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kaviashishprakas1301
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kavi ashish prakash

शायरी, ज़िन्दगी, मोहब्बत बस और क्या

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kavi ashish prakash

#mohabbat #jawan #Dhokha
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kavi ashish prakash

गया था छोड़ के जो दिल पे चाक वो भी था
न था हसीन मगर इत्तेफ़ाक वो भी था

मुझे कहा था तुमने साथ उम्र भर का है
सभी वादों की तरह एक ख़ाक वो भी था

©kavi ashish prakash
  #WoNazar #dhokha #Ittefak
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kavi ashish prakash

चश्मा बापू का न पहनो पर एक नज़रिया रखना तुम
दिल में सबके लिए ही करुणा का एक दरिया रखना तुम

आशीष प्रकाश

©kavi ashish prakash #gandhijayanti
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kavi ashish prakash

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kavi ashish prakash

कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं
लोग अब खुद का जनाजा ढो रहे हैं

कत्ल के इलाजाम से होके बरी वो
खून की छींटे बदन से धो रहे हैं

ओ किले के बादशाह हथियार भेजो
जंग में योद्धा भी संयम खो रहे हैं

हर कोई आंसू नहीं छलकाता खुल के
पर सभी कोना पकड़ के रो रहे हैं

शोर सुन के मातमों का बोला प्यादा
दूर हो जा के शहंशाह सो रहे हैं

हम अंधेरों को यहां जो लाए  चुन के
अब चिताओं से उजाले हो रहे हैं

आशीष प्रकाश ©

©kavi ashish prakash #covidindia
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kavi ashish prakash

मांगो दुआएं आज हिंदुस्तान के लिए
आदम न जाए कोई भी शमशान के लिए

चुभता बहुत है अपनो का जाना यूं बेसबब
इससे बड़ा न ज़ख्म है इंसान के लिए

आंसू या चीख एक ही जैसे निकलते हैं
एक जैसे हैं ये हिंदू मुसलमान के लिए

सांसों को सांस अब मिले ये मर्ज हो फना
करना दुआएं ये ही सबकी जान के लिए

कुछ तो रहम हो अब यहां बंदे है तेरे सब
मुश्किल है ये भी क्या खुदा भगवान के लिए?

आशीष प्रकाश©

©kavi ashish prakash #Corona_Lockdown_Rush
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kavi ashish prakash

मांगो दुआएं आज हिंदोस्तान के लिए
आदम न जाए कोई भी शमशान के लिए

चुभता बहुत है अपनो का जाना यूं बेसबब
इससे बड़ा न ज़ख्म है इंसान के लिए

आंसू या चीख एक ही जैसे निकलते हैं
इक जैसे हैं ये हिंदू मुसलमान के लिए

सांसों को सांस अब मिले, ये मर्ज हो फना
दुआ करो ये रोज सबकी जान के लिए

कुछ तो रहम हो अब यहां बंदे हैं तेरे सब
मुश्किल है भी क्या खुदा भगवान के लिए?

ashish prakash ©

©kavi ashish prakash @corona

@corona

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kavi ashish prakash

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kavi ashish prakash

गलत लहरों से भी टकरा के बढ़ना जानती है 
ये इक कश्ती बड़े तूफ़ा में अड़ना जानती है
कभी दुर्गा कभी काली कभी रानी वो झांसी की
ये मर्दानी अकेली तुमसे लड़ना जानती है

आशीष प्रकाश

©kavi ashish prakash #womensday2021
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kavi ashish prakash

मौत को भी आज़मा के देख लूँगा
मैं  रकाबत अब  निभा के देख लूँगा

एक मेरी हसरतें और एक दुनिया
दोनो को मैं अब मिला के देख लूँगा

आख़िरी ख़्वाहिश मेरी जो हो नुमाया
मैं भी खुल के मुस्कुरा के देख लूँगा

अब मिले या तब मिले सजदों का हांसिल
तुझमें कितना है खुदाया देख लूँगा

हो गयी है दफ़्न हर उम्मीद दिल में
दिल पे भी चादर चढ़ा के देख लूँगा

ज़िंदगी में हार के हर चीज़ अपनी
ख़ुद की भी बाज़ी लगा के देख लूँगा

तेरी ज़ानो में झुका के सर को अपने
अपने हिस्से का मसीहा देख लूँगा

आशीष प्रक

©kavi ashish prakash #steps
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