चलती हुई गाड़ी के सामने अचानक आए गड्ढों पर, हम ब्रेक और क्लच के सही तालमेल एवं अपनी सूझबूझ के कारण जिस तरह कठिन रास्तों को सुरक्षित पार कर लेते हैं,
ठीक उसी प्रकार, असल ज़िंदगी में भी कुछ ऐसा ही होता है, हम ख़ुद उस चलती गाड़ी के सामान होते हैं और परेशनियाँ, अचानक आए उन गड्ढों के सामान।
इन गड्ढों से निकलने के लिए हमें, हमारी आर्थिक स्थिति,
पारिवारिक रिश्तों एवं सभी ज़रूरी पहलुओं के बीच का सही तालमेल बनाएँ रखना बहुत ही ज़रूरी होता है।
Narendera Kumar
नियत का भी बहुत बड़ा खेल होता है साहेब।
Narendera Kumar
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तरक़्क़ी निश्चिन्त है।
Narendera Kumar
अपने आदर्शों से बढ़ कर कुछ मत रखो,
ना किसी को अपनी जेब में,
ना ख़ुद को किसी की जेब में रखो
सफलता आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी,
बस निरंतर प्रयास की ज़रूरत है,
जैक बस गाड़ी को सहारा ही दे सकता है, बढ़ने के लिए उसको भी ख़ुद के पहियों की ही ज़रूरत है।
Narendera Kumar
बुझ जाती है यूँ ही वो लौ,
रौशन जो सबको करती है,
अंधकार के पथ पर जो,
हमें सुरक्षित रखती है,
पुलवामा हमले ने सबको,
तार तार कर डाला है,
कुछ कुत्तों की टोली ने,