मैं लिखूंगा तुम्हें एक दिन
किसी शाम बैंच पर अकेले दिन बिताते हुए,
घर के किसी कोने में आंसू बहाते हुए,
ठंडी रातों में कम्बल को गले लगाते हुए,
लिखूंगा सारी बातें सारे वादे जो हमनें एक दूसरे से किए थे,
लिखूंगा साथ बिताए पल जो बाग में साथ-साथ जिए थे,
लिखूंगा वो तेरा-मेरी तारीफों के पुल सारे जो तूने किए थे,
दिन सोता है रातें जागती है,
इस शहर की भी अजी़ब आवाजाही है,
लोग घंटों ताकते है रास्ता ऐसी ख़ुद्दारी है,
कोई घर से दूर है तो कोई शहर पराया,
आंखों में चमक रहा है एक सपना निराला,
मुट्ठी है बंधी बाजू अकड़े सभी रेस में है ऐसे दौड़े,
#Alex#KotaFactory#kotamemories#alexcollection#alexcollections#allenites