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akshaysharma0198
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akshay sharma

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akshay sharma

उम्र बढ़ते बढ़ते मैं भी औरों सा हो गया हूँ
बस दफ्तर से घर के दौरों सा हो गया हूँ

©akshay sharma रोज़ मर्राह

#zindagikerang

रोज़ मर्राह #zindagikerang #विचार

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akshay sharma

वक़्त की गाड़ी
चंडीगढ़ के 17 सेक्टर में एक गाड़ी खड़ी है
लगता है तरक्की की सड़क से कच्चे रास्ते आ पड़ी है
ज़ात है अम्बेस्डर ,उम्र औरतों की तरह बताती है
मायूस आँखों से आज की कीमत दिखाती है
सिर झुकाकर पास बुलाती है
कई सवाल उठते देखकर इसे
कब कोई आखिरी बार इसमें बैठा होगा
कब आखिरी बार स्टेरिंग छुआ होगा
कौन आखिरी बार उतरा होगा
बारिश से ओस से कितनी बार भीगी होगी
इसके अन्दर से गुज़रे तो ज़माने को भी ज़माना हुआ
गाड़ी नहीं,वो एक वक्त है गुज़रा हुआ
जब उंगलियों फोन से ज्यादा पन्नों को छूती थी
जब हाल भी रुककर पूछते थे,
जब लोग दिखते नहीं मिलते थे,
जब अपने काम की खबर से लम्बी नाम की खबर की बात होती थी
जब बचपन भी बढ़ा था,
जब जवानी पर बीमारियों का साया नहीं था
जब हर काम का रास्ता उसके घर के आगे से होता था
जब साँसे भी हल्की थी,
जब कमाई की कैद नहीं थी
जब बधाई का फ़ोन भी लम्बा आता था
जब अंग्रेजी भी सॉरी, थैंक यू, आई लव यू तक ही आती थी
बाहर खेलते थे जब बिजली जाती थी
जब एक दिन में उम्र जीते थे,
अभी जगह बहुत कम ली है इसने
जब ज्यादा लगेगी, तब इसकी बारी आएगी
कोई अधिकारी बदलेगा इसका नसीब
जब इसकी  फ़ाइल आगे आएगी
जबतक तलाक होगा इसका इस दुनिया से
तब गिनेंगे तूने किस पीढ़ी से अपने लिए कितनी लड़ाइयां लड़ी हैं
चंडीगढ़ के 17 सेक्टर में एक गाड़ी खड़ी है
लगता है तरक्की की सड़क से कच्चे रास्ते आ पड़ी है

©akshay sharma वक्त की गाड़ी

वक्त की गाड़ी #शायरी

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akshay sharma

मेरे काम का हर रास्ता
तेरे घर के आगे से

©akshay sharma #eveningtea
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akshay sharma

कम्बख़्त कागज़ भी बड़ा कमज़ोर है
मैं नज़्म लिखता हूँ और जल जाता है

©akshay sharma #eveningtea
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akshay sharma

उसकी हँसी से मुस्कुराती है ज़िन्दगी
उसकी उदासी से झुंझलाती है ज़िन्दगी
उसकी खामोशी से एक काला साया बनती है ज़िन्दगी
उसकी खुशी से सफेद अंधेरा लाती है ज़िन्दगी
कुछ तो सोचा होगा खुदा ने
ऐसे ही तो नहीं किसी से मिलाती है ज़िन्दगी zindagi

zindagi

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akshay sharma

#OpenPoetry जन्नत कहाँ है पता नहीं
जन्नत कैसी है पता नहीं
 उसकी आँखों से होते हुए
दिल के रास्ते में है कहीं
जहाँ धूप के टुकड़े होते है
जहाँ हर शय एक पूरा ख्वाब है
जन्नत मैंने ढूँढ़ ली है वहीं
जन्नत कहाँ है पता नहीं जन्नत

जन्नत #OpenPoetry

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akshay sharma

#OpenPoetry जब दफ़्तर में बैठा होता हूँ,तो एक बार नज़र सारी तरफ घूमती है,ऐसा लगता है जैसे यह उम्र एक समन्दर है और मैं एक जहाज़ ,जो इस समन्दर के साथ साथ चला जा रहा हूँ, एक किनारा है जहाँ से आँखे पहली बार खुली है,एक किनारा वो है जहाँ आँख आखिरी बार बन्द होगी,आस पास के जहाज़ भी उस किनारे तक पहुंचने के सफर में है,सब जहाज़ अपनी दिशा में चल रहे है,दिशा कोई भी हो हर जहाज़ किनारे पर ज़रूर पहुंचेगा।सफर में कितनी लहरें अन्दर उतरेंगी जहाज़ के बस वही मायने रखता है,बहुत से जहाज़ खुद के निर्देशन से चलने की सोचते है बस लहरों की गति से हार मानने लगते हैं।बस उन लहरों से हार ना मानते हुए ,समन्दर की लहरों से जूझते हुए किनारा हासिल करने की कवायद ही ज़िन्दगी है।जब सुबह उठकर ब्रश करता हूँ लगता है जैसे मैंने एक बुर्का पहन रखा है सिर से लेकर पाँव तक जिसमे आँखे, कान ,नाक सब पहले से ही जड़ा हुआ है, ऐसा लगता है मैं बस एक किरदार निभा रहा हूँ,किसी का दोस्त ,किसी का बेटा,जब यह किरदार पूरा हो जाएगा एक नए किरदार का बुर्का मिलेगा।उस बुर्के के साथ कुछ किरदार और जीने हैं।इस बुर्के वाले के ख्याल से ही शायद, मुझे ज़िन्दगी जीनी आसान लगती है। कुछ मन से

कुछ मन से #OpenPoetry

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akshay sharma

#OpenPoetry किसी बेवकूफ को सलाह 
हाँ मुझे मिली है
रास्तो के दोराहे पर मन्ज़िल
हाँ मुझे मिली है
किसी रात को सुबह
हाँ मुझे मिली है
बेरंग ख्यालों को नए रंग के चेहरे सी
हाँ मुझे मिली है
आधे पक्के लम्हों के पूरे पलों सी
हाँ मुझे मिली है
एक पूरी दुआ सी दोस्त और एक नए मज़हब सी
हाँ मुझे मिली है वो मिली

वो मिली #OpenPoetry

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akshay sharma

मिली जो तुम किसी पराये में
कभी तू आसमाँ है,कभी  छुपे किसी साये में
सूरज के पर्वत से सर उठाने सी मिली तुम
क्या करूँ तुम्हारा मैं
रखता हूँ आखिरी साँस में कहीं
फिर भी सांस से पहले हो कहीं
कितनी देर से खड़ा हूँ तेरे दोराहे में
तेरी आँखों के दरवाजे पर रुका हूँ मैं
तेरी आवाज़ से सना हूँ मैं
क्या करूँ तुम्हारा मैं
जहान छीन ना सकेगा वो मुझसे
जो हँसी में है तुम्हारी
तेरी शक्ल की परी भी थी एक
किसी सपने में दिखी थी एक
फिदरत तो तुझसी थी
जब बोली तो अज़ान भी तेरी थी
बस उसे ढूँढता तुमसे मिला मैं
तेरी खुशी पुरानी बारिश का मौसम है
तेरी चाहत भी तेरी ही तरह है
पल में तुम हवा पल में तुम वादी 
एक नई सहर पा गया हूँ तुझमे मैं
क्या करूँ तुम्हारा मैं। क्या करूँ

क्या करूँ

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akshay sharma

कुछ दिनों से गुमशुदा है
कुछ दिनों से दिखी नहीं
मुस्कुराहट तेरी
पहले दिखती थी हर वक्त
कभी मैसेज में, कभी सामने
लापता है कहीं
मुस्कुराहट तेरी
जब मिलती तो लभों पर शेयर थे
अब जुदा है तो फ़साने है
गायब हो के भी दिखती थी
मुस्कुराहट तेरी
जिसके बिना मेरी खुशी बेपता है
उम्मीद है वो फिर आएगी
ठिकाना फिर बनाएगी 
मुस्कुराहट तेरी #NojotoQuote मुस्कुराहट तेरी

मुस्कुराहट तेरी

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