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vivekkumar8175
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Vivek Kumar

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Vivek Kumar

सज़ा मिल जाती है कई बार बेकुसूर होकर, 
कुछ कर भी नहीं पाता इंसा मजबूर होकर ||

ये भी सब वक्त वक्त की बात होती है ,
खुदा को दी अर्ज़ी भी लौट आती है नामंज़ूर होकर||

 वो ज़माने और थे जब जान छिड़कते थे दोस्त एक दुसरे पर ,
दोस्ती भी रह गयी है बस एक दस्तूर होकर||

 जो तरसते थे कभी सबकी एक नज़र के लिए,
 सबसे नज़रें बचा के निकलते हैं अब मशहूर होकर ||

कुछ लोग जो गले मिलते थे आगे बढ़कर ,
नज़रें भी नहीं मिलाते अब मगरूर होकर ||

दौलत शौहरत कभी टिककर नहीं रहती ,
ये तो वो शीशा है जो बिखर जायेगा एक दिन चकनाचूर होकर ||

ज़िंदगी गुज़रे ऐसे के रौशन हो ये जहाँ खुद के नूर से ,
कुछ फायदा नहीं जीने का बेनूर होकर ||

खुद को जानना समझना है तो एक काम करो,
 गुज़ारो कुछ वक्त तन्हाई में,इस दुनिया से दूर होकर ||

"विवेक"

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Vivek Kumar

ये जो दिल में ढेरों हसरतें हो रही हैं,
बस उन्हीं की खातिर ये सारी कसरतें हो रही हैं।।

चैनों सुकून की कोई नहीं है खबर ,
ज़िन्दगी पर हो रहा ये कैसा असर,
ना जाने कैसी आदतें पाल बैठे हैं सब,
हर किसी की अब खराब आदतें हो रही हैं ।।
ये जो दिल में••••••

सबका यहाँ अजीब सा हाल है,
जकड़े है सबको ये कैसा जाल है,
किस किस से पीछा छुटाए इंसान,
हर रोज़ नई नई आफ़तें हो रही हैं ।।
ये जो दिल में•••••••

हर कोई रहता है एक खुशी की तलाश में,
वो खुशी क्या है ये जवाब नहीं है किसी के पास में,
ज़िन्दगी कट रही है अजीब सी कशमकश में,
सब कुछ हासिल है फिर भी शिकायतें हो रही हैं।।
ये जो दिल में••••••

दिल क्यूँ नहीं भरता नई उमंग से,
क्यों दूर हो रहे सब एक दूसरे के संग से,
बचपना भी खत्म सा हो रहा है बचपन में
बच्चों में भी अब बच्चों वाली नहीं हरकतें हो रही हैं ।।
ये जो दिल में•••••••
विवेक हसरतें

हसरतें

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Vivek Kumar

किसी के जज़्बातों को वही समझ पाया है,
 जिसने खुद ऐसा वक्त बिताया है|| 

दुसरे के दर्द  को सहा है उसी ने ,
जिसे किसी की पलकों पे ठहरा हुआ आंसू नज़र आया है ||

गर आपका मन परेशान सा है ,
सोचो ये वक्त भी मेहमान सा है ||

रोज़ बा रोज़ ये भी गुज़र जाएगा ,
जो बिखरा हुआ है सब कुछ  संवर जाएगा||

 ज़िंदगी तो गुज़र जानी है सफर करते करते , 
अपनी सारी खुशियां अपनों की नज़र करते करते||

 इस बात में भी एक अजीब सी ख़ुशी है ,
गर अपने हैं तभी अपनी भी ज़िंदगी है ||

ज़िंदगी के खेल भी अजब निराले होते हैं ,
कहीं अँधेरे तो कहीं उजाले होते हैं ||

नया सवेरा मिलता है इन अंधेरों से निकल के,
 सोना कुंदन बनता है आग में ही जल के ||

मौत तो  आखिरी पड़ाव है ज़िंदगी के सफर का,
 तो आओ मज़ा लें इस सफर की हर डगर का||

"विवेक" #जज़बात
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Vivek Kumar

एक बार.. . . . .

एक नया सवेरा जरूर मिलेगा 
एक बार अंधेरों से निकल के देखो 

हर एक नजारा बदला हुआ मिलेगा 
एक बार खुद को बदल के देखो 

ना गिरा पाएगा फिर से कोई तुमको 
एक बार तो ठीक से संभल के देखो 

छूना आसमान को नामुमकिन नहीं रहेगा 
एक बार तबियत से उछल के देखो 

हो जाएगा रोशन जहां तुम्हारे नूर से 
एक बार सूरज सा जल के देखो 

रुके रहोगे तो मंजिल मिलेगी नहीं 
एक बार थोड़ा थोड़ा चल के देखो 

मन मारकर हसरतें पूरी होती नहीं 
एक बार उनके लिए जी भर के मचल के देखो 

   विवेक #एक बार. . . . .

#एक बार. . . . .

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Vivek Kumar

उन्हें देखकर हम हम ना रहे 

हमें देखकर वो वो ना रहे

दोनों खो गए एक दूसरे में इस कदर 

के एक हो गए दो न रहे 


विवेक #ये हैं मौहब्बतें

#ये हैं मौहब्बतें

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Vivek Kumar

आमने  सामने बैठ कर भी बात होती नहीं ,
आज की पीढ़ी मोबाईल के चक्कर में रात भर सोती नहीं  ¦¦

सारी  भावनाये निकाल देती है फेसबुक पर ,
अब ये बड़े बूढ़े के  मरने पर सच में रोती नहीं ¦¦

बिखरे पड़े हैं जो रिश्तो के मोती इधर उधर ,
ना जाने क्यों इन्हे एक धागे में पिरोती नहीं ¦¦
 
चेहरे के दाग मिटाने में लगी है मगर ,
मन का मैल कभी धोती नहीं ¦¦

ज़रा सी बात पर लड़ने मरने को हो जाती है तैयार ,
प्रेम की ज़मी पर भाई चारे का बीज कभी बोती नहीं¦¦

बिना किसी मकसद के काट रही है ज़िंदगी ,
मंज़िल की चाह में चैन ओ सुकून खोती नहीं¦¦

"विवेक " #ज़रा सोचिये

#ज़रा सोचिये

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Vivek Kumar

तूफानों से लड़ो और आगे बढ़ो
ना तलाश करो किनारे की 

ख्वाहिशें हसरतें पूरी करो तो अपने दम पर 
न तलाश करो टूटते तारे की 

अगर गिरे तो उठो और खुद आगे बढ़ो 
न तलाश करो किसी सहारे की 

अच्छा काम करना है तो कर डालो 
ना तलाश करो किसी इशारे की 

दरिया पार करना है तो कूद जाओ 
ना तलाश करो किसी शिकारे की

जहां हो उसी जगह  को खुशनुमा बना दो 
न तलाश करो किसी खूबसूरत नज़ारे की 


*विवेक*


--- #आत्मविश्वास
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Vivek Kumar

#ज़िन्दगी
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Vivek Kumar

एक नया अफसाना फिर से शुरू हो जाए ,

जो है अभी खयालों में रूबरू हो जाए,

कुछ और नहीं मानता ए खुदा तुझसे ,

पूरी ये बस मेरी आरजू हो जाए ।।


विवेक #आरज़ू
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Vivek Kumar

जो रहे हमेशा किसी के ज़हन में वो ख्याल बन,
जिसको हासिल ना हुआ हो उसके लिए मलाल बन ।।

ना ज़ाहिर कर खुद को सामने सबके,
जवाब की तलाश में रहे जिसके, ऐसा एक सवाल बन।।

जिसमें फंस के भी निकलने की चाह ना हो किसी को,
रेशम सा मखमली ऐसा एक हसीन जाल बन।।

रूह तलक जो कर दे सराबोर ,
रंग दे अपने रंग में ऐसा महकता गुलाल बन॥

थिरकने को जो मजबूर कर दे,
सुनकर जिसे नाच उठे कोई ऐसी मधुर ताल बन॥

जो रहता है एक निशानी बनकर,
नाम का पहला अक्षर लिखा रूमाल बन॥

   ***विवेक *** #बेमिसाल बनों
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