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drshakuntalasaru5465
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Dr. Shakuntala Sarupariya

राष्ट्रीय कवयित्री, वरिष्ठ मंच संचालक पत्रकार, गायिका, अभिनेत्री,चित्रकार संपादक -*तनिमा मासिक साहित्यिक सांस्कृतिक पत्रिका*

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Dr. Shakuntala Sarupariya

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Dr. Shakuntala Sarupariya

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Dr. Shakuntala Sarupariya

बरखा गीत-बरसाते जब काले बादल, खुल जाती तन-मन की सांकल*

बरखा गीत-बरसाते जब काले बादल, खुल जाती तन-मन की सांकल* #शायरी

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Dr. Shakuntala Sarupariya

##ग़ज़ल## जो जीने की चाहत मरी जा रही है। तो गजलें दर्द में ढली जा रही है।।##

#ग़ज़ल## जो जीने की चाहत मरी जा रही है। तो गजलें दर्द में ढली जा रही है।।##

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Dr. Shakuntala Sarupariya

##ग़ज़ल##हम रोशनी से रिश्ते निभाने के वास्ते।  चिराग़ ले चले हैं ज़माने के वास्ते।।## डॉ. शकुंतला सरूपरिया

#ग़ज़ल#हम रोशनी से रिश्ते निभाने के वास्ते। चिराग़ ले चले हैं ज़माने के वास्ते।।## डॉ. शकुंतला सरूपरिया

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Dr. Shakuntala Sarupariya

##गीत## हम तो गीतों की दुनिया यूं ही छोड़ जाएंगे ।नाम रह जाएगा हर डोर तोड़ जाएंगे।।

#गीत## हम तो गीतों की दुनिया यूं ही छोड़ जाएंगे ।नाम रह जाएगा हर डोर तोड़ जाएंगे।।

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Dr. Shakuntala Sarupariya

## गीत रचना##
आ हमारी ज़िंदगी में लौट कर तू फिर से आ। बस गया तू दूर जाकर बगिया में तू फिर से आ!।

## गीत रचना## आ हमारी ज़िंदगी में लौट कर तू फिर से आ। बस गया तू दूर जाकर बगिया में तू फिर से आ!।

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Dr. Shakuntala Sarupariya

ग़ज़ल ##हैरां हूं अपने रिश्ते में दरार देख कर। दो दिन में दिल का टूटा वो क़रार देखकर।।##

ग़ज़ल #हैरां हूं अपने रिश्ते में दरार देख कर। दो दिन में दिल का टूटा वो क़रार देखकर।।##

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Dr. Shakuntala Sarupariya

##ग़ज़ल- मेरा हाल मुझसे बयां हो गया। गज़ब हो गया मुझसे क्या हो गया।।##

#ग़ज़ल- मेरा हाल मुझसे बयां हो गया। गज़ब हो गया मुझसे क्या हो गया।।##

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Dr. Shakuntala Sarupariya

ग़ज़ल
##नए मौसम है बटमार भरोसा मत करना, जालिम है वक्त़ संसार भरोसा मत करना।।##

ग़ज़ल #नए मौसम है बटमार भरोसा मत करना, जालिम है वक्त़ संसार भरोसा मत करना।।##

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