बाहर निकलिए किसी तरह इस झूठे आवरण से
और बाज़ आ जाइए ऐसे अनापेक्षित आचरण से।
आपसे पूरे देश की भावनाएं और उम्मीदें जुड़ी हैं
और आपको तो बस अपनी कुर्सी की पड़ी है।
आगे बढ़िए और फिर से वो उम्मीद जगाईए
जो वर्षों पहले आपने जन - जन में जगाई थी।
जब आपको सुन लेने भर से ही जनता में
नया जोश और जान भर आई थी।