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krishankumarswam6164
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True path

jiv hamari jaati hai Manav Dharm hamara Hindu Muslim Sikh isai Dharm nahi koi nyara

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True path

भक्ति मार्ग में गुरु का महत्व

कबीर परमेश्वर कहते हैं पूर्ण गुरु के वचन की शक्ति से भक्ति होती है पूर्ण गुरु से दीक्षा लेकर भक्ति करना लाभदायक है बिना गुरु के भक्ति करने से कोई लाभ नहीं होता। परमात्मा का विधान है जो #सूक्ष्म_वेद में कहा है कि गुरु बिना भक्ति करना व्यर्थ प्रयत्न रहेगा।

"कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान ।
गुरु बिन दोनों निष्फल है पूछो वेद पुराण ॥

जो व्यक्ति गुरु धारण किए बिना यदि नाम जाप की माला फेरते हैं और दान देते हैं तो वे दोनों व्यर्थ हैं। यदि आपको संदेह हो तो अपने वेदों तथा पुराणों में प्रमाण देखें।

"राम कृष्ण से कौन बड़ा उन्हों भी गुरु कीन्ह । 
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ॥"

कबीर परमेश्वर हमें समझाना चाहते हैं कि आप श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से किसी को बड़ा अर्थात समर्थ नहीं मानते हो वे तीन लोक के मालिक थे उन्होंने भी गुरु बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे हमें सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि यदि हम गुरु के बिना भक्ति करते हैं तो कितना सही है ? अर्थात व्यर्थ है l

"कबीर पीछे लाग्या जाऊँ था, मैं लोकवेद के साथ, रास्ते में सतगुरु मिले, दीपक दीन्हा हाथ ॥

गुरु के बिना देखा-देखी, कही-सुनी भक्ति को लोकवेद के अनुसार भक्ति कहते हैं। लोकवेद का अर्थ है किसी क्षेत्र में प्रचलित भक्ति का ज्ञान जो तत्वज्ञान के विपरीत होता है।भावार्थ है कि साधक लोकवेद अर्थात दंतकथा के आधार से भक्ति कर रहा है। शास्त्र विरुद्ध साधना के मार्ग पर चल रहा है। रास्ते में अर्थात भक्ति मार्ग में एक दिन तत्वदर्शी संत मिल गए उन्होंने शास्त्र विधि अनुसार शास्त्र प्रमाणित साधना रुपी दीपक दे दिया जिससे जीवन नष्ट होने से बच गया ।

"कबीर गुरु बिन काहु ना पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना, 
कबीर गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सारे रहे अज्ञानी ॥"

गुरु बिना सत्य ज्ञान नहीं होता है जैसे वर्तमान में सर्व समाज जो साधना कर रहा है वह गीता, वेदों में वर्णित ना होने से शास्त्र विरुद्ध साधना है, जो व्यर्थ है। इसलिए गुरु जी से वेद, शास्त्रों का ज्ञान पढ़ना चाहिए जिससे सत्य भक्ति की शास्त्र अनुकूल साधना करके मानव जीवन धन्य हो जाए।

यथार्थ कबीर ज्ञान जानने के लिए Satlok Ashram YouTube channel पर visit करें।



#KabirPrakatDiwas

©True path Kabir is real God
#Kabir_Is_Real_God
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True path

"राम कृष्ण से कौन बड़ा उन्हों भी गुरु कीन्ह । 
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन ॥"

कबीर परमेश्वर हमें समझाना चाहते हैं कि आप श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से किसी को बड़ा अर्थात समर्थ नहीं मानते हो वे तीन लोक के मालिक थे उन्होंने भी गुरु बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे हमें सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि यदि हम गुरु के बिना भक्ति करते हैं तो कितना सही है ? अर्थात व्यर्थ है l

©True path #Kabira
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True path

*कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं*

सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिन्द्र मेरा।
द्वापर में करुणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।
चारों युग में मेरे संत पुकारे कूक कहां हम हेल रे। 
हीरे माणिक, मोती बरसे, ये जग चुगता ढेल रे।।

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में धरती पर प्रकट होते हैं। सतयुग में "सतसुकृत" नाम से, त्रेतायुग में  "मुनिन्द्र" नाम से, द्वापरयुग में "करुणामय" नाम से तथा कलयुग में "कबीर" नाम से आते हैं। 
सतयुग में सतसुकृत नाम से कबीर परमेश्वर प्रकट हुए थे। उस समय गरुड़ जी, ब्रह्मा जी, विष्णु जी तथा शिव जी को सत्य ज्ञान समझाया। श्री मनु महर्षि को भी ज्ञान समझाना चाहा लेकिन मनु जी ने परमात्मा के ज्ञान को सत्य न जानकर ब्रह्मा जी से सुने सुनाए वेद ज्ञान पर आधारित होकर तथा अपने द्वारा निकाले गए वेदों के निष्कर्ष पर ही आरुढ रहे। इसके विपरित परमात्मा का उपहास करने लगे कि आप तो सब ज्ञान विपरीत कह रहे हो। इसलिए परमात्मा का नाम "वामदेव" (उल्टा ज्ञान देने वाला) निकाल दिया। यजुर्वेद अध्याय 12 मंत्र 4 में विवरण है कि यजुर्वेद के वास्तविक ज्ञान को वामदेव ऋषि ने सही जाना तथा अन्य को भी समझाया।

त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर "मुनिन्दर ऋषि" के रूप में आएं थे। उस समय नल-नील तथा हनुमानजी को अपना सत्य ज्ञान बताकर अपनी शरण में लिया और अपने आशीर्वाद मात्र से नल-नील के शारीरिक तथा मानसिक रोग को ठीक किया था। नल नील को कबीर परमेश्वर ने आशीर्वाद दिया था कि आपके हाथ से कोई भी वस्तु जल में नहीं डुबेगी। उसी आशीर्वाद के कारण समुद्र पर पुल (रामसेतु) बना था। इसका प्रमाण धर्मदास जी की वाणी है,

रहे नल नील जतन कर हार, तब सतगुरु से करी पुकार। 
जा सत रेखा लिखी अपार, सिंधु पर शिला तिराने वाले।
धन धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।।

द्वापर युग में कबीर परमेश्वर "करुणामय" नाम से प्रकट हुए थे। उस समय वाल्मीकि जाति में उत्पन्न भक्त "सुपच सुदर्शन" को अपनी शरण में लिया था। कबीर परमेश्वर के आशीर्वाद से इसी सुपच सुदर्शन जी ने पांडवों की यज्ञ सफल की थी। जो न तो श्री कृष्ण जी के भोजन करने से सफल हुई थी, न तैंतीस करोड़ देवताओं, न अठासी हजार ऋषियों, न बारह करोड़ ब्राह्मणों ,न नौ नाथ- चौरासी सिद्धों के भोजन खाने से सफल हुई थी। इसी युग में रानी इन्द्रमती को भी सत्य ज्ञान देकर शरण में लिया। 

कलयुग में कबीर परमेश्वर अपने वास्तविक नाम "कबीर" नाम से आज़ से 600 वर्ष पहले काशी में लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रुप में प्रकट हुए थे। जिन्हें निसंतान दंपति नीरु तथा नीमा उठाकर अपने बालक मानकर उनकी परवरिश की। शिशु रुप में कबीर परमेश्वर के परवरिश की लीला कुंवारी गाय के दूध से होती है। ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 1 मंत्र 9, ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 96 मंत्र 17-18 .

पूर्ण परमात्मा शिशु रुप में जान बुझकर प्रकट होकर अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिर्भि अर्थात कबीर वाणी द्वारा निर्मल ज्ञान अपनी अच्छी आत्माओं को कवि रुप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा उच्चारण करके वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर परमेश्वर होता है।

कलयुग में कबीर परमेश्वर आदरणीय गरीब दास जी, धर्मदास जी, नानक देव जी, दादू जी, मलूक दास जी, घीसा दास जी आदि को मिले और अपना तत्वज्ञान बताया। 

हम सुल्तानी, नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद ना पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।

इसी कलयुग में सिकंदर लोधी, रविदास जी, अब्राहम सुल्तान आदि को भी मिले। 

कबीर परमेश्वर हम सभी जीव आत्माओं के जनक हैं। इन्हीं की सतभक्ति करने से जीव को सर्व सुख, शांति तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है। वर्तमान में कबीर परमेश्वर के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी ही "यथार्थ कबीर पंथ" चला रहे हैं। जिनके सत्संगों का आधार सभी धर्मों के पवित्र सदग्रन्थ हैं। कबीर वाणियों में छुपे हुए गुढ़ रहस्यों को संत रामपाल जी महाराज जी ने सरल भाषा में समझाया है। 

संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक तत्वज्ञान से भरपूर सत्संग अवश्य सुनें। 
साधना चैनल पर रात्रि 7:30 से 8:30 तक प्रतिदिन।

सत ज्ञान के लिए Satlok Ashram Youtube Channel Visit करें।

#GodKabirComesIn4Yugas

#KabirPrakatDiwas 24 June

आप सभी से विनम्र निवेदन है जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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©True path #Kabira
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#Jitnidafa
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#Jitnidafa
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#GodKabirComesIn4Yugas

Kabir Prakat Diwas 24 June

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काल के एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। इसी ब्रह्माण्ड में एक मानसरोवर तथा धर्मराय का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माऐं रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधि पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस सम

काल के एक ब्रह्माण्ड में अन्य लोकों की भी रचना है, जैसे श्री ब्रह्मा जी का लोक, श्री विष्णु जी का लोक, श्री शिव जी का लोक। इसी ब्रह्माण्ड में एक मानसरोवर तथा धर्मराय का भी लोक है तथा एक गुप्त स्थान पर पूर्ण परमात्मा अन्य रूप धारण करके रहता है जैसे प्रत्येक देश का राजदूत भवन होता है। वहाँ पर कोई नहीं जा सकता। वहाँ पर वे आत्माऐं रहती हैं जिनकी सत्यलोक की भक्ति अधूरी रहती है। जब भक्ति युग आता है तो उस समय परमेश्वर कबीर जी अपना प्रतिनिधि पूर्ण संत सतगुरु भेजते हैं। इन पुण्यात्माओं को पृथ्वी पर उस सम #Kabira #superda

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#कबीरसाहेब_का_प्राकाट्य
पूर्ण प्रभु अनामी, अगम, तथा अलख लोक रचने के बाद सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसी का नाम अकालमूर्ति - शब्द स्वरूपी राम - पूर्ण ब्रह्म - परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। कबीर प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय है।
Saint Rampal Ji #Kabira  #KabirisGod #Love #Life

#कबीरसाहेब_का_प्राकाट्य पूर्ण प्रभु अनामी, अगम, तथा अलख लोक रचने के बाद सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसी का नाम अकालमूर्ति - शब्द स्वरूपी राम - पूर्ण ब्रह्म - परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। कबीर प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय है। Saint Rampal Ji #Kabira #KabirisGod #Love #Life

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#कबीरसाहेब_का_प्राकाट्य
पूर्ण प्रभु अनामी, अगम, तथा अलख लोक रचने के बाद सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसी का नाम अकालमूर्ति - शब्द स्वरूपी राम - पूर्ण ब्रह्म - परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। कबीर प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय है।
Saint Rampal Ji #Love

#कबीरसाहेब_का_प्राकाट्य पूर्ण प्रभु अनामी, अगम, तथा अलख लोक रचने के बाद सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसी का नाम अकालमूर्ति - शब्द स्वरूपी राम - पूर्ण ब्रह्म - परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। कबीर प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय है। Saint Rampal Ji #Love

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पूर्ण प्रभु अनामी, अगम, तथा अलख लोक रचने के बाद सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसी का नाम अकालमूर्ति - शब्द स्वरूपी राम - पूर्ण ब्रह्म - परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। कबीर प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय है।
Saint Rampal Ji

#कबीरसाहेब_का_प्राकाट्य पूर्ण प्रभु अनामी, अगम, तथा अलख लोक रचने के बाद सतलोक में प्रकट हुआ तथा सतलोक का भी अधिपति यही है। इसी का नाम अकालमूर्ति - शब्द स्वरूपी राम - पूर्ण ब्रह्म - परम अक्षर ब्रह्म आदि हैं। कबीर प्रभु का मानव सदृश शरीर तेजोमय है। Saint Rampal Ji

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