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rudrashandilya6395
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Rudra chhattarpal singh shandilya

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Rudra chhattarpal singh shandilya

करना है तो अच्छे से करो
 किनारों में क्या  रखा है 
प्यार करना है तो गोंडवाना में करो 
इसारो में क्या  रखा है जोहार gsu

©Rudra chhattarpal singh shandilya #रूद्रकिकविताएं 

#sunrays
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Rudra chhattarpal singh shandilya

दूर के आवाज़ भी सुहावने होते हैं 


मैं नदियाँ किनारे बैठा था ,
शाम होने को था, 
दुर दुर से पेड़ पौधे की सर - सर आवाज़ भी दूर से सुनने पर सुहावने लग रहे थे। 
चिड़ियों का चहकना, 
झरना नदियों का खलखल बहना, 
दुर से सुनने में बहुत ही सुहावने लग रहा था। 
मानों हमें कुछ कह रहे हैं 
ऐसा लग रहा है, 
प्रकृति हमें जीना सीखा रही है।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya #रुद्रकिकविताएं
#sharadpurnima
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Rudra chhattarpal singh shandilya

कल एक पहाडों पर चढ़कर कुछ देख रहा था, 
                    ओ कहीं गुनगुना रही थी, 

फिर ढूँढा इधर उधर 
फिर देखा ओ मुस्कुरा रही थी 
मैं देखता ही रहा 
ओ कुछ मुझे समझा रही थी 
मैं कुछ सझम नहीं पाया 
ओ हँसी और बोली - मैं जिंदगी हूँ 
तुझे जीना सीखा रही थी।। 

प्रकृति बचाओ संस्कृति बचाओ

©Rudra chhattarpal singh shandilya #रूद्रकिकविताएं

#Butterfly
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Rudra chhattarpal singh shandilya

आज मैं सूबह उठा ,
सोचने लगा दुनिया के बारे में,
कैसे जाते हैं हम 
कैसे लगी रहती ये प्रकृति हमारे सहारे में ।
मैं टहल रहा था सड़क पर ,
और हवा की ठंडी झलक आयी ,
सूरज अब निकलने को था ,
चिड़ियो की आवाज़ कहीं दूर दूर तक आयी।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#sunrays

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #sunrays #कविता

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Rudra chhattarpal singh shandilya

क्या हुआ अगर थोड़ा सा मिट्टी कपड़ो पर लग गया तो 
मिट्टी का शरीर मिट्टी में ही मिल जाएगा 
पत्थर दिल इंसान देखें हैं मैंने जैसे पत्थर ही हो 
मगर वक्त आने पर पत्थर भी मिट्टी हो जाएगा 
मेरे बारे में उसने ने खत लिखी थी 
फिर क्या मैंने खत जला दिया मिट्टी हो गया 
मिट्टी का शरीर मिट्टी में मिल जायेगा 
तुझे खबर भी न होगी कब मिट्टी हो गया 
मैंने आज स्याही से लिखा है इस गजल को 
दवात जमीन पर गिरा सब मिट्टी में मिल गया 

मिट्टी का शरीर मिट्टी में मिल जायेगा।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#Trees

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #Trees #ज़िन्दगी

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Rudra chhattarpal singh shandilya

जिस जंगल के संग मैं बड़ा हुआ
उसको मैं कैसे छोड़ दूं।। 


जोहार प्रकृति जोहार आदिवासी

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#BooksBestFriends

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #BooksBestFriends #विचार

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Rudra chhattarpal singh shandilya

मेरे पिता ने मेरे सामने इस जल, जंगल, जमीन की रक्षा किये हैं
यह मेरे पुरखों का जंगल है और मेरे पिता ने कहे हैं मेरे चले जाने के बाद तूम सब इस जल, जंगल, जमीन की रक्षा करोगे।। 


जय आदिवासी

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 
#NatureLove

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #NatureLove #जानकारी

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Rudra chhattarpal singh shandilya

चलते चलते कहीं रूका ,
तो कुछ जानने वाले मिले ,
तो लगा कितनी छोटी सी दुनियां है ,
जब जानने वालों ने पहचाना नहीं ,
तो लगा की इस छोटी सी दुनियां में 
हम कितने छोटे हैं।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#sharadpurnima

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #sharadpurnima #ज़िन्दगी

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Rudra chhattarpal singh shandilya

हम बच्चे गोंडवाना के,
ऐसा कुछ कर जाएंगे, 
हमें भी दूर दूर तक लोग याद रख पाएंगे, 
जन्म लिया इस गोंडवाना भूमी पर ,
इस भूमी का ऋण चुकाएंगे, 
नया प्रकाश नई रोशनी चारो ओर फैलाएंगे, 
हम बच्चे गोंडवाना के, 
गोंडवाना भूमी में हम जन्म लिए, 
नहीं भुले हम उनकी कुरबानी जिन्होंने हमें रास्ता दिखाया, 
उनकी कुरबानी व्यर्थ न जाने देंगे, 
हर सपना सकार कर दिखायेंगे ,
भ्रष्टाचार,गरीब को मिटा कर तरक्की की राह पर ले जायेंगे।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#Mic

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #Mic #कविता

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Rudra chhattarpal singh shandilya

आदिवासी हैं हम ,गर्व करो आदिवासी होने पर 
सम्मान देना , दिलाना कर्तव्य है हम पर 
      खत्म हुआ विदेशी शासन 
           अब तोड़ो बेड़ियो को 
तहे दिल से अपनाओ अपने संस्कृति को 
  पर न छोड़ो गोंडवाना धरती के प्यार को 
                  आदिवासी पहचान है हमारी 
इस पर न्यौछावर करो ज़िन्दगी सारी।। 

                                   रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य  ✍️

©Rudra chhattarpal singh shandilya #LifeCalculator
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