नहीं मैं सिद्धहस्त कवियत्री कोई, भावों से शब्दों की माला बुनती हूँ.....!!! नहीं ज्ञान कवियों सा न ही विधाओं का.... बस जो मन में आता है वही पंक्तियों में लिख देती हूँ....!!! और क्या लिखूं, कैसे लिखूं हर शब्द हर पंक्ति में तुझको लिखूं।। बस थोड़ी सी ही..... बची ये ज़िन्दगानी है........ कुछ तेरी तो........ कुछ मेरी कहानी है.......! कुछ तेरी नई सी है...... .......... कुछ मेरी पुरानी है.....!!
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali
Priyanjali