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neelambhola8156
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Neelam bhola

melomaniac,imaginative an aspiring scientist PhD scholar(Delhi university)

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Neelam bhola

कुछ साथ तुम देना मेरा,
कुछ साथ मैं दूँगी,
नज़रंदाज कुछ खामियां मेरी तुम करना,
कुछ गलतियाँ मैं माफ़ कर दूँगी,

मैं उदास हूँ कभी तो,थाम लेना हाथ मेरा,
आँसू आये तेरी आँखों में तो मैं सम्भाल लूँगी,

गुस्सा,नाराज़गी,प्यार सब,
होगा इस रिश्ते में,
प्यार ज़्यादा,नाराज़गी कम,
ये रिश्ता ऐसे सँवार दूँगी,

कभी तन्हा,टूटा हुआ पाओ खुद को,
तो आ जाना मेरे पास,
हर इक घाव पे मरहम कर दूँगी,

किस रिश्ते में नहीं होती नोक झोंक,
रखना भरोसा खुद पे तुम,
ये दूरियां मैं कम कर दूँगी,

साथ देने का वादा करना बस तुम,
तुम्हें मैं बेइंतहा प्यार दूँगी।।।।

©Neelam bhola #OneSeason
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Neelam bhola

चलो फिर भूल जाने की कोशिश करें आज,
नाम मेरा तुम भूल जाओ,
चेहरा तुम्हारा मैं भूल जाती हूँ,
चलो आज फिर भीड़ में मुस्कुराती हूँ,

तूम भूल जाओ बातें मेरी,
मैं वादे तुम्हारे भूल जाती हूँ,
चलो आज फिर दिल की इस टीस को छुपाती हूँ,

वो रातें तूम भूल जाना,
वो शामें सारी मैं अपनी यादों से मिटाती हूँ,

मेरी आँखें तूम भूल जाना,
मासूमियत तेरी मैं भूल जाऊँगी,
वादा है फिर किसी से अब दिल ना लगाऊँगी,

तू अदाएँ कहता था जिन्हें,
भूल जाना उन्हें अब,
मैं इन्तजार तेरा अब भूल जाऊँगी,
वो हँसना,वो रोना,वो प्यार तेरा भूल जाऊँगी,

मिलना कभी तो यूँ मिलना की अनजान थे हम,
चल मुझें भूल जानें का वादा कर तू,
तूझे याद ना आऊँ,ये दुआ मैं कर जाऊँगी।।

©Neelam bhola #WalkingInWoods
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Neelam bhola

आज फिर रुक के सोचता हूँ
तो वो तस्वीर फिर नज़र आती है,

जब तू साड़ी पहने,
बाल समेटे अपने,
बंधा-कसा सा जुड़ा बनाए,
खिड़की के पास बैठी हो 
लिये किताब हाथ में,

सूरज की छटती किरणें 
गिरती हो चेहरे पे तेरे,
हल्का सा परदा गिराये,
मधुर संगीत की ध्वनि,
एकांत को पास बिठाये,

एकाकी में भी तू सहज
सब पा जाती थी,
कैसे ना जानें कलम और किताबों में 
इक अलग दुनिया बसाती थी,

वो मंद मुस्कान कुछ पढ़ते हुए,
कभी ज़रा गम्भीर चेहरा तेरा,
कभी खिलखिला के हँस देना,
कुछ पढ़ते पढ़ते,

जैसे किताबों में तू कुछ देख पाई,

कितना सुकून था तेरी उस दुनिया में
आज बैठ कर सोचता हूँ,

और यहाँ!!!!
इक कोलाहल है,शोर है चारों ओर,
गाड़ियो का सायरन,कहीं लोगों की बहस,
कहीं घर की लड़ाई,
शुकून और शान्ति शायद मुझें तलाश ही ना पाई,

काश!!!तेरी दुनिया सी
 मेरी भी दुनिया होती सुकून भरी,
वो सूरज की छटती किरणें कभी तो 
होती मेरी भी।।।।

©Neelam bhola सुकून भरी दुनिया तेरी

सुकून भरी दुनिया तेरी

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Neelam bhola

चाय,मैगी और वो दोस्त हमारी,
छोटा था सफ़र पर लम्बी थी दोस्ती हमारी,
कालेज के दिन,शाम-सहर,
बीत जाता था उसके साथ हर पहर,

सुबह का खाना,शाम को फिर चाय,
काश वो वक़्त फिर लौट आये,

जब उठके चलती थी घंटो करके बातें,
ना जाने क्यूँ रोक लेती थी वो हमेशा आके,

वो माँ सी बन जाती थी,कभी सहेली,
लगता था हमेशा जानती थी उसे मैं,
पर वो रही हमेशा पहेली,

हर अँदाज अनोखा था उसका,
प्यार उसका, नाराज़गी,कभी थोड़ा गुस्सा,
रहा साथ फिर भी सदा यू ही,
चाहे नाराज़गी थी या गुस्सा,

सालों गुज़र गए,आज भी वो दिन
यू ही ठहरे खड़े हैं,
जहाँ हम साथ जीये थें,
रोए थें कभी साथ,
कभी आँसु भी पीये थें,

रूठना,मनाना,कभी परवाह बेसुमार,
आज भी वो पहर रुका है वही,
जहाँ बरसता था उसका प्यार,

कोई ले ना पाया जगह,
आज भी है वो खाली,

वो उसके नाम के कुछ पल,
फिर से जीने हैं दोबारा,
यूँ ही टहलना है बेवजह संसार सारा,
काश! वक़्त जो रोकती थी वो तब,
आज फिर ठहर जाये दोबारा।।।।

©Neelam bhola
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Neelam bhola

कहते थे दिल टूटने की आवाज़ नही होती,
सुना करते थे कभी हम ये 
और हँस दिया करते थें,
आज बात ये याद कर 
फिर हँसी आई है इक बार,
पर वजह कुछ और है।।।।

©Neelam bhola
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Neelam bhola

फिर दिल टूट जाने का कसूर किसे दूँ,
खुद कुसूरवार हैं हम,
किसे कुसूरवार ठहराऊँ,
आग खुद लगायी थी घरौंदे में अपने,
कौन आयेगा अब आग बुझाने,
चलो इसे अपने आँसुओ से ही बुझाऊँ।।।

©Neelam bhola
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Neelam bhola

शरीर के कुछ टुकड़े कर के,
ज़रा उधार लेना है आज,
थोड़ी मक्कारी,थोड़ा झूठ,थोड़ी सी बनावट,

चलो रूह के ही टुकड़े कर लिये जाये,
और उधार ले आऊँ ये सब,

सच को बेच के शायद कुछ खरीद ना पाऊ,
चलो थोड़ी इंसानियत आज बेच दी जाये,
सीधापन कुछ खास कीमती नही,
रद्दी के भाव बिक जाये शायद,

बनावटी इस दुनिया में,बनावटी बाज़ार में,
सब बनावट है आज,हर तरफ मिलावट है आज,
हँसी बनावट,बातें बनावट,किरदार बनावट,
प्यार बनावट,दोस्त यार बनावट,

ना असल है कुछ,ना असल की कीमत कुछ आज,
थोड़ी बनावट सच्चाई बेच कर खरीद लू क्या आज,
या सच्चाई से झूठ ले लू उधार,
या ज़मीर रख दू गिरवी झूठ खरीदने के लिये,

सच्चाई किसी काम ना आई मेरे,
ना कोई रिश्ता ही सच्चाई से खरीद पाई कभी मैं,

झूठ है कीमती इतना,जहाँ भी रख दो,
चमकता बस वही है,सच दिखता ही नही,

मक्कारी है बहुत महँगी,
इसका क्या मोल लगाऊँ ,
सच्चाई,ईमान,सीधापन,सब गिरवी रख छोड़ा,
इसे कैसे खरीद पाऊँ,
है पहुँच से दूर मेरी,
पर इसके बिन मुश्किल है सब कुछ आज,
सीधा रह के कब तक यू तिल तिल मरती जाऊँ।।।।

©Neelam bhola
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Neelam bhola

माना कि अंधेरा गुम घनेरा है,
सूरज का ना नामो निशां है,
शाम है दूर तलक,
सवेरा कहाँ है,

माना शाम अंधेरी है फिर आज,
पर सवेरा फिर भी आयेगा,
मत हो उदास,
अंधेरा छट ही जायेगा,

तपती ज़मीन है चारों ओर,
बारिश की है चाह हर किसी को,
बुंदों का है इंतजार हर ओर ,

माना तपती ज़मी है,
बारिश कहीं नहीं है,
पर तपती इस ज़मीन पे,
सावन फिर से आयेगा,

आज तू अकेला है माना,
उदास भी शायद,ना उम्मीद भी ज़रा,
ना उम्मीदें की ये दीवारें गिर ही जायेंगी,

उम्मीदों की किरणें फिर नज़र आयेंगी,
जिंदगी  फिर नई सी हो जायेगी,
देखना! जिंदगी फिर मुस्कुरायेगी ।।।।

©Neelam bhola
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Neelam bhola

हर तरफ चीख़-पुकार,
हर तरफ हाहाकार,
उफ! ये बिखरा-बिखरा सा संसार,

ना है कहीं चैन,
बेचैन सा घूमता हर इन्सान,

कुदरत का कहर है ये,
या खुद भगवान का,
कुछ समझ ही नही आता है,
कोहरा ये गहराता ही जाता है,

अब ये धुँध छट जाये ज़रा,
कोई उम्मीद की किरण नज़र आये ज़रा,

हे! प्रभु कर सब पर रहम,
हो जिंदगी पहली सी हर किसी की,
भूल मत तेरे ही बन्दें हैं  हम,
कर रहम, कर रहम ।।।।

©Neelam bhola
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Neelam bhola

रात आँखों में गुजार दी हमनें,
रात से सुबह,सुबह से रात कर डाली हमनें,

करो इन्तजार ये कहा था उसने,
ना आया खुद,ना जवाब कोई,
ये वाहिद बात कर दी उसने,

हर लम्हा रहा इन्तजार हमें भी,
क्या? कोई गलत बात कर दी हमनें,

यादों का कारवां चला रात भर,
रुका ही नही,
इक अजब सफ़र की शुरुआत कर दी हमनें,

ख्वाब देखे हज़ार,जो मुक्कमल हो नही सकते कभी,
रिवायतों से दगा,फिर आज रात कर दी हमनें।।।।

©Neelam bhola
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