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nareshchandra4747
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Naresh Chandra

जीवन की गाड़ी का यही रूप है प्रेम की डोरी है जीवन सहारा।

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Naresh Chandra

रिम-झिम बरखा की फुहार
मन में जगी मिलन की आस
दिल में उठी उमंग हजार
सजन तुम आन मिलो अब रे।

मौसम मस्त मतवाला
उठी उर-अंतर में ज्वाला
बहारें करती यही पुकार
सजन तुम आन मिलो अब रे।

प्यारा पपीहा धुन ये सुनाये
पियू पियू करके दिल है जलाये
पिया जी आन मिलो अब रे
सजन तुम आन मिलो अब रे।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा।

©Naresh Chandra #Life
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Naresh Chandra

मन की विह्वलता को, कैसे समझाऊं 
डूबते-उतराते भाव मन के,कैसे समझाऊं 
व्यथा में व्यथित मन, छ्लनी सा हो रहा
सागर सम कोलाहल को, कैसे समझाऊं।

निरवता ब्याप्त रही, मन के आंगन में
घोर तिमिर अंधकार, छा रहा जीवन में
प्रेम की ज्वाला में,धधक रहा  पोर पोर
तिल तिल मैं मर रही,जीवन की चाह में।

छिन रही है जिंदगी,प्यार की अतिरेक में
पिघल रही चांदनी,चांद की अवहेलना में
धीरे-धीरे चांदनी भी, कुम्हला रही है 
बेवफा चांद भाग रहा,बादलों की ओट में।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra
  #KhulaAasman
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Naresh Chandra

दिल के हालात पर काबू कैसे करे
पास होकर दूर हो कैसे सहन करे 
तनहाईयां सताने लगी जोर जोर से
धड़कने बेकाबू हो रही कैसे सहन करे।

©Naresh Chandra
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Naresh Chandra

मुहब्बतों के खिलाड़ी

लाजवंती सी है वो लजाई हुई 
सुर्ख गालों पे लाली छायी हुई
नयन शर्मा के गालों को हैं देखते
तबस्सुम से रौनक है छायी हुई।

लफ़्ज़ों ने कुछ ऐसा जादू किया
मुहब्बत की कैद में फंसती गई 
पता जब चला देर हो गई बहुत
मुहब्बत के टुकड़ों में मैं बंट गई।

अम्मा अब्बू ने समझाया था बहुत
पढ़ लिखकर भी जाहिलों में फंस गई
मुहब्बत थी या फिर हवस जिस्म की
अपने इरादों पर न मैं टिक सकी।
स्वरचित ✍️
नरेशन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra
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Naresh Chandra

रिलेशनशिप से होशियार रहना
😥😥😥😥😥😢
इश्क का दामन पकड़
फिर छोड देता है 
रूसवाईयों के भंवर मे,
अकेले ढ़केल देता है।
मुहब्बत में फंसाकर
कत्लेआम है करता 
जिस्म रौंद कर फिर
बोटी बोटी करता है।
इश्क में जालिम ने मेरे
टुकड़े टुकड़े कर दिए
आत्मा भटकती सभी से
कह रही होशियार रहना है।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra
  #forbiddenlove
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Naresh Chandra

*“वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता कि उसने कितने पुष्प खो दिए वह सदैव नए फूलों के सृजन में व्यस्त रहता है जीवन में कितना कुछ खो गया इस पीड़ा को भूल कर क्या नया कर सकते हैं इसी में जीवन की सार्थकता है”*

©Naresh Chandra
  #standout
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Naresh Chandra

नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए
होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए।
कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल
लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए।
जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए
रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए।
होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती
हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।

©Naresh Chandra
  नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए
होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए।
कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल
लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए।
जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए
रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए।
होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती
हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए।

नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए। कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए। जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए। होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए। #शायरी

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Naresh Chandra

नेह की लगन 
हो रही मगन 
चाह है मिलन
भूल न जाना सजन।

प्रीत की नाज़ुक सी डोर
चल पड़ी साजन की ओर
राह है कठिन मगर
प्रेम रस से सराबोर।

हमने तुम्हें अपना लिया
तुम भी मुझे अपनाओ भी
प्रेम की ज्योति जलाओ
जीवन सफल होगा तभी।

©Naresh Chandra
  #BahuBali
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Naresh Chandra

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹  #मां_शारदा_के_चरणों_में_भाव_कलश_नमन_वंदन🌹

प्यार का एक छींटा, सनम मारकर
चल दिए क्यूं अकेला, मुझे छोड़कर
अब सताने लगी ? मेरी नादानियां
दिल की धड़कन, बढ़ाती खामोशियां।

सागर के लहरों की, अठखेलियां
दिल की धड़कन बढ़ाती खामोशियां 
रूक न जाये कहीं, सरगम सांस की
अब सताने लगी हमको, खामोशियां।
स्वरचित ✍️
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा

©Naresh Chandra
  🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹  #मां_शारदा_के_चरणों_में_भाव_कलश_नमन_वंदन🌹

प्यार का एक छींटा, सनम मारकर
चल दिए क्यूं अकेला, मुझे छोड़कर
अब सताने लगी ? मेरी नादानियां
दिल की धड़कन, बढ़ाती खामोशियां

सागर के लहरों की, अठखेलियां

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 मां_शारदा_के_चरणों_में_भाव_कलश_नमन_वंदन🌹 प्यार का एक छींटा, सनम मारकर चल दिए क्यूं अकेला, मुझे छोड़कर अब सताने लगी ? मेरी नादानियां दिल की धड़कन, बढ़ाती खामोशियां सागर के लहरों की, अठखेलियां #कविता

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Naresh Chandra

🌹माता रानी से एक अरदास 🌹
नववर्ष का नया सवेरा
खुशियां फैली घर आंगन
अपनी संस्कृति से जुड़ा
देवी गीत गुंजा घर आंगन।

चैत्र महीना देवियों वाला
विनय करें सब मिलकर
अच्छा हो खुशहाल रहें सब
मां ऐसा हो मेरा नववर्ष।

मात् भवानी शेरावाली
दे दो भक्तों को वरदान
दुष्टों का न मान करे वो
नारियों का हो सम्मान।

नारियों को शक्ति दो माता
अपनी संस्कृति कभी न भूलें
तर्क कुतर्क में न पड़ करके
संस्कृति का सम्मान करें।

पुरूषों को बुध्दि दो माता
कभी न आते मन ब्याभिचार
सत्कर्मों से मान बढ़ायें
नारी का न करें अपमान।

©Naresh Chandra
  #navratri 
🌹माता रानी से एक अरदास 🌹
नववर्ष का नया सवेरा
खुशियां फैली घर आंगन
अपनी संस्कृति से जुड़ा
देवी गीत गुंजा घर आंगन।

चैत्र महीना देवियों वाला

#navratri 🌹माता रानी से एक अरदास 🌹 नववर्ष का नया सवेरा खुशियां फैली घर आंगन अपनी संस्कृति से जुड़ा देवी गीत गुंजा घर आंगन। चैत्र महीना देवियों वाला #कविता

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