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jitshukla5808
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- अरविन्द शुक्ला

सुना है हम संसार मे बस्ते है और संसार शब्दो मे रहता है शब्द हृदय में जन्म लेते है।और हृदय में स्वयं ईश्वर वास करते है।

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- अरविन्द शुक्ला

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- अरविन्द शुक्ला

रोज तारो की नुमाइश में खलल पड़ता  है,
चांद पागल है आधी रात को निकल पढ़ता है।

©- अरविन्द शुक्ला
  #happykarwachauth
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- अरविन्द शुक्ला

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- अरविन्द शुक्ला

16 कलाओं का जो ज्ञाता हैं,
16000 नारियों से जो विवाहता हैं।
पंचाली की जो लाज बचाता हैं,
गीता का जो उपदेश सुनता हैं।
जो मखन भी चुराता है, 
और लीला भी रचाता हैं,
बेड़ियों में जो जन्म पाता हैं,
इस जगत को जो सनातन का स्वरूप दिखाता हैं।
।।जय श्री कृष्णा।।

©- अरविन्द शुक्ला
  #janmashtami
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- अरविन्द शुक्ला

राखी को लेकर बहुत सारी बातें सामने आ रही है कुछ कह रहे हैं कि राखी 30 तारीख को है अथवा 31 तारीख को क्योंकि 30 तारीख को 11:00 से भद्राकाल काल आरंभ हो रहा है जबकि पूर्णिमा भी 11:00 बजे से शुरू हो रही  है तो मैं आपको बताउ की भद्रा का प्रभाव केवल उन महुर्तो पर होता है जो विशेष रूप से निकाले जाते हैं या किसी शुभ कार्य के आरंभ करना हो जो स्वयं सिद्ध मुहूर्त होते हैं उन पर भद्रा का प्रभाव ना के बराबर रहता है यानी पूर्णिमा 11 बजे से शुरू होगी जो की स्वयं सिद्ध मूर्त है जिस पर भद्रा का प्रभाव  नही  रहता इसलिए 30 तारीक को किसी भी वक्त राखी बांध सकते हैं।
।।जय श्री कृष्णा।।

©- अरविन्द शुक्ला #chaand
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- अरविन्द शुक्ला

अगर आप सही का समर्थन करते हैं तो अवश्य ही आप को गलत का भी विरोध करना चाइए क्योंकि जब ईश्वर इसका संज्ञान लेते हैं तो वो सही और गलत का समर्थन नहीं करते बल्कि दंड  देते हैं । जिसका परिणाम प्रकृति और समाज को एक साथ भुक्तना पढ़ता हैं।
।।जय श्री कृष्ण।।

©- अरविन्द शुक्ला
  #Dussehra
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- अरविन्द शुक्ला

विचित्र सचित्र चरित्र का अपमान हैं 
अल्प विकल्प असंकल्प सम्मान हैं ।
योग वियोग संजोग का मान हैं 
शक्ति शस्त्र शास्त्र का परिणाम हैं।

©- अरविन्द शुक्ला
  #God
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- अरविन्द शुक्ला

जीवन में जब भी कुछ अच्छा काम करते है 
अवश्य ही शुरू में  उसके  कुछ बुरे परिणाम  तो आते ही है 
क्योंकि जब देवताओं ने भी अमृत प्राप्ति के लिए
 समुद्र मंथन किया था  तो सबसे पहले उसे भी 
महा हलाहल विष प्राप्त हुआ था 
जिसे पूरा संसार  खत्म होने को आ गया था 
पर देवताओं ने प्रयास नही छोड़ा इसी वजा से 
समंदर मंथन से १४ (14) रत्न निकले थे 
जिसमे भी अमृत १४ नंबर पर था

©- अरविन्द शुक्ला
  #mountain
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- अरविन्द शुक्ला

शतरंज से कितना कुछ सीखने को मिलता है जब तक खेल चल रहा होता है तभी तक कौन बादशाह है बाजिर हैं या सिपाही हैं। इसका महत्व होता है खेल खत्म होते ही सभी को खिलौने की तरह डब्बे में भर दिया जाता है फिर न कोई बादशाह हैं और न कोई सिपाई।

©- वासुदेव
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- अरविन्द शुक्ला

कभी कभी  सफर शुरू होने से पहले ही 
कहानीया खतम हो जाती है

©अरविंद पंडित #lonely
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