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thakuratulkumars9641
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Thakur Atul Kumar Singh

love to motivate people for noble cause

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Thakur Atul Kumar Singh

it's really easy to skip the trust and responsibilities and give less priority to our work but it really defines your values, commitment and the habits that your learnt from your background, family and friends and surely likewise it will make your future

©Thakur Atul Kumar Singh
  #responsibility
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Thakur Atul Kumar Singh

दरिया तेरी अब खैर नही ।
बूंदो ने बगावत कर ली है।
नादान ना समझ बुजदिल इनको।
लहरो ने बगावत कर ली है।
हम परवाने है। मौत समा ।
मरने का किसको ख़ौफ यहाँ।
रे तलवार तुझे झुकना होगा।
गर्दन ने बगावत कर ली है।

©Thakur Atul Kumar Singh #bagawat
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Thakur Atul Kumar Singh

if u stand behind me 
"i will PROTECT u"
if u stand beside me
"i will RESPECT u"
but
if u will stand against me
"i will not show any MERCY"

©Thakur Atul Kumar Singh
  #tgoughts
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Thakur Atul Kumar Singh

अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।
पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥

अर्थात् : आठ गुण मनुष्य को सुशोभित करते है – बुद्धि, अच्छा चरित्र, आत्म-संयम, शास्त्रों का अध्ययन, वीरता, कम बोलना, क्षमता और कृतज्ञता के अनुसार दान।

©Thakur Atul Kumar Singh
  #गुण
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Thakur Atul Kumar Singh

श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन ||
श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुंडलेन , दानेन पाणिर्न तु कंकणेन , विभाति कायः करुणापराणां , परोपकारैर्न तु चन्दनेन।।      अर्थात् :







कानों की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है | हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं न कि कंकणों से | दयालु / सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है |

©Thakur Atul Kumar Singh #विचार

विचार

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Thakur Atul Kumar Singh

*...द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण" ने अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि, हे पार्थ तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना, तो अर्जुन ने कहा, "हे प्रभु " सबकुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे, ???  *वासुदेव हंसते हुए बोले, हे पार्थ जो आप से नहीं होगा वह में करुंगा, पार्थ ने कहा प्रभु ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता, ??? वासुदेव फिर हंसे और बोले, जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली का निशाना साधोगे, उस विचलित "पानी" को स्थिर "मैं" रखुंगा !!*  *कहने का तात्पर्य यह है कि आप चाहे कितने ही निपुण क्यूँ ना हो, कितने ही बुद्धिवान क्यूँ ना हो, कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यूँ ना हो, लेकिन आप स्वंय हरेक परिस्थिति के उपर पूर्ण नियंत्रण नहीँ रख सकते.....   आप सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो, लेकिन उसकी भी एक सीमा है और जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभलता है उसी का नाम "भगवान है ....... 🏹*   जय *जय श्रीराधे कृष्णा ..🙏🙏*

©Thakur Atul Kumar Singh
  जय श्री कृष्णा

जय श्री कृष्णा #विचार

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Thakur Atul Kumar Singh

नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)
हिंदी अनुवाद: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है।
English Translation: Weapons cannot shred the soul, nor can fire burn it. Water cannot wet it, nor can the wind dry it.

©Thakur Atul Kumar Singh
  #geetagyan
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Thakur Atul Kumar Singh

न निर्मिता केन न दृष्टपूर्वा न श्रूयते हेममयी कुरङ्गी । तथापि तृष्णा रघुनन्दनस्य विनाशकाले विपरीतबुद्धिः

©Thakur Atul Kumar Singh
  श्लोक

श्लोक #विचार

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Thakur Atul Kumar Singh

#whatreallymatters
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Thakur Atul Kumar Singh

#victory
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