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"मुझे लिखना है कुछ गहरा सा , जिसमे तेरी यादों का हो पहरा सा । जिसे तू समझे और मैं समझूं , और पढ़ कर लगे कुछ ठहरा सा । जिसमें हो अपने उन पलों का जिक्र, जिनका मिल के देखा था ख्वाब सुनहरा सा । .............................................. ............................... मुझे लिखना है कुछ गहरा सा , जिसमे तेरी यादों का हो पहरा सा । "
Pratik Singh
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