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Lohit Tamta

It doesn't matter what I am, my poetry and my stories reflect my existence...!

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Lohit Tamta

आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान,
स्वर्ण मुकुट मस्तक पर भाता,
चरणों में सागर लहराता,
मलय पवन इसको महकाता,
सबसे प्यारा जग का तारा,
भारत देश महान,
आओ हम सब मिल कर गए, 
भारत माँ के गान,
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
कहलाते हैं जहाँ भाई -भाई,
सबकी बस्ती जिसमें जान,
वो है मेरा प्यारा भारत महान,
आओ हम सब मिल कर गाएँ भारत माँ के गान।

©Lohit Tamta #India2022 #HappyIndependenceDay🇮🇳🇮🇳🇮🇳

#India2022 HappyIndependenceDay🇮🇳🇮🇳🇮🇳 #Poetry

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Lohit Tamta

बहन आज तेरा त्यौहार आ गया, फ़िर से राखी का दिन आ गया,
तेरी शरारतें और तेरी बातें याद मुझे दिला गया,
इस साल नहीं अगले साल आऊँगा, फ़िर से जब राखी आएगी मैं अपनी कलाई ले कर तेरे पास लौट आऊँगा,
तू ऐसा ना सोचना सरहद पर तैनात मैं अपनी राखी भूल जाऊँगा,
लौटूँगा जब मैं तुझसे हर साल की राखी गिन-गिन कर बध्वाऊंगा,
तुझसे जो किया है वादा तेरी रक्षा का वो अपने प्राण दे कर भी ज़िन्दगी भर निभाऊंगा,
तू मेरा इंतज़ार ना करना, मैं इस राखी पे नहीं, मगर अगली राखी पे ज़रूर आऊँगा।

©Lohit Tamta #Rakshabandhanquotes
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Lohit Tamta

जब सारा देश जीती हुई जंग की ख़ुशी मना रहा था,
तब एक फौजी अपने साथी की जान बचाने की जंग लड़ रहा था,
अपनी गोद में बैठा कर उसको लंबी ज़िन्दगी के झूठे वादे दे रहा था,
वो जान रहा था साँसे मेरे साथी की महज़ चंन्द घड़ियों की मेहमान है,
फ़िर भी उसको कंधे में बैठा कर वो कैंप की और दौड़ रहा था,

ना जज़्बात उसके काबू में थे और ना था वक़्त,
कैसे एक दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाए अपने देश के लिए लड़ रहे थे जंग याद आ रहे थे उसको ये सब पल,
टूटी साँसे निकला उस फौजी के साथी का दाम था,
मौत की गोद में जाते हुए उसने अपने साथी को जो दिया वो ज़िंमेदारी से भरा एक खत था,

खत में थे उसके शब्द उसकी याद और ज़िंदा उसके जज़्बात,
डर बस उसको इतना था कैसे देखेगा उस माँ की आँखों में जिसने खोया है बेटा अपना, दिल में है हजारों सवाल पर मौन होगा चेहरा उसका,

कैसे देखेगा उन आँखों को जिसने खोया है पति अपना, पूछेंगी वो बेवा की निगाहें क्यों लौट ना सके वो जो हर वादा निभाते थे,
पूछेंगी वो नन्ही सी आँखे सवाल कई, क्या लौटेंगे हमारे पिता कभी?

यही सब सोच कर उस फ़ौजी का दिल घबरा रहा था, जंग में लड़ना आसान है या एक चिट्ठी के साथ उन सब आँखों को देखना वो जंग है, ये सवाल भी उस वक़्त सवाल ही रह गया,
जब सारा देश जीती हुई जंग की ख़ुशी मन रहा था,
तब एक फौजी अपने साथी की जान बचाने की जंग लड़ रहा था।

©Lohit Tamta "फ़ौजी और उसका शहीद साथी"

#IndianArmy

"फ़ौजी और उसका शहीद साथी" #IndianArmy #Poetry

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Lohit Tamta

ना पूछी जात ना पूछा मजहब, वो नेता नहीं फौजी थे जनाब उन्होंने सिर्फ अपना हिंदुस्तान देखा,
हमारे आज के लिए अपना कल क़ुर्बान कर दिया,
जहाँ मुमकिन ना था इंसान का सांस लेना भी वहां तिरंगे को लहराके हिंदुस्तान की शान कर दिया,
26 जुलाई को एक ऐतिहासिक कारगिल विजय दिवस नाम कर दिया।

©Lohit Tamta Courage is contagious, when a brave man take a stand, the spines of other are often stiffened but when a soldier take a stand, the whole country stands up and salutes,,,Never forget they gave their tomorrow for our today...!

#Kargil

Courage is contagious, when a brave man take a stand, the spines of other are often stiffened but when a soldier take a stand, the whole country stands up and salutes,,,Never forget they gave their tomorrow for our today...! #Kargil #Poetry

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Lohit Tamta

The true soldier fights not because he hates what is in front of him,
but because he loves behind him...!

©Lohit Tamta for those I love I will sacrifice...

#IndianArmy

for those I love I will sacrifice... #IndianArmy

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Lohit Tamta

आज तो बहुत रोक लेती हो खुद को,
लेकिन उस वक़्त क्यों खुद को रोक नहीं पाती थी
मेरे करीब आने से,
उस वक़्त क्यों नहीं रोक पाती थी खुद को मुझे हर एक बात बताने से,
उस वक़्त क्यों नहीं रोक पाती थी खुद को ये कहने से जब तुम छूते हो तो एक अलग एहसास होता है, तुम्हारी बाहों में ही मुझे सुकून मिलता है,
और जब तू कहती थी पता है दिल में सिर्फ़ तुम रहते हो,
लेकिन मुझे क्या पता था उसी दिल के कोने में कोई और भी रहता है, जो आज तुझे छूता है,
तू अब भी खुद को नहीं रोक पाती होगी और वो सारी बातें जो कभी मुझे कहा करती थी आज उसको कहती होगी।

©Lohit Tamta आज तो बहुत रोक लेती हो खुद को,
लेकिन उस वक़्त क्यों खुद को रोक नहीं पाती थी
मेरे करीब आने से,
उस वक़्त क्यों नहीं रोक पाती थी खुद को मुझे हर एक बात बताने से,
उस वक़्त क्यों नहीं रोक पाती थी खुद को ये कहने से जब तुम छूते हो तो एक अलग एहसास होता है, तुम्हारी बाहों में ही मुझे सुकून मिलता है,
और जब तू कहती थी पता है दिल में सिर्फ़ तुम रहते हो,
लेकिन मुझे क्या पता था उसी दिल के कोने में कोई और भी रहता है, जो आज तुझे छूता है,
तू अब भी खुद को नहीं रोक पाती होगी और वो सारी बातें जो कभी मुझे कहा करती थी आज

आज तो बहुत रोक लेती हो खुद को, लेकिन उस वक़्त क्यों खुद को रोक नहीं पाती थी मेरे करीब आने से, उस वक़्त क्यों नहीं रोक पाती थी खुद को मुझे हर एक बात बताने से, उस वक़्त क्यों नहीं रोक पाती थी खुद को ये कहने से जब तुम छूते हो तो एक अलग एहसास होता है, तुम्हारी बाहों में ही मुझे सुकून मिलता है, और जब तू कहती थी पता है दिल में सिर्फ़ तुम रहते हो, लेकिन मुझे क्या पता था उसी दिल के कोने में कोई और भी रहता है, जो आज तुझे छूता है, तू अब भी खुद को नहीं रोक पाती होगी और वो सारी बातें जो कभी मुझे कहा करती थी आज #Poetry

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Lohit Tamta

मुझे बर्दाश्त नहीं था किसी और की ज़ुबाँ से तेरा नाम,
लेकिन इतेफ़ाक़ देख तुझे आज कोई और छूता है,
ज़िन्दगी के अंदर जीते जी कैसे मारते है, ये मैंने जीते जी देख लिया,
और तमाशा हुआ मेरी ज़िन्दगी का बहुत नायाब,
तू किसी के प्यार में अंधी हुई और मेरा जनाज़ा पुरे शहर ने देख लिया।

©Lohit Tamta मुझे बर्दाश्त नहीं था किसी और की ज़ुबाँ से तेरा नाम,
लेकिन इतेफ़ाक़ देख तुझे आज कोई और छूता है,
ज़िन्दगी के अंदर जीते जी कैसे मारते है, ये मैंने जीते जी देख लिया,
और तमाशा हुआ मेरी ज़िन्दगी का बहुत नायाब, तू किसी के प्यार में अंधी हुई और मेरा जनाज़ा पुरे शहर ने देख लिया।

#darkness

मुझे बर्दाश्त नहीं था किसी और की ज़ुबाँ से तेरा नाम, लेकिन इतेफ़ाक़ देख तुझे आज कोई और छूता है, ज़िन्दगी के अंदर जीते जी कैसे मारते है, ये मैंने जीते जी देख लिया, और तमाशा हुआ मेरी ज़िन्दगी का बहुत नायाब, तू किसी के प्यार में अंधी हुई और मेरा जनाज़ा पुरे शहर ने देख लिया। #darkness #Poetry

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Lohit Tamta

आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है,
नज़्म में सिर्फ़ तेरी ही बात लिखी है, वो हमारी पहली मुलाक़ात की दास्तां लिखी है,
ट्रैन का मेरा सफ़र और फिऱ तेरे शहर में गुज़री मेरी रात की कहानी लिखी है,
मेरी ट्रेनिंग के टाइम में वो छुट्टियों के बहाने बना कर तुझसे मुलाकात की वो हसीन शब-ए-वस्ल लिखी है,
कैसे तू मेरी नब्ज़ देख कर मेरा हाल बता देती थी, बुख़ार में मेरा सर दबा देती थी,
जब-जब तू मुझे सीने से लगाती थी मानों ज़िन्दगी वहीं थम सी जाती थी,
तेरे होंठ मेरे होंठो से टकराते थे, तब-तब मेरी साँसों को महका देते थे,
वो छत में हमारा बैठ कर ढेर सारी बातें करना, तेरा वो हँसते हुए वो मेरे बच्पन की नादानियों के किस्से सुन्ना,
तेरी वो हाँसी के अफसाने लिखे है,
आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है, नज़्म में सिर्फ़ बस तेरी ही बात लिखी है,
तेरी नाक का वो तिल जो मुझे बहुत प्यारा लगता था, दुनियां में तेरे सिवा मुझे कोई ख़ुबसूरत नहीं लगता था,
मेरी पहली पोस्टिंग में तेरा वो मुझे दवाइयों से भरा हुआ बॉक्स देना, हर दावा को कैसे और कब खाना है वो सब डिटेल्स में लिख देना,
तेरी आँखे उस समंदर से भी ज्यादा गहरी थी जिनमें कभी मैं डूब जाया करता था,
मेरा वो डयूटी के लिए तुझसे दूर जाना  और तेरा वो दरवाज़े में खड़े रह के बस मुझे घूरना लिखा है, हिज्र की रातों में बहे तेरे आँसूओं की सिहाई से ये नज़्म लिखी है, नज़्म में बस तेरी ही बात लिखी है,
काश तू होती तो आज मैं यूँ बंजारा ना फ़िरता, कोई बेहाया मुझसे मेरी औकात ना पूछती,
तेरे लिए मेरा इश्क़ हमेशा खास था, कड़ी धूप में छाव था, काश मैं कभी तेरे मन को समझा होता, खुदगर्ज़ी में तेरे से दूर ना होता,
अपनी पलकों में मेरे ख़्वाब भी सजा लेती थी, मेरे बदले के आँसू भी बहा लेती थी, मेरी पल्लो मुझे अपनी पलकों में छुपा लेती थी,
तेरी पलकों पे सजे मेरे ख़्वाबों की दुनियां लिखी है, आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है और नज़्म में सिर्फ़ तेरी ही बात लिखी है।

©Lohit Tamta आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है,
नज़्म में सिर्फ़ तेरी ही बात लिखी है, वो हमारी पहली मुलाक़ात की दास्तां लिखी है,
ट्रैन का मेरा सफ़र और फिऱ तेरे शहर में गुज़री मेरी रात की कहानी लिखी है,
मेरी ट्रेनिंग के टाइम में वो छुट्टियों के बहाने बना कर तुझसे मुलाकात की वो हसीन शब-ए-वस्ल लिखी है,
कैसे तू मेरी नब्ज़ देख कर मेरा हाल बता देती थी, बुख़ार में मेरा सर दबा देती थी,
जब-जब तू मुझे सीने से लगाती थी मानों ज़िन्दगी वहीं थम सी जाती थी,
तेरे होंठ मेरे होंठो से टकराते थे, तब-तब मेरी साँसों को महका देते थे,
वो छ

आज बहुत दिनों बाद एक नज़्म लिखी है, नज़्म में सिर्फ़ तेरी ही बात लिखी है, वो हमारी पहली मुलाक़ात की दास्तां लिखी है, ट्रैन का मेरा सफ़र और फिऱ तेरे शहर में गुज़री मेरी रात की कहानी लिखी है, मेरी ट्रेनिंग के टाइम में वो छुट्टियों के बहाने बना कर तुझसे मुलाकात की वो हसीन शब-ए-वस्ल लिखी है, कैसे तू मेरी नब्ज़ देख कर मेरा हाल बता देती थी, बुख़ार में मेरा सर दबा देती थी, जब-जब तू मुझे सीने से लगाती थी मानों ज़िन्दगी वहीं थम सी जाती थी, तेरे होंठ मेरे होंठो से टकराते थे, तब-तब मेरी साँसों को महका देते थे, वो छ #Poetry #missingyou

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Lohit Tamta

नसीब में इश्क़ नहीं लिखा खुदा ने,
पर दोस्त बहुत खास लिखें है,
जान से भी ज्यादा प्यारे मुझे यार दिए है।

©Lohit Tamta नसीब में इश्क़ नहीं लिखा खुदा ने,
पर दोस्त बहुत खास लिखें है,
जान से भी ज्यादा प्यारे मुझे यार दिए है।

#brothersday

नसीब में इश्क़ नहीं लिखा खुदा ने, पर दोस्त बहुत खास लिखें है, जान से भी ज्यादा प्यारे मुझे यार दिए है। #brothersday

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Lohit Tamta

Happy National Brother's Day 🍻

जो रहते है हर कांड में साथ,
खून से बढ़कर रिश्ता होता है उनसे खास,
जो किसी भी हाल में छोड़ते नहीं है साथ,
क्योंकि कुछ दोस्त, दोस्त नहीं भाई होते है😎
उन दोस्तों को :- Happy Brother's Day...!🍻

©Lohit Tamta जो रहते है हर कांड में साथ,
खून से बढ़कर रिश्ता होता है उनसे खास,
जो किसी भी हाल में छोड़ते नहीं है साथ,
क्योंकि कुछ दोस्त, दोस्त नहीं भाई होते है😎
उन दोस्तों को :- Happy Brother's Day...!🍻

जो रहते है हर कांड में साथ, खून से बढ़कर रिश्ता होता है उनसे खास, जो किसी भी हाल में छोड़ते नहीं है साथ, क्योंकि कुछ दोस्त, दोस्त नहीं भाई होते है😎 उन दोस्तों को :- Happy Brother's Day...!🍻 #Shayari

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