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divakar9342
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divakar

ना राज है..... "ज़िन्दगी" । ना नाराज़ है...."ज़िन्दगी" । बस जो है,वो आज है "ज़िन्दगी"....!!!

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divakar

नमी आंखो मे आने को बेताब हो गई
हंसती हुई मेरी शायरी जैसे अजाब हो गई
उसने जो ना हाल मेरी गजलों का पूछा 
सच कहूं लफ्जो की तबियत खराब हो गई
नमी आंखो मे आने को.....

वक्त के हिसाब से तेरा सवाल अच्छा था
ऐसा भी नही तुझसे मिलने से पहले मेरा हाल अच्छा था
बस हमने अपनी गम को छुपा रखा था
तुमसे मिलकर फितरत मेरी बेनकाब हो गई 
नमी आंखो मे आने को ......

खामोशी मेरे चेहरे पे जचने लगी थी
उम्मीदों से ये धड़कन बचने लगी थी
तुम आए तो देखा था बहुत कुछ बदला सा
इंतजार बनकर इन आंखो मे आब हो गई
नमी आंखो मे आने को .......

                                        दिवाकर पाण्डेय ✍️

©divakar
  #lonely
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divakar

मेरे दिल को छू कर वो मेरी रूह में ठहर जाती हैं..
मैं थाम के जो पूछू वो पल भर में मुकर जाती हैं.!
मैं सारी रात बैठा रहा उसके ही ख्यालों में ...
बस उसके ही ख्यालों में मेरी रात गुजर जाती हैं!

हुआ असर है आंखो पे तुम्हे कैसे बयां करू ..
देखू में जहां जहां बस तू ही नजर आती है..!
कैसे भी करके सांसों को मैं संभाल लेता हूं..
तू फिर भी आखों के रास्ते मेरे दिल मे उतर जाती हैं..!

मैं बेनाम शायर लिखता हु कन्हां लिखना आता है मुझे ..
जो सबके दिल को है छूती वो लफ्ज़ मेरी गजलो में बिखर जाती हैं..!
मेरी अधूरी मोहब्बत पे बड़ा गुमान है मुझको.. 
कहते है मुकम्मल होके अक्सर मोहब्बत मर जाती हैं..!
देख लो आके तुम भी दिवाकर की गुमनाम दुनिया
सुना है यनहां आके बिगड़ी मोहब्बत सुधर जाती हैं..!
    
                                           दिवाकर पाण्डेय ✍️

©divakar
  #intezaar #दर्द
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divakar

मेरे लिखने से क्या ?
तुम पढो तो कोई बात बने...

मेरे सोचने से क्या ? 
तुम समझो तो कोई बात बने....

मै चुप हूँ तो क्या ? 
तुम कुछ बोलो तो कोई बात बने....

मेरे चाहने से क्या ?
तुम एहसास करो तो कोई बात बने...

फूल हूँ तो क्या..?
तुम खुशबू बनो तो कोई बात बने.....

मै बैरंग हूँ तो क्या ? 
तुम रंग भरो तो कोई बात बने....

मै निराकार हूँ तो क्या ?
तुम साकार करो तो कोई बात बने....!!


                                        : दिवाकर पाण्डेय✍️

©divakar
  #Relationship #ishq
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divakar

मैं बहुत इतराता हू आजकल 
खुद को तेरा जो बताता हु आज़कल
आजकल ना जाने क्यू लोग हंसते हैं मुझपे 
मैं तो बस तुम्हें सोच कर मुस्कराता हु आजकल 
बस तेरी तस्वीर रहती हैं आँखो मे मेरी 
ओर सब कुछ फिर मै भूल जाता हु आजकल 

 कहां रास आता था मुझे यू बारिश से ऊलझना 
खुद को तेरे ईश्क मे भीगाता हु आजकल 
सुनती हैं हवा भी ज़रा दिल को थाम कर 
किस्से तेरे हुस्न के जो सुनाता हु आजकल
बदस्तुर जारी हैं मेरे लफ्जों का बहकना 
कलम को जो तेरी मोहब्बत पिलाता हु आजकल 

बे पता सा में कोई मेरा गर पता पुछे 
तेरे ही दिल का अब रास्ता बताता हु आजकल 
पुछोगे नही मेरी शायरी का सबब 
इश्क की दुनिया मे में जाता हु आजकल 
खुदा खुद से मेरे अब लापता से हो गए 
दुआ मे हाथ उठे सामने तुमको ही पाता है आजकल 
नही आता मुझे आँखो मे आंखे डाल के कहना 
हाँ हैं बस तुमसे मोहब्बत लिख कर बताता हु आजकल 
मुझसे गर मिलना है कभी तो आ ज़ाना मिलने 
कहीं ओर नही आपके दिल मे पाया जाता हु आजकल

©divakar
  #Chhuan #ishk
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divakar

मुँडेर पर बैठा अकेला चाँद,
उदास सा है...
देहरी पर बिखरी एक आहट,
मरने लगी है...
आँगन में,
तुलसी के पौधे...
मुरझाने लगे हैं...
दीवारों में,
युगों से धड़क रहा था जो
टूटने लगा है...!!

सुबह की ओस में... इतनी जलन क्यों है...

कही ये सपनो के बिखरने
जीवन के टूटने
स्मृतियों के मरने
वादों के अनंत आकाश के सिमटने
और....
सांसों के अनंत में विलीन होने 
का 
मौसम तो नही....???

©divakar
  #Shajar
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divakar

कभी माथे से लगाता हूं कभी राख लिखता हूं
कभी टुकड़े कर देता हूं दिल कभी मौन साख लिखता हूं
लिखने वालो ने लिख दिए कलाम अपनी मोहब्बत मे
मैं बस बाते करता हूं और क्या खाक लिखता हूं
कभी माथे से लगाता हूं....

जिंदगी मुझसे और मैं लफ्जो से खेल रहा हूं
गाड़ी मझधार मे देखो गजलों से धकेल रहा हूं
हां झेल रहा हूं क्योंकि हकीकत मे फेल रहा हूं
अपने बिखरे हुए मन खुदा का इंसाफ लिखता हूं
मैं बस बाते करता हूं और क्या खाक लिखता हूं
कभी माथे से लगाता हूं....

ना तन्हा छोड़ता है गम रगो में ढोडता है गम 
नज्मों से खुद को जैसे बनाता हूं मुझे फिर तोड़ता है गम
बेवफा शायर मेरी नियत मे भी है बेवफाई
ख़ामोशी बड़े शौक से खुद को मैं पाक लिखता हूं
मैं बस बाते करता हूं और क्या खाक लिखता हूं 
कभी माथे से लगाता हूं....
   
                                        दिवाकर पाण्डेय ✍️

©divakar
  #DiyaSalaai
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divakar

कैसे हो तुम चंदा मामा
हाल पूछने आये हम ! 

कहते हैं तुम सदियों पहले 
धरती से ही आये थे 
इस वीरान जगह पर आकर
अपना भवन बनाये थे 

अब तक तो तुमको बस केवल 
लोरी में सुन पाये हम ! 

कोई कहता था सुन्दर हो 
कोई बस परछाईं हो 
हमने बचपन से यह जाना
तुम मम्मी के भाई हो 

इतने दिनों बाद आये हैं 
फिर भी कब घबराये हम ! 

स्वागत करो हमारा, देखो
मथुरा कासी आये हैं 
सारी दुनिया को बतला दो 
भारतवासी आये हैं 

देखो अपने साथ निशानी 
एक तिरंगा लाये हम ! 

                - दिवाकर पाण्डेय ✍️

©divakar
  #akela #चंद्रयान_3 #चंद्रमा
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divakar

बिखेर दे मुझे चारों तरफ़ ख़लाओं में
कुछ इस तरह से अलग कर कि जुड़ न पाऊँ मैं..!

©divakar
  #Parchhai
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divakar

हमीं लोगों ने बचा रक्खा है रातों का वजूद
शहर   वाले   तो   अंधेरा  नहीं   होने   देते

©divakar
  #ranveerdeepika
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divakar

इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान 
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान

©divakar
  #IndependenceDay
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