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nishantdwivedi7880
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Nishant Dwivedi✍️

“The Unheard Writer who speaks through his flame🔥ink”

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Nishant Dwivedi✍️

तुम तामीर खुद करो अब उल्फ्तों के इमारत की
वो जा चुका जनाब... इश्क़ की बुनियाद डाल कर

©Nishant Dwivedi✍️ #luv
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Nishant Dwivedi✍️

जीत की प्यास है।
वक्त की तलाश है।
डिगा नही विश्वास है। 
फिर क्यों निराश है?

हर कदम आस है।
हो रहा आभास है।
चल रही स्वास है।
नया ये आगाज़ है।

भीगा ये लिबास है।
थकना नही रास है।
करना बस प्रयास है।
लक्ष्य अब पास है।

जीवन एक प्रवास है।
हो रहा प्रकाश है।
छूना अभी आकाश है।
हार एक अभ्यास है।

मेहनत एक असास है।
अना में विनाश है।
दर्द बस ऐहसास है।
जो बढ़ गया तो विलास है।
जो थम गया वो लाश है।

- निशांत द्विवेदी “फ़जर”

©Nishant Dwivedi✍️ जीवन: एक संघर्ष
#WritersSpecial

जीवन: एक संघर्ष #WritersSpecial #Poetry

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Nishant Dwivedi✍️

जिंदगी को ये दूरी बहुत रास आ रही है,
मेरी खुशियां मुझसे उचित दूरी बना रही है,
जैसे मौत आहिस्ते से मेरे पास आ रही है,
मेरी सांसें पिंजरा छोड़ उड़ी जा रही है,
मगर मेरी मजबूरिया मुझे ये एहसास दिला रही है,
की अभी थम जा, अभी ज़रा रुक जा “फज़र”, 
तुझे तेरी अधूरी बची जिम्मेदारियां बुला रही है।

©Nishant Dwivedi✍️ #covidindia
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Nishant Dwivedi✍️

अपने मुकद्दर की मरम्मत में मैंने क्या कुछ नहीं जाना है,
अपने घर की टूटी हुई दीवार को हंसते हुए रोशनदान माना है। #childlabour
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Nishant Dwivedi✍️

मैंने चुपके से लिखा था कुछ रेत पर,
जो अब मिटा-मिटा सा हो गया।
लोगो का शक समुंदर की लहरों पर था, 
और ये कम्बख़त आंसू बाइज्जत रिहा हो गया।

- निशांत द्विवेदी #OceanBeach
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Nishant Dwivedi✍️

मन्नते मेरी भी मुक्कमल हो जाती शायद,
मगर शर्त ये थी कि शजर की टहनियों को फांसी दी जाए।

- निशांत द्विवेदी #NightPath
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Nishant Dwivedi✍️

ना जाने क्या नफ़रत थी उसे अपने खिलौनों से,
जिस उम्र में सब उसे खरीदते हैं, वह उन्हें बेचता था।

- निशांत द्विवेदी 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇

ये बात लखनऊ स्तिथ जनेश्वर मिश्र पार्क की है जब हम कुछ दोस्तों ने कॉलेज की पढ़ाई से ब्रेक लेकर घूमने का प्लान बनाया। काफी घूमने के बाद जब हम थक गए तो हम एक जगह पार्क में ही बेंच पे बैठ कर बातें करने लगे। पास में ही कुछ बच्चे झूलों पर झूल रहे थे और कुछ अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे। इतने में मैंने देखा कि एक छोटा बच्चा जिसकी उमर सात से आठ साल के आसपास होगी वो एक झोले में कुछ खिलौने लेकर मेरे पास आया और बड़ी ही करुण स्वर में बोला “खिलौने लेलो साहब आज कुछ नहीं बिका है भगवान आपका भला कर

👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 ये बात लखनऊ स्तिथ जनेश्वर मिश्र पार्क की है जब हम कुछ दोस्तों ने कॉलेज की पढ़ाई से ब्रेक लेकर घूमने का प्लान बनाया। काफी घूमने के बाद जब हम थक गए तो हम एक जगह पार्क में ही बेंच पे बैठ कर बातें करने लगे। पास में ही कुछ बच्चे झूलों पर झूल रहे थे और कुछ अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे। इतने में मैंने देखा कि एक छोटा बच्चा जिसकी उमर सात से आठ साल के आसपास होगी वो एक झोले में कुछ खिलौने लेकर मेरे पास आया और बड़ी ही करुण स्वर में बोला “खिलौने लेलो साहब आज कुछ नहीं बिका है भगवान आपका भला कर

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Nishant Dwivedi✍️

उंगलियां पकड़ कर हमको सही राह दिखाते है,
हमारे मुकद्दर की मरम्मत में खुद को जलाते है,
खुद को बेचकर हमारे लिए रोटियां कमाते है,
वो पिता ही है, जो इतना सब सेहके भी “मै ठीक हूं” बताते है।

प्यार करते है पर हमको कभी जताते नहीं,
अपने दिल का हाल हमको कभी सुनाते नहीं,
बचपन से मेरे पसंदीदा सुपर - हीरो है वो,
जो हमे हंसाने के लिए अपने आंसू कभी बहाते नहीं।

कहने को तो उनका जीवन दिये के बाती जैसा है,
जो हमारे लिए आंधीयों से बेपरवाह लड़ जाते है,
वक्त- वक्त पर उसे उसकी औकात बताते है,
वो पिता ही है, जो खुद को जलाकर भी हमारा जीवन रोशन कर जाते है।

मुझे याद नहीं....
कि कब मैंने आपको आखिरी बार गले से लगाया था,
की मां जितना ही प्यार करता हूं आपसे ये बताया था,
पर ना जाने क्यूं डर जाता हूं आपसे ये सब कहने में?
बेटियां कैसे कह जाती है अपने पिता से ये सब पल भर में?

अब तो ये दुआ है रब से कि कोई आपको ये सब चुपके से पढ़ा दे,
बिना कहे मेरे दिल के सारे छुपे जज़्बात जता दे,
की कितना प्यार करता हूं आपसे ये आपको बता दे,
की कितना प्यार करता हूं आपसे ये आपको बता दे....

- निशांत द्विवेदी #father
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Nishant Dwivedi✍️

जो चाहूं वो मिल जाए आसानी से,
जिंदगी में सब कुछ आसान नहीं होता,
मिल जाए अगर सिर्फ जिद्द करने से,
तो किस्मत और पापा के घर में फर्क नहीं होता।

- निशांत द्विवेदी #FathersDay
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Nishant Dwivedi✍️

तन्हाई की आग को दफ़न करके ,
काश तुमने कुछ और नए सपनों को बुन लिया होता,
जिंदगी और मौत के कश्मकश में , 
काश तुमने जिंदगी को अपना सनम चुन लिया होता।

- निशांत द्विवेदी #SushantSinghRajput
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