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Tej Pratap
कुछ यूं बह रहा हू, जिंदगी की मझधार में।
ना मुस्कुराने की तमन्ना,
ना रोने की कोई वजह।
कोरा कागज नजर आता हैं,
पनपते हर विचार में।
कुछ यूं बह रहा हू, जिंदगी की मझधार में।।
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