Nojoto: Largest Storytelling Platform
gurudeenverma5507
  • 296Stories
  • 35Followers
  • 3.6KLove
    261Views

Gurudeen Verma

  • Popular
  • Latest
  • Video
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक-  कहते हैं जबकि हम तो
--------------------------------------------------------------------------
कहते हैं जबकि हम तो, यू आर ब्यूटीफुल।(फ्लावर)
कहती हो हमको क्यों तुम, यू आर वेरीफुल।।(मूर्ख)
बताओ कुछ तो हमको, कहाँ हुई है हमसे भूल।
कहते हैं जबकि हम तो--------------------------।।

नहीं होगा हम जैसा, तारीफ करें तेरी फोकट में।
कौन मरने को तैयार है, आखिर तेरी चौखट पे।।
दुनिया है देखो कैसी, ताजी और मोटी- तकड़ी।
आखिर क्या खाती हो तुम, दिखती हो सूखी लकड़ी।।
तुमको देते हैं यही सलाह, खाया करो तुम गोफी फूल।
कहती हो हमको क्यों तुम, यू आर वेरीफुल।।
बताओ कुछ तो हमको, कहाँ हुई है हमसे भूल।
कहते हैं जबकि हम तो---------------------।।

गाती हो किसके लिए, यह गीत जूली वेरी।
कौन है यहाँ तितरी, मन्शा क्या है तेरी।।
पूछती हो क्यों यह तुम, कब होगी शादी मेरी।
मैं तो जी आज़ाद हूँ , लेकिन पसंद हो तुम मेरी।।
तुमसे है मोहब्बत सच्ची, करिये तुम इसको कबूल।
कहती हो हमको क्यों तुम, यू आर वेरीफुल।।
बताओ कुछ तो हमको, कहाँ हुई है हमसे भूल।
कहते हैं जबकि हम तो----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- ना मालूम क्यों अब भी हमको
---------------------------------------------------------------
ना मालूम क्यों अब भी हमको, याद तुम्हारी आती है।
दूर नहीं तू इस दिल से, अब भी करीब तू रहती है।।
ना मालूम क्यों अब भी------------------------।।

मानते हैं यह हम भी कि, तुम मजबूर हो हद से।
लेकिन प्यार हमारा कभी, कम नहीं हुआ तुमसे।।
वही तस्वीर तुम्हारी अब भी, मेरी आँखों में रहती है।
ना मालूम क्यों अब भी-----------------------।।

राह हम देखा करते हैं, कब आवोगे तुम मिलने।
कब करेंगे बातें वही, कब बुनेंगे वही सपनें।।
नहीं कोई और मेरे ख्वाबों में, अब भी तू ही रहती है।
ना मालूम क्यों अब भी-------------------------।।

तुमको यह भी मालूम है, कितना तुम्हें प्यार करते हैं।
देखें हैं तुमने भी वो खत, हमने जो लहू से लिखते हैं।।
मेरे दिल को अब भी खुशी, सिर्फ तुम्ही से मिलती है।
ना मालूम क्यों अब भी-------------------------।।

आरजू दिल की यही है, तुम रहो सदा खुश-आबाद।
तुमपे नहीं कोई पाबन्दी, बनकै जीवो तुम जी आज़ाद।।
लेते हैं जब भी नाम कोई, तारीफ तेरी ही निकलती है।
ना मालूम क्यों अब भी--------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- वफ़ा से होकर बेवफा
-----------------------------------------------------------------
तोड़ो नहीं दिल को तुम, वफ़ा से होकर बेवफा।
गर हो शिकायत हमसे, तो तुम कहो हमसे सफा।।
तोड़ो नहीं दिल को तुम--------------------------।।

मुश्किल में दिल है, कुछ भी समझ में आता नहीं।
करता है जिससे प्यार, उसको पसंद यह आता नहीं।।
करता है प्यार तुमसे, क्या इसलिए हो हमसे खफ़ा।
तोड़ो नहीं दिल को तुम-----------------------।।

क्यों छेड़ते हो हमको, ऐसे मदहोश होकर तुम।
हम छेड़ते हैं तुमको तो, खामोश हो जाते हो तुम।।
नाराज हुए हो हमसे तुम, दिल्लगी में कई दफा।
तोड़ो नहीं दिल को तुम--------------------।।

तुमको यकीन क्या हमपे नहीं, क्या अजनबी हो तुम।
क्या नहीं किया हमने तेरे लिए, हमको बताओ यह तुम।।
प्यार नहीं है और किसी से, हम है सिर्फ तुम्ही से वफ़ा।
तोड़ो नहीं दिल को तुम-------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- यही चाहूँ तुमसे, मोरी छठ मैया
-------------------------------------------------------------------
यही चाहूँ तुमसे, मोरी छठ मैया।
देना सबको खुशियां, मोरी छठ मैया।।
ममता सभी पर, तू छठ मैया रखना।
रखना सुखी सबको, मोरी छठ मैया।।
यही चाहूँ तुमसे---------------------।।

ब्रह्मा की बेटी तू , सूरज की है बहिना।
धन- धान्य से तू , आबाद सबको रखना।।
सबकी खुशहाली की, तुमसे है प्रार्थना।
भरना गोद सब नारी की, मोरी छठ मैया।।
यही चाहूँ तुमसे---------------------।।

तुझमें है मैया, सबकी गहरी आस्था।
रखना बनाये तू , सबका मैया रिश्ता।।
सम्पन्न, निरोगी हो, जीवन सभी का।
निर्मल बनाना सबको, मोरी छठ मैया।।
यही चाहूँ तुमसे---------------------।।

खरना, ठेकुआ का, भोग लगायें तुमको।
माता सीता- द्रोपदी ने, पूजा है तुमको।।
मनोकामना सभी की, पूरी तू करना।
प्रेम- शान्ति वतन में, रखना छठ मैया।।
यही चाहूँ तुमसे---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- कलयुग के बाजार में
-----------------------------------------------------------
कलयुग के बाजार में, क्या नहीं बिक रहा है।
पाने को दौलत और नाम, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में-------------------------।।

बाप बड़ा न भैया है, सबसे बड़ा रुपया है।
रुपयों के लोभ ने, रिश्तों का खून किया है।।
पाने को धन और शौहरत, इंसान बिक रहा है।
पाने को सुख और शान, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में------------------------।।

भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार अब, बन गया है इंसान का।
बिना कमीशन- रिश्वत के, नहीं होता काम इंसान का।।
सभी सरकारी विभागों में, ईमान बिक रहा है।
पाने को पद और पैसा, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में-------------------------।।

दया- धर्म और संस्कार, मतलबी बन गए हैं।
इस वतन के आज बहुत, सौदागर बन गए हैं।।
मतदाता भी अपना वोट, और धर्म बेच रहा है।
पाने को रोटी और घर, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में------------------------।।

सत्यमेव जयते अब, नहीं है कानून- शासन में।
सत्ता के गुलाम बन गए, कलमकार अब शासन में।।
न्याय- मीडिया- साहित्य, और सत्य बिक रहा है।
पाने को सम्मान- सुविधा, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में--------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- दिवाली ऐसे मनायें
------------------------------------------------------------------------------
सभी के घर हो रोशनी, दिवाली ऐसे मनायें।
सभी के घर हो खुशी, करें ऐसी हम दुहायें।।
सभी के घर हो रोशनी---------------------।।

कोई भूखा नहीं सोये, दीपों के इस उत्सव में।
बरसे सुख- धन घर- घर में, इस दीपों उत्सव में।।
सभी के सपनों को साकार, इस उत्सव में बनायें।
सभी के घर हो रोशनी---------------------।।

नहीं उदास- मायूस हो, कोई चेहरा दिवाली पर।
नहीं हो आँसू किसी आँख में, इस दिवाली पर।।
टूटे- रूठे दिलों को हम, चलकर आज हँसायें।
सभी के घर हो रोशनी---------------------।।

किसी की जाति- धर्म का, नहीं हो अपमान हमसे।
नफरत- बदले के भाव से, जले नहीं घर कोई हमसे।।
वतन में चैनो- अमन और प्रेम के, दीपक जलायें।
सभी के घर हो रोशनी---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ
--------------------------------------------------------
तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ, राह तुम सही इनको दिखाओ।
अपने वतन की ये तकदीर है, तस्वीर वतन की तुम इनको बनाओ।।
तस्वीर तुम इनकी अच्छी ------------------------------।।

क्या है हकीकत, ये अनजान है, मासूम है और नादान है।
मत मुरझाओ तुम इन फूलों को, बहारे- चमन तुम इनको बनाओ।।
तस्वीर तुम इनकी अच्छी ------------------------------।।

मंजिल क्या है, मालूम नहीं इनको, मकसद जीवन का समझाओ इनको।
बहकाओ नहीं इनको तुम लक्ष्य से, मंजिल जीवन की इनको बताओ।।
तस्वीर तुम इनकी अच्छी ---------------------------------।।

समझो नहीं इनको कभी तुम पराया, अपनी तरह ये भी इंसान है।
कहकर पराया इनको रुलाओ नहीं तुम, आँखों के सपनें तुम इनको बनाओ।।
तस्वीर तुम इनकी अच्छी ---------------------------------।।

सीखे सबसे ये मिलकर रहना, छोटा किसी को खुद से माने नहीं।
दुश्मन किसी को ये माने नहीं, रखवाले वतन का तुम इनको बनाओ।।
तस्वीर तुम इनकी अच्छी -------------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार 
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- घर घर ऐसे दीप जले
---------------------------------------------------------
दीप जले, दीप जले, घर घर ऐसे दीप जले।
रोशन हो दीपों से हर घर, घर घर ऐसे दीप जले।।
दीप जले, दीप जले--------–---------।।

दीपों की यह सुंदर पंक्ति, देखो कितनी निराली है।
जगमग दीपों की यह माला, कहलाती दिवाली है।।
दीपों के इस उत्सव में, शामिल सबको करते चले।
दीप जले, दीप जले-----------------।।

चमक रहा है चेहरा देखो, बच्चों- बूढों- जवानों का।
कम नहीं है उत्साह आज, मजदूर और किसानों का।।
रहे हमेशा इन सभी के, रोशन चेहरे ऐसे खिले।
दीप जले, दीप जले--------------------।।

अपने वतन में नहीं रहे, नफरत- ईर्ष्या का अंधियारा।
रोशन रहे दीप मानवता का, फूले- फले यहाँ भाईचारा।।
जाति- धर्म का भेद मिटाकर, सबसे प्रेम से गले मिले।
दीप जले, दीप जले---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद 
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #happy_diwali
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- बहुत चाहा हमने कि
--------------------------------------------------------
बहुत चाहा हमने कि भूल जायें तुमको,मगर आपको हम भूला नहीं पाये।।
रहे दूर तुमसे हम इतने दिन भी, मगर दिल से दूर तुमसे रह नहीं पाये।।
बहुत चाहा हमने कि ----------------------------।।

मिली है सफर में हमको कई, बहुत खूबसूरत इठलाती कलियां।
चाहा उनसे कर ले यारी हम, बहुत हसीन थी यार उनकी दुनिया।।
मिला प्यार उनसे हमको बहुत, मगर हाथ उनसे हम मिला नहीं पाये।
बहुत चाहा हमने कि -----------------------------।।

कैसे कहें हम अब बात दिल की, आप बन चुके हो साथी किसी के।
आती नहीं होगी अब याद हमारी, आते होंगे ख्वाब तुमको उसी के।।
हमने संजोये फिर भी ख्वाब बहुत, मगर ख्वाब तुम्हारा मिटा नहीं पाये।
बहुत चाहा हमने कि -----------------------------।।

भूलें नहीं हम वो मुलाकात अपनी, बातें वफ़ा की वो अपनी कहानी।
लिखी थी हमने जो अपने लहू से, अपने मिलन की वो प्यारी जुबानी।।
सोचा कि हम भी बसा ले कोई घर, मगर साथी और को हम बना नहीं पाये।
बहुत चाहा हमने कि --------------------------।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
cf794351582482876a686b9e6673fc36

Gurudeen Verma

White शीर्षक- क्यों है अहम तुमको खुद पर इतना
--------------------------------------------------------
क्यों है अहम तुमको खुद पर इतना, किस पर तुमको नाज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर--------------------।।

मत कर मोह तू इतना धन से, अपनी इस झूठी शौहरत से।
एक दिन की यह चांदनी है, रोशन नहीं जीवन दौलत से।।
नहीं जायेगी साथ तेरी यह दौलत, इसका बस यही राज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर---------------------।।

तू है हसीन बहुत चेहरे से, और करता है तारीफ तू इसकी।
एक दिन यह भी मुरझा जायेगा, बुढ़ापे में तस्वीर इसकी।।
होगा नहीं तू कल को हसीन, जैसा हसीन तू आज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर--------------------।।

मत तू कर्म कर ऐसे जीवन में, जिससे हो नाम बदनाम तेरा।
मत तू ऐसी राह पर चल, जिससे हो जीवन गुमनाम तेरा।।
होगा अमर तू बस कर्मों से, झूठा तुम्हारा यह ताज है।
एक दिन मिलेगा मिट्टी में ही तू , तेरा वजूद बस आज है।।
क्यों है अहम तुमको खुद पर-------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #Poetry
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile