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khushbookumari7204
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Parinita Raj "Khushboo "

काव्यम शरणम गच्छामि

https://youtu.be/t37weL9Jv9A

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Parinita Raj "Khushboo "

कुबूल करिए आदाब जनाब 
🌼.....................................🌼

कब से कब तक याद रखें हमें आप
स्वीकार करिए  शुक्रिया जनाब

 अनजान थे अनजान हैं 
मगर जान- पहचान रखें आज तक आप 
लगता ऐसे कि अनजान अब नहीं रहे हम जनाब 

इतनो की भीड़ में पहचान लिए हमें आप 
कुबूल करिए मेरा आदाब जनाब

 पुरस्कार तो काव्य के सिवा दूसरा कोई बड़ा मैं दे नहीं सकूंगी आपको
 हंसकर हो या रोकर हो या मुंह बिचकाकर हो
 कुबूल ही कर लीजिए जनाब 

जब मिलेगी फिरसे ये "परिणीता"
 कोई आपकी महफिल में तो......
 एक मुस्कान आपको अपनी जरूर दे जाएगी जनाब 

इतनी गुजारिश है
 इस मुस्कान को बस 
औरों की मुस्कान से तुलना मत करना जनाब
🙏🤗🌼🤗🙏

©Parinita Raj "Khushboo "
  #chaand #muskan
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Parinita Raj "Khushboo "

🤱🌋""संबोधी महफिल""🌋🤱 

और भी बड़ा हुजूम्ब हो यहां
 और भी बड़ा कुटुंब हो यहां

दिन दूनी रात चौगुनी उमंग हो यहां 
करोड़ों से भी अधिक का फितूर हो यहां

 किसी से किसी का ना गिला शिकवा हो यहां
 सभी में अलग जुनून हो यहां

सभी में छाया गुरूर हो यहां
 एक अलग दुनिया सा नूर हो यहां 

संबोधी महफिल जगत का ऐसा कोहिनूर हो यहां
 आनंद -उत्सव के साथ ज्ञान का जिसका सुरूर हो यहां

 "संबोध महफिल का गुरुर"
 सभी का महबूब हो यहां

 और संबोधी महफिल खुद
 कोने -कोने में मशहूर हो यहां

©Parinita Raj "Khushboo "
  #meraclass
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Parinita Raj "Khushboo "

नया शब्द
  नया विचार

नया मिजाज
 नया पोशाक

कल्पना जगत के उसी प्रियतम
 "सागर" के नाम 

आने वाला है .....
परिणीता राज  का एक और किताब

** **जिंदगी जिंदाबाद** **
📒📒📒📒📒📒📒

©Parinita Raj "Khushboo "
  #WForWriters #writers
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Parinita Raj "Khushboo "

पीली ड्रेस वाली मैडम
🤗🤗🤗🤗🤗🤗


महफिल ये गुलजार थी 
सबो के लबों पे मुस्कान थी

 एक भी मन नहीं हतास थी
 हर मन उमंगीत एक बहार थी 

काव्य -गीत- ग़ज़ल का ऐसा नजारा 
महफिल फूल गुलाब थी

 एक युगल का जो था "शादी का वर्षगांठ"
महफिल का इससे तो मिजाज और भी बाग-बाग थी 

ऊपर से कुछ सम्मानीय सदस्य 
विधायक महोदय और पूर्व आईएएस का आना
 क्या कहूं महफिल का क्या ही शान थी

 बच्चों का वो अचानक से आना
 रामकथा का नृत्य दिखाना
 और सबका मन हरसाना 
वाह क्या दृश्य लाजवाब थी

क्या कहू ..........
क्या बात थी

फूदक रहे थे सारे आगन्तुक
और मैडम वो पीली ड्रेस वाली (रीना मैडम)
हजार सितारो के बीच बैठी लग रही जैसे चाँद थी

©Parinita Raj "Khushboo "
  #Tuaurmain #love
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Parinita Raj "Khushboo "

सिर्फ कह देने से 
कोई बात नहीं होता 

रिश्ते का नाम देने से 
कोई रिश्तेदार नहीं होता

 अपने ही मुख से....
 प्रशंसा का कोई लाभ नहीं होता 

खुश रहना अलग बात है 
और खुश रखना अदब सा 'राज' है 

जिस 'राज' का खजाना तो केवल 
"संबोधी महफिल" के उस गुलदस्ते के पास है 

जिस गुलदस्ते को ........
"संबोधि महफिल" के रंग -बिरंगे फूल बुलाते
 कहकर **राज- राजेश -राज** है

©Parinita Raj "Khushboo "
  #Likho #likho
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Parinita Raj "Khushboo "

कुछ न रहा है बाकी
 पहन ली है जबसे खाकी ||

सोच में आए जब किताब बन साकी 
कर्तव्य खाकी का हर बार वहां ताकी ||

सपनों के खातिर कुछ ना रहा बाकी
 स्वप्न सजाओ जब तो डंडा आकर झांकी||

 सना हाथ शुद्ध प्रेम में जिसका
 कहलाता यहां वह भी पाकी ||

हिम्मत तो है आज भी बाकी 
मगर यहां का छूटता ही नहीं कभी नाका- नाकी||

 दर-दर सर झुकाकर गैरों के आगे भी
 छुट्टी हमारा बिन कांटे ही रह जाता
" पन्नो  में ही बाकी "||

 पहन ली जबसे खाकी
 समय कहां अपनों के खातिर बचा यहां बाकी||

©khushboo kumari
  #Nofear #khaki wardi
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Parinita Raj "Khushboo "

पहली ही मुलाकात में भा गई आप 👌
पहली ही  मुलाकात में दिल में छा गई आप 💓

है तो उम्र में दो -चार साल छोटी मुझसे आप🧘‍♀️
 मगर दोस्त से दिल में उतर गई आप 💃

मैंने जो करी शुरू काम चंद दिनों से ही 🌼
उसकी तो कारीगर निकली आप🌟👑

 मेरे सजन की तस्वीर सजाने की मुझे नई कई कला सिखाएंगी🍬
 ऐसा कहके तो मुझे खुशी की चांदनी बना गई आप🎇

 जिस शहर का कोई भी हिस्से से मुझे मोहब्बत नहीं हुआ आज -तक😙
 उस शहर की मोहब्बत की महफिल बन गई हैं आप💞

 बंद आंखों से चूम रही मैं आपका हाथ 💋
जिसमें छुपी है कला हजार 🤝

पलकों की तरह संभलकर रहने वाली👩
 मेरी गजलों की तरह चमकते रहना आप 👸💎👸

कद्र उतनी नहीं आपकी कारीगरी का यहां
 जितनी होनी चाहिए 
👍👍👍👍👍👍👍

मगर मेरे लिए मेरी दोस्त से ज्यादा
 आज से "गुरु "हुई आप
🙏🙏🙏🙏🙏

©khushboo kumari
  #citylight #dost♥️
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Parinita Raj "Khushboo "

आपके नाम

 प्रशंसा का इतना दीवाना मत होइए
 कि कर्तव्य पीछे छूट जाए

 कर्तव्य को प्रशंसा के लिए कभी न कीजिए 
कि वो प्रशंसा भी धूमिल हो जाए 

लफ्ज़ तो आग्रह पर कह देगी आपको अति सुंदर
 मगर दिल से जबरदस्ती ना कीजिए 

कर्तव्य की निखार शब्दों की आवाज बनती है 
कर्तव्यनिष्ठ व्यवहार काव्य की पोशाक बनती है 

कर्तव्य का प्रशंसा के लिए तिरस्कार न कीजिए
 काव्य मेरी जीवन की पूंजी है 
जिसे मैंने समर्पण, त्याग और प्रेम से पाई है

 इस काव्य पर जबरदस्ती का हुकूमत ना कीजिए 
अच्छा यही होगा आप अपना काम कीजिए

 दिखेगा कभी जब फिर कर्तव्यों की दुनिया में आपकी अद्वितीय योगदान 
जब कराएगा कर्म ही आपसे आपका मेरी पहचान 

वादा करती हूं आपसे
 उस दिन जरूर करूंगी एक और काव्य आपके नाम

©khushboo kumari
  #kabita
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Parinita Raj "Khushboo "

महफिल तुमसे गुलजार सी थी
मन की चिंता सदाबहार सी थी

 तेरा निरंतर जाना वहां 
मेरे लिए वो खुशियां अपार सी थी

 अबकी बार उपहार स्वरूप तुमने क्या छोड़ा वहां
 यह सब जानना मेरे लिए उत्साह सी थी

 बड़ी तकदीर वाली थी मैं
 जो अजनबी होकर भी तेरी "वाह" सी थी 

तेरा जाना गवारा लग रहा है
 तुमसे ही वो संसार कुतुबमीनार सी थी 

भले मुलाकात ना हुई थी कभी हमारी -तुम्हारी 
मगर तेरी हर अल्फाज और हर अंदाज मेरे लिए खुली किताब सी थी

 तेरा उनके द्वार जाना और सजावट  से उनका कमरा सजाना 
तेरी यह सब चुप्पी भी मेरे लिए अखबार सी थी 

अपनी जीवंतता की मौत पर भी तेरी खामोशी की खबर 
पीड़ा ये मेरे लिए उस समय सहन के पार सी थी

 तुमसे उस दिन बहुत कुछ कहना चाहती थी मैं 
अफसोस मगर कि तेरी प्रत्यक्ष कोई पहचान से भी तो मैं अनजान सी थी

 फिरभी कहती हूँ........
 तेरी उनसे दीदार का होना ही
 हर दीवारों को तोड़ने का संकेत था 

तुमने उसे फिर क्यों पहचाना नहीं
 तेरी किस्मत तो नहीं बाकियों की तरह वीरान सी थी

©khushboo kumari
  #Moon
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Parinita Raj "Khushboo "

👮👮👮👮
हमारी पूजा मैडम
👮👮👮👮

लफ्ज से शख्सियत हिला दे 
मीठी -मीठी बातों से भी कर्तव्य याद दिला दे
 झूठी अल्फाज का निशान मिटा दे 
सोई आत्मा में भी तूफान सी जोश जगादे
 अंधियारे मन में रोशनी फैला दे 
भाई -बहन के लिए खुद को अध्यापिका बना दे 
और हर बड़े -छोटे पदाधिकारियों में एक सामान की भाव बना दे 
हां.............. 
कुछ ऐसी ही है हमारी "पूजा मैडम"
 जो बिन दहाड़े जुर्मियो का कलेजा कपा दे 
और बेगुनाहों के लिए बहन बन उसका भाग्य जगा दे 
प्रतिमा ,मोहिनी और मुझ जैसी सिपाही को
 पद् से पार ले जाकर 
उसमें दोस्ती की करार जगा दे 
और एक भारी सबक से ही 
गोलगप्पे और चाट चाउमीन की दुकान भुला दे 
हां ............
कुछ ऐसी ही है हमारी "पूजा मैडम"
 फर्ज के आगे परिवार भुला दें 
और जब परिवार से मिले तो बच्चा बन अपनी उम्र का लिहाज भुला दे
 और बड़ों के लिए मीठी मिश्री सा खुद को गुलाब बना दे
 वर्तमान में घुलकर 
आस-पास में अपनी उपस्थिति का कुछ अलग सबो में एहसास जगा दे 
हां...........
 कुछ ऐसी ही है  हमारी "पूजा मैडम"

©khushboo kumari
  #Police
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