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ठाकुर नीलमणि

हम भी वही ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं

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ठाकुर नीलमणि

तनिक धीरज धरो बबुआ तुमरी ऐठन छुड़ायेगें
       हसीँ में भी तुम रोओगे
       की हम एईसन रूलायेगें।। 

तुमरी जिनगी का सबसे बड़ा सौगात हम देगें 
         हमें तुम भूल न पाओ
         कि ऐईसन याद हम देगें।। 

बखत पे ही, बखत का, बखत  से  चोट उ देगें
      कि तुम जीते ही वाला होगे
       उसी बखत मात हम  देगें।। 

गलती करते माफ कर देते 
   तुम त गुनाह कर गए बे, 
   हमरी महबूबा से ही-
प्यार का इजहार कर गए बे, 

अब हम फिराक में हैं तुम्हरी - ऐ बबुआ 
     दुकान कब तक बचाओगे। 
      साले जिस दिन धराऐ—
डाक्टर नहीं दर्जी दिखाओगे।। #desirevenge#desipyar#love#bihar#rowdy#dabang
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ठाकुर नीलमणि

तनिक धीरज धरो बबुआ तुमरी ऐठन छुड़ायेगें
       हसीँ में भी तुम रोओगे
       की हम एईसन रूलायेगें।। 

तुमरी जिनगी का सबसे बड़ा सौगात हम देगें 
         हमें तुम भूल न पाओ
         कि ऐईसन याद हम देगें।। 

बखत पे ही, बखत का, बखत  से  चोट उ देगें
      कि तुम जीते ही वाला होगे
       उसी बखत मात हम  देगें।। 

गलती करते माफ कर देते 
   तुम त गुनाह कर गए बे, 
   हमरी महबूबा से ही-
प्यार का इजहार कर गए बे, 

अब हम फिराक में हैं तुम्हरी - ऐ बबुआ 
     दुकान कब तक बचाओगे। 
      साले जिस दिन धराऐ—
डाक्टर नहीं दर्जी दिखाओगे।। 



 #Desi#bihar#love#dabang#rowdy Mukesh More  Faguni Verma Santosh Kumar Sharma Maheswari Dubey Pradeep Kumar Kashyap

#Desi#bihar#Love#dabang#rowdy Mukesh More Faguni Verma Santosh Kumar Sharma Maheswari Dubey Pradeep Kumar Kashyap #कविता

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ठाकुर नीलमणि

किसी भी ​मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता
​शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता #माँ Faguni Verma Sachika Gupta Sana Kapoor Jyoti Shruti Deshraj Wadi

#माँ Faguni Verma Sachika Gupta Sana Kapoor Jyoti Shruti Deshraj Wadi #शायरी

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ठाकुर नीलमणि

मेरी परछाई मुझे मेरी परछाई है, 
                      बताने ही तो आई है, कि 
मैं काली हूँ.... पर 
                            उजाले को ढूंढ लायी हूँ।।। #MeriParchai Sachika Gupta Sana Kapoor Leelawati Sharma Sagar Kumar Ganesh Prasad

#MeriParchai Sachika Gupta Sana Kapoor Leelawati Sharma Sagar Kumar Ganesh Prasad #विचार

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ठाकुर नीलमणि

आमने-सामने आमने-सामने एक दिन हम हो गए थे 
मुश्किल ने आखें फेर ली 
मेरी आँखों में देखकर।। #AamneSamne Mukesh More  Mukesh Kumar Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma

#AamneSamne Mukesh More Mukesh Kumar Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma

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ठाकुर नीलमणि

चले इतनी रफ़्तार से की कुछ खबर न पाया!
एक पल तो ठहरा था पर मैं ठहर न पाया,
आदत ही ऐसी हो गई इस नए मिजाज के शहर में ।।
शहर के शहर बदले पर कोई शहर नजर ना आया।

हर वक्त खुद को मैंने उलझनाे में फंसा पाया।
बड़े दिनों के बाद एक आईना कहीं से लाया।
निहारने लगा मैं अपनी भोली सूरत को।।
यह सोच इस शहर में मैंने क्या पाया??

खुद से जब मैं ऊब कर रवाना किया घर को,
पहुंचा तो मुझे मेरा घर नजर ना आया ।
हर शक्स मुझ को घूरने लगा इस तरह से की ।
एक इंसान है मैं मैं उन्हें कोई इंसान नजर ना आया ।।

बड़े दिनों के बाद मिली फुरसत मुझे इतनी:;
रोने की कोशिश की पर एक आंसू भी ना आया।।
लोगों को हंसते देख मैं भी हंस तो देता था,
हर बार मुझे अपनी हंसी में एक चोर ही नजर आया।।

क्या था जब मैं निकला था घर से आया तो क्या पाया??
कभी थोड़ी सी जी सकूं सकूं:;
क्या? इतना अवकाश भी न पाया।।

अभी हिसाब भी पूरा नहीं हुआ था की;; 
दस्तक मौत का आया।।
जिस से भागे भागे फिरते थे;;
आज उसे सबसे करीब पाया।।
................................... NILMANI THAKUR #MeraShehar
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ठाकुर नीलमणि

भगवान कि महिमा
.....................................................................
दुआएँ भी अमीरो की ही कबूल होती है,
क्योंकि उनके पास ही महंगी अगरबतीयाँ और फूल होती है,
चादर भी वही चढा सकते है होते ही है इतनी बड़ी,
गरिबो के पास तो रुमाल भी नही होती है;

हाथ तो वो तेरे सामने सदियो से ही फैलाये है,
पर कोई पूछे तो जरा बदले मे क्या पाए है,
नंगी सड़क की बिस्तर और फटे बोरे कि चादर ,
अरे इससे अधिक तो हमने अपनी ताकत से ही कमाये है,

अमिरो ने ही माथे पर अपने चंदन लगाये है,
हर मंदिर मे घूमा तो बस अमिरो को हि पाये है,
गरिबो को देखा है बस फूटपाथ पर बैठते ,
और आज भी करते भगवान कि हाय - हाय है;

पूजारियो को भी देखा है लूटते बड़े शान से ,
दौड़ती है उनकि गाड़िया अमिरो के दान से,
पर जब नजर फूटपाथ पर लेटे उस बच्चे पे है जाती,
मंदिर मे रहने वाले कि सब हकिकत है खूल जाती;

हजार लीटर दूध खूद ही हो डकार जाते,  पर--
भूख से मरते उस बच्चे पर इतना भी रहम न खाते,
आता है जब कोई नाम हुए तेरा लेते,
बड़ी ऊचाँई से उसको खाई में हो गिरा देते;

बड़े साधन भी हो जुटा रखे गरिबो को हटाने के,
तुम्ही तो जिम्मेदार हो न भूकम्प,बाढं और सूखा लाने के,
पर जरा खबर तो लो उस सुखे मे मरता है कौन?
गरिबो के अलावा उन लहरो में और बहता है कौन?

जिस गरिब ने तेरे सामने अपना सर झूकाये हो ,
बड़ी चालाकी से उसकी गरदन पे तूने चाकू चलाये है,
दर्द भी होता नही और धड़ अलग हो जाता है,
मुझे भी तो बता  ये हूनर कहाँ से सिख के आये हो,

जालिम कत्ल भी हो कर देते और ,
इल्जाम भी न मानते,
कोर्ट,कचहरी,अदालत का झंझट भी न हो पालते,
किस तरह खूद को तूम इतने रंग में हो ढालते,

छोड़ तेरी बात से मूझको नही कोई फायदा,
वक़्त कम है और कूछ काम भी है जाय्दा ,
वैसे भी मेरी बात से ये दूनिया तो चलती नही,
इतन समझाया फिर भी कल सूबह ये जायेगी वही;
                                         ..............NILMANI #Godalwayswithu
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ठाकुर नीलमणि

क्या यहां पर कोई भी इंसान नहीं है? 

ये नगर ये शहर, 
जहाँ करता हूँ मैं बसर
रहना यहां पर इतना भी, 
आसान नहीं है। 

बस्ती ही बस्ती हैं यहाँ, 
बस्ती में कितने घर 
रहते घरों में चेहरे कितने, 
चेहरों पे पहने चेहरे कितने 
हर चेहरे में बस रहता,  यहां 
इंसान नहीं है। 

रहना यहां पर इतना भी, 
आसान नहीं है। 

चीखता हुआ ये  शहर, 
चुप खड़े ये सारे घर 
रहते हैं बस बहरे, यहां 
किसी के कान  नहीं हैं। 

रहना यहां पर इतना भी, 
आसान नहीं है। 

ना जी रहा न मर रहा, 
लहू ही लहू को पी रहा
कलियों की जवानी रौंदकर, 
खड़ा हँस रहा यह सोचकर 
मुर्दो का है यह शहर, 
किसी में जान नहीं है। 

रहना यहां पर इतना भी, 
आसान नहीं है। 

           _______________ ठाकुर नीलमणि #MeraShehar
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ठाकुर नीलमणि

काँच सा दिल  दिल काँच सा होता कभी पत्थर भी होता है 
जब गाँव में मेरा बुढ़ा बाप रोता है... #Dil
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ठाकुर नीलमणि

एक पीपल का पत्ता

एक सूखा,पीला,पीपल का पत्ता;
जो झूमता,लहराता हुआ,
अपना घर-बार,रिश्तेदार,
दोस्त-यार छोर्कर ;
सड़क पर आ गिरता है;

अपनी आशा भारी निगाहो से;
देखता है दौरते हुए लोगो के,
जो उसे कुचल कर चले जाते,
पर उसे पहचान नही पाते;

वो कहता है-----
ए दुनिया वालो,
मुझे इस तरह न कुचलो की..
कोई मुझे पहचान ही न पाए..की
मै इसी पेड़ का पत्ता हूँ.....

मैने त्याग और बलिदान किया है,,,इसलिए..
की आने वाला है एक नया मेहमान,
जो मुझे देखकर......
अपने आने वालो के लिए,
त्याग और बलिदान करता रहेगा निरंतर,

हम जैसे ही अनगिनत पत्ते मिलकर,
देते है तुमको छाव,
जब धूप की बेरहम मार से,
थक कर आते हो काम से,,,,
करते हो हुमारे ही नीचे आराम,

हम खुद है जलते लेकिन.....
तुम्हे जलने से है बचाते,
और जब हम गिर पड़ते,,,,तो
तुम हमे उठाने से भी,
हो कतराते,,,,,,,,

वाह क्या तुम्हारी दुनिया है,
जो त्याग करे वो,
कुचला जाए..............
जो धोखा करे वो,
सुख से खाए..........

इससे तो भली है हुमारी दुनिया,
मिलकर है सब संग रहते,
मिल कर खाते,मिल कर पीते...
कोई आधिक न कोई कम,
सब है बराबर-बराबर बाँटते,

हमसे भी कुछ सीखो ,
ए!
तुच्छ(नीच,मतलबी) प्राणी,
की क्यों हम....................
त्याग और बलिदान है करते,...........

                                         -----------Nilmani #This is first poem written many yrs ago... share and send ur reviews... Thanks Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma Pradeep Kumar Kashyap Sana Kapoor

#this is first poem written many yrs ago... share and send ur reviews... Thanks Faguni Verma Charu Gangwar Santosh Kumar Sharma Pradeep Kumar Kashyap Sana Kapoor #कविता

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