साल  में।
शाम का दौर जारी  रहा रात भरगैर तो  को  भुलाना नए साल में।

भूल सकता नहीं दर्द जो है दियालौटकर आज़ आना नये साल में।
जो बसर में नहीं फिर वो गये कहां ढूंढ कर  फिर बसाना नए साल में।

खौफ में जीत जाते सदा ही वहीरात करवट कराना नए साल में।
लोग मिलते हमेशा खुशी के लिए छोड़  देना  सताना नये साल में।

      के एल महोबिया

©K L MAHOBIA
  #दिल से :- के एल महोबिया

#दिल से :- के एल महोबिया #शायरी

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K L MAHOBIA

White यह दुनिया नहीं होती तो ,दीवाने  कहां  जाते। 
गर तुम नहीं होती कहने ,अफसाने कहां जाते।

शुक्रिया ऊपर वाले तेरा,जो ये दुनिया बना दी।
इधर शमा ही नहीं होती  , परवाने कहां जाते।

अलक चहरे में भ्रमर बन, होंठों के रस चखे है 
जो तुम नहीं होती मधु के,मस्ताने  कहां जाते।

दिल गमों सितम नहीं होते, मेरे शहरों बसर में 
दिलों में गमी नहीं होती, मयखाने कहां  जाते।

बड़ी ये दिलकशी है जमीं, लाज़बाबे गुलाब है
 हुस्ने शबाब नहीं होती, हम जाने कहां जाते।

के एल महोबिया

©K L MAHOBIA
  #दिल❤ से

दिल❤ से #शायरी

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