कैसे कैसे फ़रेब खाता है
आदमी फिर भी मुस्कुराता है
सारी दुनियाँ सरायखाना है
कोई आता है कोई जाता है❗
....निधि मुकेश भार्गव मानवी।
#my thougts #my feelings #शायरी
निधि मुकेश भार्गव मानवी
तेरी ख़ुश्बू मुझे हूबहू चाहिये
अपने चारों तरफ़ सिर्फ़ तू चाहिये।
तेरे ख़त से ये जी अब बहलता नहीं
प्यार तेरा मुझे रूबरू चाहिये ।।
- #शायरी
निधि मुकेश भार्गव मानवी
टकटकी लगाए देख रही हूँ ,,आसमान पर
उम्मीदों के जो जुगनू,,टाँक दिए थे न तुमने
लपक कर छू लेना चाहती हूँ मैं❗
निधि मुकेश भार्गव मानवी
मालूम है कि चाहतों का गुल न खिलेगा
पौधे मगर उम्मीद के बोते रहे हैं हम!