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नेहा तोमर

वो अधूरी ख्वाहिशे, जुवां जिन्हें कह नहीं पाई...................?

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नेहा तोमर

White जब डर के आंगन में मेरी इच्छाऐं बली हुई,
तब  बनीं  हूं  मैं  संस्कारो  कि  दहलीज ।

थी   कोयल  पर  मैं , गा  नहीं  सकती  थी ।
थी चिड़िया पर मैं,चहचहा नहीं सकती थी ।।
थी आंगन  की शोभा ,मैं  मूक पेड़ों की तरह ।
आशा को बदलते देखा गुनहगारों की तरहा।।
आह  नहीं भर  सकती ,चाहे उठे कोई टीस ।
तब  छुई है  मैंने  संस्कारो  की  दहलीज ।।


मान  और  सम्मान  के, पाटों में  जब  पिसी।
और समझ ईश्वर की खुशी, बना लिया नसीब ।।
कभी मिला पगड़ी का डर ,तो कभी था इज्जत का रोना ।
कभी लाज शरम को अपना बना लिया था गहना ‌।।
कोमल मन के भावों की जब कलियां बे-घर हुई ।
तब   छुई   है  मैंने   संस्कारों   की   दहलीज ।।

©नेहा तोमर #sad_shayari
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नेहा तोमर

यहां रोज सियासत होती है,
बस लोग बदल जाते हैं।
शोषण करने के यहां,
बस तौर बदल जाते हैं।।

इज्जत भी होती नीलाम यहां,
ज़ख्म भी घुटकर मर जाते हैं।
जब खेल खेलती राजनीति,
दुःखियों के दर्द दब जाते हैं।
कभी पितामह हुए मौन यहां,
अब नेता मौन हो जातें हैं

हर रोज ही लुटतीं हैं द्रोपदी,
अब कृष्ण कहां आते हैं
शोषण करने के यहां,
बस तौर बदल जाते हैं।।

©नेहा तोमर #ChainSmoking
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नेहा तोमर

यूं ही नहीं कोई झोंकता,
इस जिस्म को आग में।
किसी बात की तो कोई, 
‘हद’होती होगी।।
यूं ही नहीं खेलता,
कोई जिस्म आग की लपटों से ।
अरमानों की सेज,
जरूर कहीं चीखती होगी।।

क्यूं माथे की बिंदिया,
 चमक भूल जाती है।
क्यूं कोई औरत,
 खुद से रूठ जाती है।।
यूं ही नहीं झूल जाता,
कोई गला फांसी पर।
सावन की डोर जरूर,
 कहीं टूटती होगी ।।

©नेहा तोमर
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नेहा तोमर

तुम्हें समझाने के लिए, शब्द कहां से लाऊं?
क्या इतना काफी नहीं, हम मार जायेगे आपकी यादों में।

©नेहा तोमर
  #Health
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नेहा तोमर

मुझसे एक पंडित ने कहा था,
 कि तुम शनिवार को कुछ नया मत करना ,
ये दिन तुम्हारे लिए शुभ नहीं है। 
तब एक ख्याल आया, 
आदिमानव ने कौन सा दिन और मुहूर्त देखकर शुरूआत की थी ,
जो आज मानव इतनी तरक्की कर गया।।

©NEHA TOMAR #NationalSimplicityDay
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नेहा तोमर

ये मत पूछिए कि दर्द की हद क्या है।
बस,जानलो चाहत है -मौत पर मर मिटने की

©NEHA TOMAR

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नेहा तोमर

तुम्हारे लिए प्यार तो एक आदत है, 
जो कभी भी छोड़ी जा सकती है। 
हम भी  छोड़ सकते हैं आदतों को अपनी, 
अपना जिस्म छोड़ने के साथ -साथ ।।

©NEHA TOMAR #lostme
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नेहा तोमर

एक नयी शुरुआत, आज की सुबह में वो क्या बात थी ,
दिल में खुशी थी और हया की आवाज थी । 

उन्हें भी क्या कोई रोग लग गया ,
 जो दिल में उनके आज प्यार की बरसात थी ।

 क्यों देखते हैं आईने में खुद को जाकर बार-बार ,
 क्या चेहरे पर कोई सादगी की साज थी ।

 हमें भी आज उनसे ऐसा क्या मिल गया ,
 सब भूल गए हम बस याद उनकी याद थी ।
 
उनके लफ्जों ने जरा सी तारीफ़ क्या कर दी ,
 अब कुछ भी ना पाने की दिल में आस थी  ।

जीने का वजूद मिला और जीने की वजह मिली ,
 वरना कुछ दिन से सिर्फ मैं जिंदा लाश थी ।

 एक पल में ही कितना कुछ बदल गया ,
 मौत की दुआओं में आज जीने की मांग थी ।

 वो ऐसा क्या कुछ दे गए हक जता गए राघव ,
 दुनिया की हर खुशी हमारे लिए बर्बाद थी ।

©NEHA TOMAR #nayishuruaat
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नेहा तोमर

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©NEHA TOMAR

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नेहा तोमर

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©NEHA TOMAR

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