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shubhankarbhagwa9210
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Shubhankar Bhagwat

Instagram : words_on_the_wheels

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Shubhankar Bhagwat

तू भूल गया कल घर तक तेरे पर्वत चल कर आया था 
और भटक रहा है वादियों में अपने शहर से दूर

एक आसमान का टुकड़ा तेरी खिड़की से भी दिखता है
क्यों उड़ रहा है बादलों में अपने ही घर से दूर 

क्यो जाना है उस पार झगड़कर लहरो और तुफानो से
चल यही ठहरते है ना इस पार भी किनारा है 

या फिर देख लेना पूरे शहर को तु आंखें भर भर के
बस शाम को जल्दी लौट आना, आज अच्छे से घर सवारा है

© शुभंकर भागवत #FathersDay
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Shubhankar Bhagwat

As she walks through 
~ another pile of thorns..

He writes another painful song

Yes , the same guy,
That used to make the laugh..

Nothing much..

Just a little cut in the ribs..

And look.. it's..

~ words words words

All they bleed..

© Shubhankar Bhagwat

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Shubhankar Bhagwat

थोड़ी देरी से आता हूँ
पर कोई मेरे बाद भी आएगा
मैं अरसे लगता हूँ
वो कुछ देर और लगाएगा

ये कैसा संसार है
जिसमें इंतेज़ार ही इंतेज़ार है
मैने किसी को करवाया
कोई मुझे भी करवाएगा

शकल पर मत जाओ मेरी
सब ईद का चांद बुलाते है
आधे महीनें में आता हूँ
वो एखाद और दिन लगाएगा

©शुभंकर भागवत

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Shubhankar Bhagwat

जो शहर देखा ही नही
वो कितना बड़ा होगा ?
और कितने राज़ छुपे होंगे 
उसकी हर गलीमें

या शायद 
पूरा शहर ही साफ होगा
और हर घर की दिवारे 
सफेद होंगी 

फिर तो वहाँ जाऊंगा ही
उस सफेद शहर को
अपने रंगों से रंगने

©शुभंकर भागवत

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Shubhankar Bhagwat

चलते चलते पाओ तेरे
मुक़ाम तक तो पहुँच जाएंगे
पर ये इश्क का सफर 
यू ही मुक्कमल नही होता

एक और सफर शुरू होता है
उस मन्ज़िल के परे
जिसका नाम ही
इंतेज़ार है

शायद यही तो प्यार है

©शुभंकर भागवत

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Shubhankar Bhagwat

तू भूल गया कल घर तक तेरे पर्वत चल कर आया था 
और भटक रहा है वादियों में अपने शहर से दूर

एक आसमान का टुकड़ा तेरी खिड़की से भी दिखता है
क्यों उड़ रहा है बादलों में अपने ही घर से दूर 

क्यो जाना है उस पार झगड़कर लहरो और तुफानो से
चल यही ठहरते है ना इस पार भी किनारा है 

या फिर देख लेना पूरे शहर को तु आंखें भर भर के
बस शाम को जल्दी लौट आना, आज अच्छे से घर सवारा है

© शुभंकर भागवत

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Shubhankar Bhagwat

ए रात मैं तेरा शुक्रगुजार तो नही हूं,
के सुबह तेरे लिए तैयार तो नहीं हूं ।

कुछ ख्वाब है अधूरे कुछ नींदे है अधूरी,
कुछ इश्क हुआ है पर , बेकरार तो नही हूं ।

देर रात तक जागता है, शायद मन्नत ही माँगता है,
हर दुआ पूरी कर दु ? परवर्दीगार तो नही हूं।

थोड़ा नरम हो सकता हु, पर ज्यादा सख्त हु मैं,
अपने वक्त पर चलता हूं, किसीका इंतेज़ार तो नही हु ।

जो कुछ भी लिखा , कभी ज़ाहिर न हो पाया,
एक नज़्म का टुकड़ा हूं पर इश्तेहार तो नही हूं ।


©शुभंकर भागवत

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Shubhankar Bhagwat

जाना है तो जा
बस मेरे राज़ महफूज़ रखना

किसी को सुनाना मत
जो भी कहा - ना कहा
बस दिल में दबी हुई 
मेरी आवाज़ महफूज़ रखना

तेरे चेहरे पे लिखा है
कि एक और दिल तनहा है
तू मुझसे दूर सही
पर मैं हु तेरे पास ही कही

मेरे इस तरह होने का
एहसास महफूज़ रखना 

जाना है तो जा
बस मेरे राज़ महफूज़ रखना 

©Shubhankar Bhagwat

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Shubhankar Bhagwat

Nightingale Nightingale

Don't you try to put 

the bird in a cage


Her tiny wings love to fly

Long live the spirit

And never shall die


Nightingale nightingale

Her voice has to go

A long way


©Shubhankar Bhagwat #CalmingNature
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Shubhankar Bhagwat

So mean of you

Cause all you do

Is just for the sake of a song

So mean of me

Cause all I did

Was just for the sake of a song

We all are mean

I do agree

But those songs are always 

Pure..

© Shubhankar Bhagwat #CalmingNature
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