कुछ तो बात हैं शब्दों में आखिर चलते चलते थम सा जाता हूँ न पकड़नी होती मछलियां जीने को तो इस समुन्द्र में डूब ही जाता मैं ख्वाइशों के इस सपने में एक हकीकत बस यही हैं प्यार हैं शब्दों से मुझे लिखता हूँ बस अपने लिए यूँ तो खामोश रहना पसंद हैं मुझे पर हो अगर कोई उदास तो अक्सर ही बोल जाता हूँ मैं....
Acs Tarachand Nokhwal
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