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abhijeetnishad4243
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Abhijeet Nishad

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Abhijeet Nishad

अक्सर मेरा मानना है कि यार कोयल या कौआ देखे तो एक जेसे ही है दोनो ही काले ही है मगर जब कौआ बोलते हैं तो हमे पसंद नहीं आता और एक तरफ कोयल बोलती हैं तो हमे लगता है बस बोलती ही रहे कहने का तात्पर्य है कि यार रंग तो काला ही है तो उसी से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है फर्क पड़ता है बोलने से स्वभाव से आपका किरदार ही आपकी पहेचान है दोस्त क्योंकि एक ही नाम के हजारों इंसान हैं बस मुस्कुराते रहो और खुश रहो यार...!!!

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Abhijeet Nishad

ये दुनिया है इक सर्कस और मैं हूँ इसका जोकर
देखे मेरे करतब जब फिर झूमा राम तू भूलकर दर्द नहीं है दुनिया में जो हल्का ना हो हंसकर
चेहरे पर मुस्कान नहीं है आया हूँ में रंगकर दंग ये दुनिया रह जाएगी झाँक कि मेरे अंदर ये दुनिया है इक सर्कस और मैं हूँ इसका जोकर सुना नहीं एहसास ये तेरा समझा है खुद सहकर भोगी हैं ये आँखे मेरी देख ले चाहे छूकर हँसना तो सब सीख गए क्या देखा कभी हंसाकर कला अनोखी है ये जग में आंकना मुझको कमतर ये दुनिया है इक सर्कस और मैं हूँ इसका जोकर डरते भी हैं लोग यहाँ पर रूप ये मेरा देखकर घूम रहे है सारे जग में यही मूकोटा पहन कर जोकर तो बस दिखलाता है तेरा आइना खोल कर
कम ना कर खुद अपना औदा मुझे निरर्थक बोल कर ये दुनिया है इक सर्कस और मैं हूँ इसका जोकर...!!!

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Abhijeet Nishad

ये अंत नहीं लेकिन बात अंतिम है
ये बस कविता नहीं जीवन का प्रतिबिम्ब है
ये शायर कह कर गया था मैं लौट कर आऊँगा
अब शायद लगता है लौटना नामुमकिन है
बारिश में भीगा करते थे अब बारिश गिला करती है सहर की मद्धम सबा भी अब आँधी सी लगती है चाय में चीनी पूरी है फिर भी फीकी लगती है
शाम से की सारी बातें अब झूठी सी लगती है
कुछ पल की दूरी अब सदियों से लम्बी लगती है इंतेज़ार किया बहुत तुमने मगर अब बेमानी सी लगती है इश्क में सब कुछ जायज़ है
कहा हर एक शायर ने सारी जायज़ बातें भी
अब ग़लती सी लगती है
ये अंत नहीं लेकिन बात अंतिम है
जीवन की इस नज्म की ये पंक्ति अंतिम है
ये शायर कह कर गया था मैं लौट कर आऊँगा 
अब शायद लगता है लौटना नामुमकिन है...!!!

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Abhijeet Nishad

मैंने देखा है तुम्हें बात करते हुए उन सभी ज़ख़्मों के बारे में जिन्हें याद करने पर तुम्हें याद आती है अपनी ग़लतियाँ, नादानियाँ, गिरा हुआ आत्मसम्मान, रोती हुई आँखें, खामोशी से पुकारती हुई जुबान, रहम की दलील माँगते हुए हाथ और कभी ना मिलने वाली माफ़ी क्योंकि तुम्हें ये समझने में बहुत से तजुर्बे लगे है की बिना वजह सर झुकायें माफ़ियाँ माँगने से कोई तरस खाकर तुम्हारे काँपते शरीर पर प्रेम की चादर उड़ाता नहीं है की प्रेम में समर्पण करने पर कोई तुम्हें रुलाता नहीं है...!!!

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Abhijeet Nishad

दर्द लेता फिर रहा है हर किसी का मुफ्त में करता है सौदा जिन्दगी का उजाले बांटता देखा है सबने इसको लगाये कौन अंदाजा इसकी तीरगी का हर दम बंधे आंख से आंसू और दिल में बात कोई बड़ा मुश्किल ये किरदार, जो है आदमी का...!!!
Happy international men's Day

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Abhijeet Nishad

ये अंत नहीं लेकिन बात अंतिम हैं
ये बस कविता नही जीवन का प्रतिबिम्ब है

ये शायर कह कर गया था मैं लौट कर आऊँगा 
अब शायद लगता है लौटना नामुमकिन है

बारिश में भीगा करते थे, अब बारिश गिला करती है सहर की मद्धम सबा भी, अब आँधी सी लगती है 
चाय में चीनी पूरी है फिर भी फीकी लगती हैं 
शाम से की सारी बातें, अब झूठी सी लगती हैं

कुछ पल की दूरी अब सदियों से लम्बी लगती है इंतेज़ार किया बहुत तुमने मगर अब बेमानी सी 
लगती है इश्क में सब कुछ जायज है, कहा हर 
एक शायर ने सारी जायज़ बातें भी
अब ग़लती सी लगती है

ये अंत नहीं लेकिन बात अंतिम हैं 
जीवन की इस नज्म की ये पंक्ति अंतिम है

ये शायर कह कर गया था में लौट कर आऊँगा 
अब शायद लगता है लौटना नामुमकिन है...!!!

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Abhijeet Nishad

प्रेणादायक कविता...

शमशान में एक समाधि पर अपना बस्ता फेक एक बच्चा समाधि के पास बैठकर शिकायत करने लगा
उठो ना पापा, टीचर ने कहा हैं की फीस लेकर आना नहीं तो अपने पापा को लेकर आना ये सुनकर पास की समाधि पर एक आदमी फोन पर किसी फूलवाले से हजारों रुपयों के फूल लेने के लिए बात करते करते कुछ सोचकर फोन पर बोला की ऑर्डर कैंसल कर दो फूल नहीं चाहिए भाई फूल इधर ही मिल गए हैं उसने वो पैसे बच्चे के हाथ में रखें और बोला बेटा ये लो तुम्हारे पापा ने भेजे हैं कल स्कूल में जमा करा देना
जीना इसी का नाम हैं...!!!

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Abhijeet Nishad

रख सको तो एक निशानी हूं मैं हूं खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूं मैं रोक ना पाए जिसको ये सारी दुनिया वो एक बूंद आंख का पानी हूं मैं सबको प्यार देने की आदत हैं हमें अपनी अलग पहचान बनाने की आदत हैं हमें कितना भी गहरा जख्म दे कोई उतना ही ज्यादा मुस्कुराने की आदत हैं मुझे इस अजनबी दुनिया में अकेला ख़्वाब हूं मैं सवालों से खफा छोटा सा जवाब हूं मैं जो समझ ना सके मुझे उनके लिए कौन जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूं मैं आंख से देखोगे तो खुश पाओगे दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूं मैं अगर रख सको तो एक निशानी हूं मैं खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूं मैं...!!!

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Abhijeet Nishad

अक्सर में सोचता हूं कि यार खुश रहेना हो तो हम किसी भी हाल में खुश रहे सकते हैं कल मुझे एक Uncle मिले बहुत ही खुश थे मेने पूछा क्या बात लॉटरी लग गई अंकल को ज्यादा कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ओर दिखाई भी कम दे रहा था अंकल ने क्या खूब जवाब दिया कि बेटा मेरे से ज्यादा खुश इस दुनिया में कोई नहीं हो सकता क्योंकि मुझे लोगो की बात बहुत ही कम सुनाई दे रही है लोग मेरे बारे में क्या बोल रहे हैं और क्या सोच रहे हैं वो मुझे नहीं दिखाई देता इसी लिए में तो खुश हूँ में मेरी जिंदगी बहुत ही मजे से जी रहा हूं इसीलिए लोगो की बात कम सुनिए खुश रहोंगे...!!!

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Abhijeet Nishad

देखो यार...
कभी-कभी होता है ना लोगों की कहानी में हम बहुत बुरे होते हैं हम उनके लिए दुश्मन बराबर होते हैं क्योंकि हर कहानी में आप अच्छे हो जरूरी नहीं है एक बात हमेशा याद रखना मेरे दोस्त की वो इंसान आपका नाम अवश्य जानता होगा मगर आपकी कहानी नहीं जानता है आपकी कहानी हर किसी को पता हो वो भी जरूरी नहीं है ना इसलिए सम्मान कि उम्मीदे सबसे मत रखिए खुद से रखिए और खुद का सम्मान करो लोग अपने आप आपका सम्मान करेंगे...!!!

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