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harpinderkaur4409
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Harpinder Kaur

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Harpinder Kaur

White आदमी का स्वभाव है आदमी को महज़ 
खिलौना समझना
जिसे वो इस्तेमाल करता है
महज़ दिल बहलाने को
दिल बहला लेने के बाद 
उसका खिलौना महज़ रह जाता है
एक आधा, टूटा, बिखरा, सा खिलौना 
फिर उस खिलौने में  दिलचस्पी खत्म होने पर
आदमी ढूँढता है फिर एक नया खिलौना 
पुन: उसे टूटा बिखरा और अधूरा छोड़ने के लिए
कितना छिछलापन है आदमी का आदमी होना
वो पूर्णतः इंसान क्यों नहीं होता 
क्यों महज़ रहता है वो  आदमी......

©Harpinder Kaur # आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?

# आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता? #Poetry

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Harpinder Kaur

White माँ हमें जन्म देती है 
पोषित करती है 
संस्कार देती है
देती है वो संस्कृति संसार 
जो हमें सिखाए 
कि आखिर में हम क्या है 
और हिन्दी वही माँ है 
जिसने हमें वो सब सिखाया जो हमें
आखिर होना चाहिए ✍️

©Harpinder Kaur # हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐

# हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐 #Poetry

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Harpinder Kaur

White कल्पनाएं  ,केवल मन का खोखलपन नहीं होता। यह गढ़ है उन यादों का, सपनों का जिन्हें हमने कभी अपने भीतर और बाहर जिया होता है। कितना आसान होता है कहानी को महज़ एक कहानी कहना 
लेकिन उसमें जिंदगी का बहुत कुछ जिया हुआ भरा -सा छिछला सा रहता है साथ।

©Harpinder Kaur # कुछ तो है भीतर भरा.. एक कहानी सा

# कुछ तो है भीतर भरा.. एक कहानी सा #Quotes

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Harpinder Kaur

White कितना गहरा एहसास होता है 
भरे गहरे काले रंग में डूबे आसमान को देखना
और उस पर टिमटिमाते तारों से बात करना
बातें, ऐसे जैसे वो सब सुन रहे हों
गहराई से
और बांट रहे हो सारा दु:ख


बचपन में तारे गिनने के खेल से 
बड़े होकर कब इनके ही हो गए
पता नहीं चलता है
प्रेमी जोड़े के लिए ये तारों भरा आसमां
आशियाना है प्रेम का
तो टूटे सपनों रिश्तों के लिए है एक सहारा
जिसे जीवन जैसा लगा, वैसा बनाया
उसने तारों का देश

कहते हैं टूटता तारा सब इच्छा पूरी करता है
क्या कभी सोचा है, कि जो आसमान से खुद टूट गया
शायद उसकी भी इच्छा अधूरी रह गई हो
आखिर उसके टूटने पर कौन देता होगा उसे सहारा
जैसे हमारे टूट जाने पर देता है ये तारा...............

©Harpinder Kaur # ✍️

# ✍️ #Poetry

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Harpinder Kaur

White मिठास में मैं ताज़ा हूँ 
फलों का मैं राजा हूँ 
हा! मैं "आम" होकर भी बड़ा खास हूँ
मैं सब से मीठा कहता हूँ
सब संग मैं चटपटा भी रहता हूँ
मुझसे लदे डाल शाख पर जब
बैठने,कोयल आ जाती है 
अपने संगीत के स्वरों में वो
मिठास मुझे से पाती है
जब किसी बाग में लगा देख मुझे
बच्चे फूला न समाते हैं
तब मुख से चटकारे  भर
मेरे सपनों में खो जाते हैं
जब खोखल कर मेरी गुट्ठली का
सीटी कोई बजाता है
उसकी सीटी पर फिर मेरा 
अंग अंग थिरक जाता है
जब हो कोई त्योहार घरों में
मेरे पत्तों की तोरन फिर बनाते हैं 
पूजा में मुझे साथी बना धन्य मुझे कर जाते हैं 
सबकी थाली में सजकर
थाली को चार चाँद लगाता हूँ
फिर राजा बनकर मैं 
"आम" से  खास हो जाता हूँ

©Harpinder Kaur # मैं " आम" से खास हूँ......

# मैं " आम" से खास हूँ...... #Poetry

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Harpinder Kaur

White क्यों चीख़ रहे तुम अब, 
क्यों उफ़! हाय! चिल्लाते हो
गर्मी गर्मी चिल्लाने वालों
तुम छाया के लिए कितने वृक्ष लगाते हो? 
जहाँ मन किया फैला दी गंदगी
जहाँ खाया तुमने, वहीं कूड़ा गिराते हो
फिर क्यों तुम अपनी गलतियों का इल्ज़ाम 
सूरज पर लगाते हो
बतलाना तो ज़रा, प्रकृति की स्वच्छता के लिए
तुम क्या कर्तव्य निभाते हो? 
नदियों को तुम गंदा करते 
उसके पानी को तुम व्यर्थ बहाते हो
करते हो तुम अपनी मनमर्जी
फिर क्यों जल को खारा बताते हो
ज़रा बताओ ए नादानों! 
पर्यावरण संरक्षण के लिए तुम
कौन सा कर्तव्य निभाते हो

©Harpinder Kaur # पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.... जिसने निभाओगे, तभी जीवन को सुरक्षित बना पाओगे ✍️ ( पर्यावरण दिवस)

# पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.... जिसने निभाओगे, तभी जीवन को सुरक्षित बना पाओगे ✍️ ( पर्यावरण दिवस) #Poetry

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Harpinder Kaur

एक संघर्ष की दुनिया में जी रही
एक बेरोजगार  पीढ़ी
चाट रही किताबों को
दीमक की तरह...... 
रोज़....... दर रोज़
और कर रही इंतजार
कि.... चाटी हुई किताबें
एक दिन हमारी ख्वाहिशों के ढांचे
को......पूरा कर पाएंगी

©Harpinder Kaur # आखिर कब तक?

# आखिर कब तक? #Poetry

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Harpinder Kaur

White बीते कई वर्षो बाद तेरा लौट आना 
ऐसा हुआ, जैसे
सुखे वन में बसंत पुन: लौट आई हो
नई उम्मीद उमंगों के साथ
जैसे फिर किसी सावन का इंतजार करते करते
पपीहा को मिला हो एक प्रेम का मेघ
अपनी प्यास को तृप्त करने के लिए
तेरे लौट आने के बाद...... 
तेरे लौट आने के बाद
जैसे शांत रूआंसी बैठी कोई नदी
फिर से लौट आई है अपनी लहरों की
चंचल शरारत को लेकर
जैसे चांद लौट आया हो
अपनी चांदनी को लेकर
तेरे लौट आने के बाद
तेरे लौट आने के बाद, 
लौट आई हूँ मैं, जो मैं नहीं रह गई थी
तुम ने लौटाया मुझे मेरा प्रेम 
मेरी उम्मीद, मेरी प्रार्थनाओं का फल
और  फिर से  लौटा है एक रास्ता जीवन का
तेरे लौट आने के बाद.................

©Harpinder Kaur # तेरे लौट आने के बाद.......

# तेरे लौट आने के बाद....... #Poetry

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Harpinder Kaur

तुम्हारी व्यस्तता इतनी बड़ी हो गई है 
कि हमारे इंतजार का कद छोटा रह गया 
तभी अपनी व्यस्तता के आगे
तुम्हे हमारा इंतजार नज़र नहीं आता
✍️

©Harpinder Kaur #✍️

#✍️ #Poetry

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Harpinder Kaur

White बाहर का हाल सब जानते हैं
अंदर कितना कुछ टूटा है
ये कोई नहीं जानता
कोई नहीं जानता 
उन सवालों के जवाब 
जो भीतर ही भीतर
सुलग रहे हैं 
घुटन की आग बनकर

©Harpinder Kaur # शायद तो कोई समझता

# शायद तो कोई समझता #Poetry

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