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swakeeya2403
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Swakeeya ..

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Swakeeya ..

कुछ लिखना चाहती हूं आज भी
 पर क्या लफ्ज़ भर सकेंगे
इन आंखों के खालीपन को ......

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Swakeeya ..

मन बड़ा बेचैन सा मालूम पड़ता है
खुशी या गम महसूस नहीं करता
खालीपन के साथ आवाज़ भी नहीं करता
ना जाने क्या तलाशता रहता है
बावजूद इसके कुछ हाथ भी नहीं आता

तलाश अधूरी है इसलिए तो जनाब
सुकून का किनारा भी दिख नहीं पाता 
काश के कोई इसे समझता
और यूं ही कोई हल या तसल्ली दे जाता .....

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Swakeeya ..

हवा के झोंके सा गुज़र गया.... ठहरा नहीं मुझमें वो...
#ठहरानहींमुझमें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi

ठहरा नहीं मुझमें वो... #ठहरानहींमुझमें #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi

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Swakeeya ..

छोटी बड़ी बातों को दिल पे लेते लेते
ये दिल बड़ा कमज़ोर हो चला है......



 दिल बड़ा कमज़ोर हो चला है

दिल बड़ा कमज़ोर हो चला है

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Swakeeya ..

इंतेहा की भी इंतेहा कब होती है 
गर चले मालूम तो बताना ज़रा ...
निष्प्राण देह को ढोते हैं कब तक
गर चले मालूम तो बताना ज़रा ...

कर चुके आंसू भी हमसे अब बगावत
दर्द,चुभन बेहयाई की हो चली है आदत
गर्दन पकड़कर सांसें उखड़ने तक
कदमों में अपने झुकाते जाने की

स्वाभिमान और कोमल भावनाओं के
तार तार हो जाने की, फिर भी
ज़िंदा रह जाने की,हद है कहां तक
गर चले मालूम तो बताना ज़रा ...

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Swakeeya ..

बंद पलकों के पीछे,छिपे हैं दर्द गहरे
रुसवाइयों के दर पर आकर हैं ठहरे
फिर चलना पड़ा उसी राह पर
जहां लुटे थे आबरू के सभी पहरे.....

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Swakeeya ..

औरों की खातिर, मुझे फुर्सत कहां
मैं खुद ही खुद में खोई हूं

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Swakeeya ..

अब बस,
थक चुकी मैं....

 अब बस
थक चुकी हूं मैं!

अब नहीं बची इच्छाशक्ति
तुम्हें मनाने की!

तुम्हारे अहम,आवेश,क्रोध
ज़िद और हठ से

अब बस थक चुकी हूं मैं! अब नहीं बची इच्छाशक्ति तुम्हें मनाने की! तुम्हारे अहम,आवेश,क्रोध ज़िद और हठ से

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Swakeeya ..

बेखबर सी नींद ही अच्छी,
सब भूला तो रहता है।
आंखें मलकर ज्यों उठूं,
सारे गम और दुश्वारियां
दौड़कर लिपट जाती हैं  ....

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Swakeeya ..

काश के तुम्हारे मन में सेंध लगा पाती
घुस जाती चोरी से
गुजरती सभी तंग गलियों से
कहां क्या छिपा रखा है
जो है सालों से अनकहा
जो भाव व्यक्त ना हुए
जो शब्द रह गए अधूरे
अंगारे बरसाती तुम्हारी आंखों के
पीछे लुके ढके जज़्बात
तुम्हारे वास्तविक रूप को
इन गलियारों की दीवारों में पढ़ती
तो शायद हकीक़त में तुम्हें जान पाती .......... ......

......

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