अब तस्व्वर में कोई आता नहीं
इश्क़ का गुल कोई खिलाता नहीं
इश्क़ तो करते हैं सभी लेकिन
इश्क़ हरगिज़ कोई निभाता नहीं
मुंकिरे इश्क़ होके भी आदम
इश्क़ करने से बाज़ आता नहीं #शायरी
#ग़ज़ल ( एक मतला दो शेअर)
______ #अरशद अंसारी के क़लम से
#मापनी : २१२२/११२२/११२२/२२
बाद मुद्दत के तेरे गम से मैं बाहर निकला
जबकि सरमाय ए इशरत मेरे अंदर निकला //१
#शायरी#स्वरचित
#आपकी_राय_सर_आंखो_पर
२१२२/१२२१/२२१२
कोई छत पर चढ़ा आज की रात है
कितनी दिलकश फज़ा आज की रात है //१
लोग कहने लगे देखकर यकबयक
चांद टुकड़े हुआ आज की रात है //२ #शायरी