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ravinathani4492
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Ravi Nathani

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Ravi Nathani

लिखी है ये ग़ज़ल सिर्फ़ तेरे लिए,
दीवाने बने भी तो सिर्फ़ तेरे लिए !

किसी को नहीं देखेंगी अब ये आँखें,
नज़रें तरसेंगी भी तो सिर्फ़ तेरे लिए !

हर साँस में याद करेंगे तुझे,
ये साँस निकलेगी भी तो सिर्फ़ तेरे लिए !

हर प्यार से प्यारे लगते हो तुम मुझे,
मैने प्यार सीखा भी तो सिर्फ़ तेरे लिए…!!

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Ravi Nathani

कुछ गहरा सा लिखना था,
इश्क से ज्यादा क्या लिखूँ ?

कुछ सदियों सा लिखना था,
तुम्हारी यादों से ज्यादा क्या लिखूँ ?

कुछ ठहरा सा लिखना था,
दर्द से ज्यादा क्या लिखूँ ?

कुछ अपना सा लिखना था,
तेरे सपनों से ज्यादा क्या लिखूँ ?

कुछ अहसास सा लिखना था,
तेरी मुस्कान से ज्यादा क्या लिखूँ ?

कुछ समन्दर सा लिखना था,
आँसू से ज्यादा क्या लिखूँ ?

कुछ खुबसूरती सा लिखना था,
आँखो से ज्यादा क्या लिखूँ ?

सुनो-
अब जिन्दगी लिखनी है,
तुमसे ज्यादा क्या लिखूँ !!

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Ravi Nathani

पूछा जो मैंने एक दिन खुदा से, 

अंदर मेरे ये कैसा शोर है, 

हंसा मुझ पर फिर बोला, 

चाहतें तेरी कुछ और थी, 

पर तेरा रास्ता कुछ और है, 

रूह को संभालना था तुझे, 

पर सूरत सँवारने पर तेरा जोर है, 

खुला आसमान, चांद, तारे चाहत है तेरी, 

पर बन्द दीवारों को सजाने पर तेरा जोर है, 

सपने देखता है खुली फिजाओं के, 

पर बड़े शहरों में बसने की कोशिश पुरजोर है..

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Ravi Nathani

तुम्हारी खूबसूरती की दिन रात तारीफ करता हूँ में....
तुम्हारी तस्वीर लेकर यूँ ही हमेशा देखा करता हूँ में..
क्या करू में..इतनी खूबसूरत जो हो तुम...
जन्नत से आई कोई परी हो तुम...!!!

तुम्हारी ये नशीली आँखें...और उनमे वो गहरे काजल..
उन्हे और भी खूबसूरत बनाती है..
उनमे और भी नशा जगाती है..!!

तुम्हारी ये प्यारे होंठ...और उनमे वो गुलाबी रंग....
छूने को मन करता है..
उनसे बातें करने को दिल करता है..

तुम्हारी ये घने घने ज़ूलफे...और उनमे वो रेशम सा रंग...
उनमे खो जाने को दिल करता है....उसमे सिमट जाने को दिल करता है..!!!

इतनी खूबसूरत हो तुम....औरो से बिल्कुल अलग हो तुम....आँखों की जन्नत हो तुम...
जन्नत से आई कोई परी हो तुम..

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Ravi Nathani

ये उदासी वाले दिन कभी तो ढलेंगे,
फिर काशी तो क्या केदारनाथ भी चलेंगे...!

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Ravi Nathani

कश्मीरी चाय की तरह थी तुम,
गुलाबी तो थी पर मेरी नहीं थी..!

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Ravi Nathani

ज़िन्दगी कुछ यूँ जिया करो..
दिल नरम रखा करो..
और चाय कड़क पिया करो...!

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Ravi Nathani

सबको जाने दो तारो के शहर में...
तुम मेरे साथ नुक्कड़ पे चाय पीने चलना...!

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Ravi Nathani

मेरे हर लम्हे में सुकून भर देती हे...!
तुम्हारे हाथ की चाय दिसंबर को भी जून कर देती हे...!❣️

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Ravi Nathani

तुम पूनम, में अमावस...
तुम चाय, में बनारस...!

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