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ashokjorasia8116
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Ashok Jorasia

believe in best

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Ashok Jorasia

White तन्हाई के बिछोने में भी सांसे चलती रही ।
मेरी आँखे बस तेरे ही ख्वाब पालती रही ।।

शबनम की बूंदे भी भिगो न सकी जमीं को।
मोम की तरह रूह बारिश में जलती रही ।।

एक लम्हे के बाद भी मेरी याद नही आई।
दिल मुकर गया इश्क की रिहाई होती रही ।।

सांसे रूक गई मगर धड़कने चलती ।रहती
सम्से राते फिजाओं से सौदेबाजी करती रही।।

झूठी बात ना करो अफसानों की दनिया मे ।
नफरती लोगो मेरी मोहब्बत खलती रही ।।

©Ashok Jorasia
  #इब्ने_मीर
#अशोक_जोरासिया_की_गजल
#मेरी_कलम_से✍️
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Ashok Jorasia

White तिमिर से लड़कर
प्राची में दिनकर आया हैं ,
नयी आशायें , उमंग
साथ अपने लेकर आया है ।
    उठो ! जागो !!

    रुको मत मन्जिल के लिए ,
    प्राक्काल से लड़कर ही
    सदैव नवययुग आया है ।

बनो नये के ख्वाब ,
उमीदों के लगाओ पंख ,
ये खुला आसमान ,जमीं
आपको देने आया है ।

    तराश लो स्वयं को
    राह नयी बना लो ,
    जीवन संघर्ष का नाम
    निरन्तर बढ़ते चलो 
कहने दिनकर आया है ।।

©Ashok Jorasia
  #love_shayari
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Ashok Jorasia

White किसी महफ़िल का मुझको भी साहिर बना ले।
तू रांझ बन जा मुझको तेरा अहीर बना ले ।।
तेरी नफरतों में मैं बहुत मोहब्बत करता हूँ।
तेरे वादे वफ़ा कसमो का मुझे जमीर बना ले।।
हर पल कभी आसमां से टूटता नही तारा।
मांग ले दुआओं में खुद को अमीर बना ले।।
जन्नत बन के उतर जा इस जमी पर ।
दो बदन एक इक जान का अपना शरीर बना ले।।
अफसानों की दुनिया का चमकता तारा हूँ मैं।
तेरी विरासत की मुझको को जागीर बना ले।।
     ©® अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
  #goodnightimages
#भोर_की_गूंज
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Ashok Jorasia

तेरे शहर में आया हूँ , मुकाम तलाश रहा हूँ ।
बे-तख्वाह हूँ आज ,मुकदर आजमा रहा हूँ ।।

पहली बार आया हूँ , मझक्का सा दिख रहा है शहर ।
गुरबत सा न बन जाऊं यंहा, हमसफ़र ढूंढ रहा हूँ ।।

काफिला-ए-बेरोजगारी बहुत होगी ,भीड़ जो है यंहा ।
मुक्ताभ सा बनकर , खुद-ब-खुद आजमा रहा हूँ ।।

पवर्तश्वर सी इमारतें है शहर मै , लिफ्ट तो होंगी ।
चढ़ना है कैसे शिखर पर, तरीका-ए-तकलीन जान रहा हूँ ।।

मिलेंगी मंजिल कहाँ  ?  मुझको ये पता नही ।
मुशाफिर हूँ ढूंढ़ लूंगा , कल की तलाश कर रहा हूँ ।।

      @अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
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Ashok Jorasia

White 
माँ के स्नेह भरे आंचल से लिपटकर बच्चा नीद में सो गया।
ममता भरी लोरी की थपथपी लेकर अपने नीड़ में सो गया।१।

फिजाओं से लिपटा आँचल माँ ने पलको पर रख दिया ।
चिलमन को लपटे कर वो आसमां के तारो में खो गया।२।

तन सहलाया मन बहलाया माँ ने ममता भरी लोरी सुनाई।
हाथ फैलाकर मांगी दुआए ,माँ की इबादत लेकर सो गया।३।

सुरमई लब्बो से सुरमई ख्वाब मधुमास के गीत सुनाए।
अठखेलिया करता नटखट माँ की आंखों का तारा हो गया।४।

उतर आया अक्स चाँद का ख्वाब में इब्ने - मीर के भी।
सिमट गई रातें आंखों में , माँ की कोमल बाहो में आ वो गया।५।

©Ashok Jorasia
  #mothers_day
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Ashok Jorasia

White युध्द के विध्वंस बादल जब छटेंगे 
जंग में लगे जिस्म के घाव भी भर जायेगे
बम्ब बारूद पर जलते कंकाल कह रहे हैं ,
सूखे डंकलो पर भी तो पत्ते निकल आते हैं।।


मुझको कसम है फिजाओं की खुशबुओं की ,
मैं संदली हवाओ को आवारा नही होने दूंगा।
बारूद से झुलसी सभ्यता पर ,
नए ख्वाब के नए घरौंदे बनाऊंगा ,
आज सुबह का आफताब निकलने दो।।


    @अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
  #इब्ने_मीर
#नई_कविताएं
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Ashok Jorasia

तेरे हुस्न का जमाल देखा तो दिल मे तेरी तस्वीर उतर गई।
बेमिसाल फिजाओं के रंग में डूबकर मेरी तकदीर सवंर गई।१।

मस्त आंखे जुगूनु की तरह चमकने लगी अंधेरी रात में।
तेरे घुंघुट के चाँद की चांदनी मेरे ख्वाब में बसर कर गई।२।

तेरा हुस्न में मेरे डूबे हुए लाजबाब ख्याल ये कहने लगे।
जिस्म खाक हो गया रूह सितारों की तरह निखर गई ।३।

तेरे नूरे दीदार से मेरी आरजुएं मस्तहाल होने लगी।
तेरे रुखसार की जुल्फे मेरे जिस्म पर फूल की तरह बिखर गई।४।

तेरा इश्क भी बड़ा लाजवाब हैं ए मोहब्बते सनम।
मेरे सारे ख्वाबो ख्याल को अपनी रूह में कैद कर गई।५।

     @अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
  #इब्ने_मीर
#रूह_की_बाते
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Ashok Jorasia

जूती नही मर्दों की ,
पहना और निकाल दिया ,
नारी हूँ नर से भारी हूँ ।
उवर्रक हु नाभिल से
    नर जन्म देती हूँ .........।


अबला नही, ना ही नाम-निहाद हूँ
सबला हूँ ,तेतिक्ष नारी हूँ
कामनी सी कंचन कचनार हूँ
जीवट जीवथ बनकर 
          प्राण यम से ले आती हूँ .........।


फिजूल नही  फजीलत हूँ
नर के दामन की दामनी हूँ
प्रोड्गल से तो
नर ऊर्जा प्रोदीप्त मैं करती हूँ
वात्सल्य से भी
       नर से प्रथम मैं ही रहती हूँ..........।

©Ashok Jorasia
  #womeninternational
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Ashok Jorasia

.

प्रेम की

अश्रु रूपी स्याही की बूंदे

जहां कही पर भी

बिखरती हैं वहां

कभी कविता कभी गजल और

कभी कहानियां लिख जाती हैं।

©Ashok Jorasia
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Ashok Jorasia


दिल से दिल्लगी बहुत हो गयी ,
    कागज-कलम अब लेने दे ।
जज्बातो को में दिल पर लूंगा नही ,
    कलम कागज पर चल जाने दे  ।।
नही लूंगा ऊँची उड़ान,
    पैर जमी पर टिके ही रहने दे ।
आदत नही पद-शोहरत की ,
    आहिस्ता-आहिस्ता ही मुझे बढ़ने दे ।।
शरा-शरियत की बात नही ,
    दिल-ए-मोहब्बत की बात करने दे ।
गेरो से भी अलामत हो गयी ,
    कुछ अपने दिल की भी लिखने दे ।।
मै तो इंसानी ही बन्दा हूं ,
   तख्त-ए-ताज को दूर रहने दे ।
गर-फर्ज पड़े मोहब्बत की ,
      तो फिर ये जंग मुझे लड़ने दे ।।
मोहब्बत हे दिल में मुझे अब भी तेरी,
       सरे आम बया मुझे करने दे ।
नही चाहत गर तुमको मेरी भी ,
     तो मोहब्बत की बाते "इब्ने-मीर" में मुझे लिखने दे ।।

    
    शरा-शरियत =कानून कायदा
    अलामत=पहचान

©Ashok Jorasia
  #शायरी_गजल
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