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shubhrajanidhi2062
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Shubhraja

Freelance Teacher and Digital content writer.

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Shubhraja

वो बेचारी कंटीली झाड़ियों के पीछे सुखे घास में छिपकर बैठी थी। कुछ लड़के बेसब्री से उसको ढुंढे जा रहे थे।
"इक दूसरे से पुछते मिली क्या?" फिर जवाब आता "नहीं यार नहीं मिल रही। यार लग रहा, अब नई बॉल लेनी पड़ेगी।"
बिना बॉल मैच कैसे होता? अंतोगत्वा आपसी सहमति से फैसला हुआ "अच्छा चलो टॉस करते हैं जो जीतेगा उसकी बैटिंग जो हारेगा उसकी बॉलिंग। और जिसको बॉलिंग करने मिलेगा उसी टीम को नया बॉल लाना होगा।" तब तक एक लड़के का पांव उस गेंद पर पड़ा।
और वो चिल्लाया "बॉल मिल गई ... " और फिर दोनों टीमों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। फिर शुरू हुआ, गांव के बंजर पड़ रहे खेत में 'क्रिकेट टूर्नामेंट'। गांव की इस टूर्नामेंट की खास बात है इसमें दर्शकों की संख्या नगण्य होती है और चयनकर्ताओं की संख्या भी शून्य। यहां क्रिकेट मात्र इक खेल होता है लेकिन विरोधी समूह से जीतने की प्रतिस्पर्धा भी रहती है। वैसे तो इन लड़कों में कितने सचिन , धोनी, जहीर और कुंबले छिपे होते हैं। मगर इनका सपना कभी क्रिकेटर बनने का नहीं होता। या यों कहें इनके सपनों पर इक परत लग जाता है आत्मनिर्भर बनने का। 

#village #क्रिकेट #Cricket #Tournament #आत्मनिर्भर 
#ShortStory 
#Barrier

गांव की इस टूर्नामेंट की खास बात है इसमें दर्शकों की संख्या नगण्य होती है और चयनकर्ताओं की संख्या भी शून्य। यहां क्रिकेट मात्र इक खेल होता है लेकिन विरोधी समूह से जीतने की प्रतिस्पर्धा भी रहती है। वैसे तो इन लड़कों में कितने सचिन , धोनी, जहीर और कुंबले छिपे होते हैं। मगर इनका सपना कभी क्रिकेटर बनने का नहीं होता। या यों कहें इनके सपनों पर इक परत लग जाता है आत्मनिर्भर बनने का। #village #क्रिकेट #Cricket #Tournament #आत्मनिर्भर #ShortStory #Barrier #कहानी

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Shubhraja

वो बेचारी कंटीली झाड़ियों के पीछे सुखे घास में छिपकर बैठी थी। कुछ लड़के बेसब्री से उसको ढुंढे जा रहे थे।
"इक दूसरे से पुछते मिली क्या?" फिर जवाब आता "नहीं यार नहीं मिल रही। यार लग रहा, अब नई बॉल लेनी पड़ेगी।"
बिना बॉल मैच कैसे होता? अंतोगत्वा आपसी सहमति से फैसला हुआ "अच्छा चलो टॉस करते हैं जो जीतेगा उसकी बैटिंग जो हारेगा उसकी बॉलिंग। और जिसको बॉलिंग करने मिलेगा उसी टीम को नया बॉल लाना होगा।" तब तक एक लड़के का पांव उस गेंद पर पड़ा।
और वो चिल्लाया "बॉल मिल गई ... " और फिर दोनों टीमों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। फिर शुरू हुआ, गांव के बंजर पड़ रहे खेत में 'क्रिकेट टूर्नामेंट'। गांव की इस टूर्नामेंट की खास बात है इसमें दर्शकों की संख्या नगण्य होती है और चयनकर्ताओं की संख्या भी शून्य। यहां क्रिकेट मात्र इक खेल होता है लेकिन विरोधी समूह से जीतने की प्रतिस्पर्धा भी रहती है। वैसे तो इन लड़कों में कितने सचिन , धोनी, जहीर और कुंबले छिपे होते हैं। मगर इनका सपना कभी क्रिकेटर बनने का नहीं होता। या यों कहें इनके सपनों पर इक परत लग जाता है आत्मनिर्भर बनने का। 

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गांव की इस टूर्नामेंट की खास बात है इसमें दर्शकों की संख्या नगण्य होती है और चयनकर्ताओं की संख्या भी शून्य। यहां क्रिकेट मात्र इक खेल होता है लेकिन विरोधी समूह से जीतने की प्रतिस्पर्धा भी रहती है। वैसे तो इन लड़कों में कितने सचिन , धोनी, जहीर और कुंबले छिपे होते हैं। मगर इनका सपना कभी क्रिकेटर बनने का नहीं होता। या यों कहें इनके सपनों पर इक परत लग जाता है आत्मनिर्भर बनने का। #village #क्रिकेट #Cricket #Tournament #आत्मनिर्भर #ShortStory #Barrier #कहानी

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Shubhraja

तुमसे तुम्हारा हीं जिक्र रहा, 
हाल हमारा ना देख सके।
खुद में खोये रहे तुम, 
हमको भी ना देख सके।। #newday #तुम #हम_तुम
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Shubhraja

I'm drowning
In you 
every time 
everywhere. 
It doesn't matter 
I'm with you or not. 
However, 
you are with me 
always in my feeling. #drowning #you
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Shubhraja

सुनो याद है, जब भी हम चाय की टपरी पर चाय पीते, तुम मेरे कुल्हड़ का आधा खाली होने तक इंतजार करते। और फिर तुम तुम्हारी कुल्हड़ की चाय उड़ेल देते। कभी कभी तुम अपने हिस्से का पूरा चाय भी मुझे पिला देते।
तुम्हारी हर बार इक ही टैगलाइन होती, "मैं तो तुम्हारा साथ देने के लिए चाय लेता हूं पीने के लिए नहीं।"
तुम्हारी चाय नहीं पीने वाली आदत तो मुझे भी लग गयी है... वैसे मैं अब भी चाय पीती हूं, उसके हर चुस्कियों में उसके स्वाद को जीती हूं। सच कहूं तो अब चाय की तलब ना के बराबर हो गयी है।
सुनो, चाय वाला साथ मुझे हमेशा चाहिए होगी इस मुश्किल घड़ी में भी.. दोगे क्या वहीं साथ ? चाय वाली साथ
#चाय #tea #चायप्रेमी #साथ #दोस्ती
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Shubhraja

one fine day could be more precious when you will come  on your knee and ask will you be argue with me for life long... Precious day

Precious day #Talk


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