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prashantsinghraj1059
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Prashant Singh Rajawat

Poet, Reader, Software Engineer

www.yourquote.in/prashant_singh_rajawat

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Prashant Singh Rajawat

लगी हुई है होड़ बिखरने की इन चाँद-सितारों में,
सुना है जलसा लगा हुआ है, जन्नत के गलियारों में।।

इक निर्मोही फेर के नज़रें, सब को तन्हा छोड़ गया,
दुनिया सारी खड़ी हुई है, लेकर नीर किनारों में।।

कल को फिर सब, अपने-अपने कामों में रम जाएंगे,
कितना सूनापन पसरा होगा, उनके परिवारों में।।

लड़ते-भिड़ते चलते रहने को ही जीवन कहते हैं,
जीवन नहीं रुका करता है, छोटी-छोटी हारों में।।

किसे खबर हँसने वाले के अंतर्मन की मनोदशा,
कितने राज़ छिपा रक्खे हैं कमरे की दीवारों में।।

कहने को कहने वाले सब आस-पास ही रहते हैं,
कौन किसी के काम आता है, वक़्त-ए-गम-ओ-आज़ारों में।। होड़।।
#Star #sushant #Suicide  #Death #RIP
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Prashant Singh Rajawat

NO RIP..
DO NOT REST..
BECAUSE..
SOME PEOPLE NEVER REST..
THEY WORK, THEY WORK AND THEY ALWAYS WORK..
EVEN AFTER GOING..
I BELIEVE..
THEY ALWAYS WORK TO IMPROVE THEMSELVES..
SO THAT..
THEY CAN COME BACK
WITH..
MORE TALENT..
TO MOTIVATE..
THE WHOLE MANKIND..
SO..
NO RIP..
BECAUSE I KNOW..
YOU NEVER RESTED..
YOU WILL NEVER REST...
COME BACK SOON... NO RIP 😔
#irrfankhan #Irfan #Death #Life 
#RESPECT
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Prashant Singh Rajawat

एक मुद्दत से हूँ बैठा, मुराद-ए-दीद लिये,
कि जाने वाले तो मुड़ कर नहीं आया करते।।

वो दूसरा तो कभी था ही नहीं, मेरे लिये,
खुद से ही खुद को किस तरह से पराया करते।।

है ये लाज़िम कि नदारद है हासिल-ऐ-हयात,
उम्र गुज़री है मेरी, उम्र को ज़ाया करते।।

जो सिलसिला कोई रखा कहीं होता हमसे,
तो तुमको मिलने शब-ओ-रोज़ बुलाया करते।।

शजर-क़लम को लिये हाथ आरियाँ है खड़ा,
उमर गुज़ार दी जिस फ़र्द पे साया करते।।

वक़्त रहते जो खुद को कर लिया होता महदूद,
कम-से-कम जान को तो यूँ न गँवाया करते।।

जीने की दी क़सम कि फिर जुदा भी हो गया,
खुद को अब मारते या खुद को बचाया करते।।

✍️प्रशांत सिंह राजावत हासिल-ए-हयात
#life #zindagi

हासिल-ए-हयात #Life #Zindagi #poem

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Prashant Singh Rajawat

उमड़-घुमड़ कर जो बादल घिर आये हैं,
बात ज़रा सी तो घबराने वाली है।।

शोर मेरे कानों में आखिर कैसा है,
शायद कोई आंधी आने वाली है।।

नम-नम सी मौसम की आँखे लगती हैं,
लगता है आँसू बरसाने वाली है।।

मैं भी रस्ता देख रहा हूँ बूंदों का,
लहर कोई मुझसे टकराने वाली है।।

अमृत जल को माटी पर गिरने तो दो,
फिर खुशबू सौंधी, मन महकाने वाली है।।

बदल-बदल कर देख रहे हो आईना,
सीरत नज़र नहीं पर आने वाली है।।

©प्रशांत सिंह राजावत बादल

बादल

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Prashant Singh Rajawat

अनमोल थी, कि जो तू मुझे मिल नहीं सकी।।
बेमोल थी, कि या वो तुझे यूँ ही ले गया।।। अनमोल या बेमोल।।

#anmol #bemol

अनमोल या बेमोल।। #anmol #bemol

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Prashant Singh Rajawat

हम नहीं लड़ेंगे आज भी, हम चुप रहेंगे आज भी।।

अब भी ये खून न खौलेगा, हर शख़्स यहाँ बस बोलेगा।।

सब जंतर-मंतर जाएंगे, अपना आक्रोश दिखाएंगे।।

हर ओर रैलियाँ निकलेंगी, सड़कों पर मोमें पिघलेंगी।।

कुछ दिन को सब चिल्लायेंगे, फिर इक दिन चुप हो जाएंगे।।

और इक दिन फिर ऐसा होगा, बिल्कुल पहले जैसा होगा।।

बस नाम और सूरत बदलेगी, इक कली खुशनुमा कुम्हलेगी।।

इक देवी मारी जाएगी, इक राजकुमारी जाएगी।।

माँ अपनी दुलारी खो देगी, इक बहन तड़प कर रो देगी।।

किसी बाप का गौरव बिखरेगा, इक भाई का धागा उतरेगा।।

फिर सब नींद से जागेंगे, फिर इधर-उधर सब भागेंगे।।

फिर से हरसू बातें होंगी, अश्क़ों की बरसातें होंगी।।

और वो ऊपर से देखेगी, सब जान लगा कर चीखेगी।।

वो स्वर्ग में भी रो जाएगी, वो मर कर फिर मर जाएगी।।

पर हम...

हम नहीं लड़ेंगे आज भी,  हम चुप रहेंगे आज भी।।। हम नहीं लड़ेंगे आज भी, 
हम चुप रहेंगे आज भी।।

अब भी ये खून न खौलेगा, 
हर शख़्स यहाँ बस बोलेगा।।

सब जंतर-मंतर जाएंगे, 
अपना आक्रोश दिखाएंगे।।

हम नहीं लड़ेंगे आज भी, हम चुप रहेंगे आज भी।। अब भी ये खून न खौलेगा, हर शख़्स यहाँ बस बोलेगा।। सब जंतर-मंतर जाएंगे, अपना आक्रोश दिखाएंगे।। #poem #Stoprape #hangrapiats

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Prashant Singh Rajawat

तू ही मुझे बता, आखिर मैं क्या लिखूँ?
नाराज़ हो के तुझसे, शेर लिख रहा हूँ मैं।। नाराज़

#naraaz #psr #sad

नाराज़ #naraaz #psr #SAD

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Prashant Singh Rajawat

गीतों की किताब।।।

गीतों की किताब।।।

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Prashant Singh Rajawat

एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से झूठ बोल सकता है,
मगर,
एक कवि अपनी कविता से कभी झूठ नहीं बोलता।।। सत्य।।।

सत्य।।। #Quote

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Prashant Singh Rajawat

इंसान कहीं से भी, इंसान नहीं दिखता,
भारत पहले जैसा, महान नहीं दिखता।।
क्या मान करेंगे ये, इस भारत माता का,
माँ-बाप की खातिर भी सम्मान नहीं दिखता।।

प्रचार यहाँ झूठे सच का, रावण को करते देखा,
इंसानियत को इंसानों, के हाथों ही मरते देखा।।
रावण की लंका है, जहाँ राम की नगरी थी,
यहाँ दूर तलक़ कोई भी राम नहीं दिखता।।

हर चौराहे पर दुर्योधन, चीर हरण करते देखे,
हर ओर चीखती द्रौपदियों, के दामन भी बिकते देखे।।
यहाँ कंस भी दिखते हैं, कौरव भी दिखते है,
यहाँ कृष्ण नहीं दिखते, बलराम नहीं दिखता।।

हर ओर तो भजन-अज़ानें हैं, पर दिल-दिल से बेगाने हैं,
मंदिर में चढ़ता है सोना और भूख से जाती जानें हैं।।
इंसानों का दिल देखो, ईश्वर भी दिख जायेंगे,
पत्थर की मूरत में, भगवान नहीं दिखता।।

कुछ लोग दीवाने आज भी हैं, देश पे जो मर जाते हैं,
और कुछ इतने नालायक हैं, इन पर पत्थर बरसाते हैं।।
जिस देश का खाते हैं, उस देश को खाते हैं,
अपने ही भारत पर, अभिमान नहीं दिखता।। इंसान 👤
#psr #prashantsinghrajawat
#insaan #nojotohindi
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