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JC S

प्यार का नगमा💞💕

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JC S

।।एक कविता तो बननी चाहिए।।

👑👑👑

उम्र ने कबड्डी को पीछे रख दिया, 
सफेद बालों ने काले बालों को पछाड़ दिया।
यूं फुदकते चंचल खिलाड़ियों के लिए नहीं तो क्या,
उन उम्र दराज खिलाड़ियों के लिए ही सही,
पर एक कविता तो बननी ही चाहिए।

 भरी दुपहरी में खेलते खिलाड़ियों के लिए,
उनके बोनस करते कदमों को पकड़ने की जद्दोहद लिए,
 उसमें असफल होते खिलाड़ियों के लिए नहीं तो क्या,
 अपनी कलात्मकता से खिलाडियों को आउट करते रेडर के लिए ही सही पर,
एक कविता तो बननी ही चाहिए।

असफल होते डिपेंडर के लिए डू और डाई में मात खाते रेडर के लिए,
उचित निर्णय देने वाले रेफरी के लिए,
 खड़कती बाजू वाले युवा के मद को चूर करने वाले बुजुर्ग के लिए  ही सही,
पर एक कविता तो बननी ही चाहिए।

  आयोजक समिति के लिए,
एनसीसी कैंडिडेट्स के लिए ही सही,
पर इन ग्रामवासियों के लिए भी तो कविता बननी ही चाहिए।

अपनी टीम को संतुलित करते हुए कप्तान के लिए,
टीम की व्यवस्था में लगे  मैंनेजर के लिए, 
अपनी अपनी टीम का हौसला अफजाई करने वाले समर्थकों के लिए ही सही,
 पर एक कविता तो  बननी ही चाहिए।

 खिलाडी के अद्भुत खेल पर  ही सही,
उसके खेल से दांतों तले उंगली दबाने वाले दर्शकों के लिए सही,
इस मैदान नहीं तो क्या उस मैदान में ही सही,
पर कविता तो बननी ही चाहिए।
✍️
जगदीश सारण JCS
लाभू का तला,खड़ीन
।बाड़मेर।

©JC S कविता
#nojota 
#nojohindi 

#AWritersStory
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JC S

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JC S

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JC S

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JC S

काव्य नवांकुर

©JC S #Mic
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JC S

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JC S

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JC S

जय अंबे मां हे मां जगत जननी जगदंबे आप अपने भक्तों के कष्ट दूर करें मां जिससे देश में खुशहाली का आगाज हो
 जय मां भवानी 🙏🙏🔱

©JC S #for 
#Trading 

#navaratri
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JC S


काव्य

।।बात हो जाती है कभी कभार ।।

बुनते हैं ख्वाब तुम्हारे लिए,सपने लिए हजार 
करवटें बदलते बदलते रात गुजर जाती है कभी कबार
 निकलते हैं तुम्हारी गली से तो निगाह चुरा के देख लेते हैं,
मिलने की तलब ऐसी की खुद को भूल जाते हैंकभी कभार।
अब आईना भी हम से पूछता है कि क्या बात हो जाती है कभी कबार?

 पत्ते झड़ते हैं नई कोपलें खिलती है फूल मुरझा जाते हैं कभी कबार 
चलते हुए हम तुम्हारी जिंदगी में खो से जाते हैं कभी कबार 
रूबरू तो नहीं पर बात हो जाती है कभी कबार ।।

आपने यूं मुस्कुरा के हमें घायल कर दिया,
 अनजान थे इश्क की तलब से रूबरू हुए आपसे तो मुस्कुराना सिखा दिया 
अब तो लगता है कि खुद को भूल से जाते हैं कभी कबार ,
मुलाकात तो नहीं पर बातचीत हो जाती है कभी कबार ।।

उलाहना देते हैं मेरे दोस्त शायद वे इश्क अनजान हैं,
कहते हैं छोड़ इसका ख्वाब हकीकत में जी ले,
 दरकिनार कर लैला को कभी खुद के लिए भी जी ले,
 उन्हें कैसे  समझाऊं की जिद्द ही ऐसी है जो ख्वाबों को हकीकत में बदलने पर तुली है।।

 कुछ फूल अच्छे थे कुछ महक अच्छी थी ,
इश्क की तलब दोनों और थी
 बस दिल तो जुड़ चुके थे फासले पाटने की कमी थी,
खुद को वक्त को दोष देते हैं कभी कबार 
जो उनका मिलना रोज होता था अब बातचीत हो जाती है कभी कबार, 
रूबरू तो नहीं पर बातचीत हो जाती है कभी कबार 

जगदीश चंद्र सारण 
लाभू का तला JKT 
खड़ीन
9784825617

©JC S
  कविता
#my📓my🖋️ 
#my_feelings kavita

#MySun

कविता my📓my🖋️ #my_feelings kavita #MySun

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JC S

काव्य

।।बात हो जाती है कभी कभार ।।

बुनते हैं ख्वाब तुम्हारे लिए,सपने लिए हजार 
करवटें बदलते बदलते रात गुजर जाती है कभी कबार
 निकलते हैं तुम्हारी गली से तो निगाह चुरा के देख लेते हैं,
मिलने की तलब ऐसी की खुद को भूल जाते हैंकभी कभार।
अब आईना भी हम से पूछता है कि क्या बात हो जाती है कभी कबार?

 पत्ते झड़ते हैं नई कोपलें खिलती है फूल मुरझा जाते हैं कभी कबार 
चलते हुए हम तुम्हारी जिंदगी में खो से जाते हैं कभी कबार 
रूबरू तो नहीं पर बात हो जाती है कभी कबार ।।

आपने यूं मुस्कुरा के हमें घायल कर दिया,
 अनजान थे इश्क की तलब से रूबरू हुए आपसे तो मुस्कुराना सिखा दिया 
अब तो लगता है कि खुद को भूल से जाते हैं कभी कबार ,
मुलाकात तो नहीं पर बातचीत हो जाती है कभी कबार ।।

उलाहना देते हैं मेरे दोस्त शायद वे इश्क अनजान हैं,
कहते हैं छोड़ इसका ख्वाब हकीकत में जी ले,
 दरकिनार कर लैला को कभी खुद के लिए भी जी ले,
 उन्हें कैसे  समझाऊं की जिद्द ही ऐसी है जो ख्वाबों को हकीकत में बदलने पर तुली है।।

 कुछ फूल अच्छे थे कुछ महक अच्छी थी ,
इश्क की तलब दोनों और थी
 बस दिल तो जुड़ चुके थे फासले पाटने की कमी थी,
खुद को वक्त को दोष देते हैं कभी कबार 
जो उनका मिलना रोज होता था अब बातचीत हो जाती है कभी कबार, 
रूबरू तो नहीं पर बातचीत हो जाती है कभी कबार 

जगदीश चंद्र सारण 
लाभू का तला JKT 
खड़ीन
9784825617

©JC S कविता
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