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kanhayaprasadtiw7879
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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

सुप्रभात अपका दिन मंगलमय हो जय हो ।

कठिन समय में आपका, श्रेष्ठ रहा सहयोग ।
संयम और सलाह से , मिला सुमंगल योग ।।

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik #Janamashtmi2020
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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

हिम्मत रख मन में 
जोश जगा तन में 
घुट घुटके मरना क्या 
उलझ नहीं धन में 

हृदय से बात कर
शत्रु को मात कर 
मन के जमात से
भय को अजात कर 

पल पल जियो 
हरपल को जियो 
पहले सीख लो जीना 
फिर मरके जीयो । 

कहते हो बंधन है 
इसलिए क्रंदन है
तोड़ो भ्रमपाश को 
फिर तो अभिनंदन है 

बालक से वृद्ध तक वृद्ध से नवजात 
पूरा हो वलय तब मिलेगी निजात 
संशय न करना सद्यः समर्पण कर 
आवरण आनावृत कर सृष्टि के अजात ।
~  कन्हैया प्रसाद रसिक  ~

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik #apjabdulkalam
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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

हिम्मत रख मन में 
जोश जगा तन में 
घुट घुटके मरना क्या 
उलझ नहीं धन में 

हृदय से बात कर
शत्रु को मात कर 
मन के जमात से
भय को अजात कर 

पल पल जियो 
हरपल को जियो 
पहले सीख लो जीना 
फिर मरके जीयो । 

कहते हो बंधन है 
इसलिए क्रंदन है
तोड़ो भ्रमपाश को 
फिर तो अभिनंदन है 

बालक से वृद्ध तक वृद्ध से नवजात 
पूरा हो वलय तब मिलेगी निजात 
संशय न करना सद्यः समर्पण कर 
आवरण आनावृत कर सृष्टि के अजात ।
~  कन्हैया प्रसाद रसिक  ~

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik #apjabdulkalam
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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

केकर साथ रही के बिछुड़ी, आज करोना काल में ।
बच्चा बूढ़ युवक जनमतुआ, जाता यम के गाल में ।।
हदस हिलावत बा सभके मन , घरी घरी परिवार के ।
अंदर के हिम्मत थाकल बा, जइसे जन भूचाल में ।।
अदिमी अदिमी से बोलत बा , दो गज दूरी हट के ।
मास्क और सेनिटाइजर से , सजे बराती हॉल में ।।
ना मिलला में खुशी बुझाता, ना बिछुड़े अवसाद हीं ।
ना सुख चैन पिता घर बाटे, ना रसगर ससुराल में ।।
मोटर गाड़ी बंद,  बंद बा ,  दुपहिया फटफटिया भी ।
पैदल चलला पर चाभुक से , बाम परेला खाल में ।।
सबसे बढ़िया बा ए भइया, अपने आपन सोचल जाय ।
ना तऽ मय सवांग फँस जाई,  चितकबरा के जाल में ।।
~  कन्हैया प्रसाद रसिक  ~

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

कठिन समय में प्रेम से , करना शुभ संवाद ।
प्रतिरोधक बल है सजग , तन होगा आबाद ।।
तन होगा आबाद , हृदय में रक्त रहेगा ।
भय जायेगा हार , ज़हन में जोश भरेगा ।।
छोड़ो सोच नकार,  न जीयो तुम संशय में ।
रसिक दिलाये याद, झुको ना कठिन समय में ।।

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

आज जियतानी काल्ह के हाल ना बताइब 
आपन ओहदा से केहू के ना सताइब 
आज समय सुधारल चाहता सभ केहू के 
सुधर जाईं ना तऽ चपेटा में आ जाइब

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

पंचभूत में गर मिलना है , फिर प्रपंच क्यों करता हैं ।,
अपनी टाँग कुल्हाड़ी पर रख, अगनित आहें भरता हैं ।
राम नाम का रटन लगाये, रहता हैं मानव हर-पल  ,
किन्तु राम का स्मरण हृदय में,  करने से क्यों डरता हैं ।। 

पाप-पुण्य के ऊहापोह में , नाहक समय गँवाता हैं,
शून्य समझ के परे बताकर, अपना रोब जमाता हैं ।
देश काल गुण धर्म धरा पर, निर्णय करता अलग अलग, 
किन्तु चेतना एक जगत में,  सबको जागृत करता है । 

दंभ नहीं दिखता दर्पण में, दामन का सब दाग दिखे ,
क्या कारण है अपने कर से , औरों का क्यों भाग्य लिखे ।
सकल संपदा छुईमुई सी, हीन कर्म से झट झुलसे, 
फिर भी मानव अकड़पना से , सद्वर्ताव नहीं सीखे ।

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik #Winter
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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

शांत सरोवर में सुगम ,  दिखे तलहटी साफ ।
चंचल मन मछली बना,  करे नहीं इंसाफ ।।
करे नहीं इंसाफ,  बनाये अगनित बाधा ।
पूर्ण परात्पर प्रेम  , पृष्ठ पर दिखता आधा ।।
नैसर्गिक अनुराग, दिखे मधु घट मुख गोबर  ।
सहज मिले मधुपर्क, मनस में शांत सरोवर ।।

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

मैं में हैं बन्धन बहुत,  मैं ही दुख की खान ।
मैं से मुक्ति जिसे मिली,  समझो वही सुजान ।।
समझो वही सुजान,  शान्ति के पथ पर धाये ।
जाति धर्म बिसराय,  सभी को गले लगाये ।।
ईश्वर का वरदान, निहित मानवता में है ।
आश्रय नीच विचार, स्वयं अपने मैं में है ।।

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

काल चाल से सभ बदलल बा , माया ममता मानस  
जल में बिम्ब बने बिगड़ेला , दइबे एह के जानस 
सात रंग के इन्द्रधनुष में, मन हरदम अझुराला 
अपने करम कमाई लेके,  मनई आटा सानस

©Kanhaya Prasad Tiwari Rasik

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